Israel-Hamas War: इजरायल और हमास की जंग में सबसे ज्यादा नुकसान गाजा की आम जनता और शहर का हुआ है. पूरा गाजा एक बड़े कब्रिस्तान में तब्दील हो चुका है. वहां की इमारतें अब खंडहर बन चुकी हैं. हर तरफ मलबा और तबाही के निशान नजर आते हैं. मगर, इन सबके बावजूद भी इजरायल के हमले थमे नहीं हैं, बल्कि पिछले कुछ दिनों में ये जंग तेज हो गई है. इजरायल की सेना गाजा में जमीनी हमले भी कर रही है. गाजा में पीड़ितों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UN Aid को बड़ा झटका लगा है. क्योंकि अमेरिका समेत कई देशों ने इस एजेंसी की फंडिंग बंद कर दी है.
गाजा में राहत कार्य प्रभावित
जंग से जूझते गाजा में संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसी के प्रमुख ने चेतावनी देते हुए बताया कि वहां चलाए जा रहे राहत कार्य के लिए फंडिंग करने वाले नौ देशों ने अब अपना हाथ मदद से खींच लिया है. वे आगे फंडिग नहीं करेंगे. जिसकी वजह से उनका काम प्रभावित हो रहा है. दरअसल, आरोप है कि UN Aid एजेंसी के कई कर्मचारियों ने चार महीने पहले इजराइल पर हुए हमास के घातक हमले में भाग लिया था.
अकाल के बीच कड़ा फैसला
फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने कहा कि वो इजराइल और हमास की जंग के दौरान अकाल जैसे हालात के बीच 9 देशों के ऐसे फैसले से हैरान हैं. उन्होंने अपने एक्स पर लिखा कि गाजा में फ़िलिस्तीनियों को इस सामूहिक सज़ा की ज़रूरत नहीं थी. यह कदम सभी पर एक कलंक है.
एजेंसी के कर्मचारियों पर इल्जाम
फिलिप का यह चेताने वाला बयान उनकी उस घोषणा के एक दिन बाद आया है, जब उन्होंने खुलासा किया था कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. वो एजेंसी के कई कर्मचारियों की जांच कर रहे थे, जिन पर 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमले में शामिल होने का इल्जाम था, और जिसकी वजह से इजरायल और हमास के बीच जंग का आगाज हुआ था. आपको बता दें कि अमेरिका के मुताबिक, यूएन ऐड एजेंसी के 12 कर्मचारी जांच के दायरे में थे, जिसके चलते अमेरिका ने फौरन फंडिंग बंद कर दी, इसके बाद ब्रिटेन, जर्मनी और इटली सहित कई अन्य देशों ने भी एजेंसी की फंडिंग रोक दी है.
एजेंसी की मदद पर निर्भर 20 लाख से ज्यादा लोग
UN AID गाजा में अपने 13,000 कर्मचारियों के साथ मानवीय आपदा के बीच गाजा के लोगों की मदद करने वाला मुख्य संगठन है. उसके कर्मचारियों में से अधिकांश फिलिस्तीनी हैं. फिलिप लाज़ारिनी ने बताया कि इलाके के 2.3 मिलियन लोगों में से 2 मिलियन से अधिक लोग अपने अस्तित्व के लिए इस एजेंसी पर निर्भर हैं, जिसमें खाना और आश्रय भी शामिल है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह जीवन रेखा अब किसी भी समय तबाह हो सकती है.
मरने वालों की संख्या 25 हजार से ज्यादा
गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग की वजह से मरने वालों की संख्या 25 हजार के पार पहुंच चुकी है. इजरायली सेना ने पिछले सप्ताह भी गाजा, लेबनान और सीरिया में एक साथ हमले किए थे. गाजा में जहां हमास के लड़ाकों को निशाना बनाया गया था, वहीं लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों को ढेर किया गया. इसके साथ ही सीरिया में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड पर भी अटैक किए गए हैं.
लगातार जारी हैं इजरायली हमले
अब इजरायली सेना ने हमास के साथ-साथ सीरिया में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड पर भी हमले तेज कर दिए हैं. पिछले हफ्ते दमिश्क में इजरायली सेना के मिसाइल हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड के कई सदस्यों की मौत हो गई थी. उनके ठिकानों को इजरायल ने तबाह कर दिया था. इजरायली सेना ने एक और मोर्चे पर जंग तेज कर दी है. पिछले शनिवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क में इजरायली मिसाइलों ने जमकर कहर बरपाया था. जबकि गाजा में पिछले 100 दिनों से भी ज्यादा समय से इजरायली हमले लगातार जारी हैं.
सीरिया में भी आर-पार की जंग
सीरिया में भी इजरायल ने आर-पार की जंग शुरू कर दी है. इजरायल के ताजा हमलों में ईरान के रिवोल्यूशनकरी गार्ड के चार सदस्यों की मौत हो गई है. जबकि रिवोल्यूशनरी गार्ड की एक इमारत भी इजरायली हमले में पूरी तरह तबाह हो गई है. बताया जा रहा है कि जिस वक्त इजरायल ने दमिश्क में मिसाइल अटैक किया उस समय इमारत में ईरान समर्थित समूह के अधिकारी बैठक कर रहे थे. इजरायल ने सीरिया के अंदर जिस क्षेत्र को निशाना बनाया है. वो रिवोल्यूशनरी गार्ड और फिलिस्तीनी नेताओं के लिए सुरक्षित ठिकाना है.
जॉर्डन में अमेरिकी सेना के ठिकाने पर हमला
उधर, गाजा में इजरायल और हमास की लड़ाई तेज होने से Middle East में पहले से ही हालात तनावपूर्ण है. उधर, जॉर्डन में अमेरिकी सेना पर ड्रोन से किए गए हमले में ईरान के सीधे तौर पर शामिल होने से व्यापक संघर्ष की आशंका पैदा हो गई है. हालांकि ईरान ने उस हमले में किसी भी तरह की भागीदारी से साफ इनकार किया है. इसमें देखने वाली बात ये है कि जब पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इज़राइल पर हमला किया था तो उसके जवाब में इजरायली सेना ने गाजा पर हमला कर दिया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि तब से इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिका और सहयोगी सेनाओं को 150 से ज्यादा हमलों का सामना करना पड़ा और इसके बाद अमेरिका ने दोनों देशों में जवाबी हमले भी किए हैं.
ईरान पर हमले का इल्जाम
जॉर्डन में हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि सभी जिम्मेदार लोगों को एक समय पर और हमारी पसंद के तरीके से जवाब दिया जाएगा. उन्होंने एक बयान में कहा कि वे अभी भी इस हमले के तथ्य जुटा रहे हैं, वो जानते हैं कि इसे सीरिया और इराक में सक्रिय ईरान समर्थित कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों ने अंजाम दिया था.
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