आसमान से आ रहे बगदादी के आतंकी, ऐसे फैला रहा दहशत

हवा में तो पिछले करीब 5 साल से बगदादी उड़ रहा है, मगर अब जब इराक और सीरिया में सेना के हमले से उसकी हवा खराब होने लगी है तो उसने अपने आतंक को भी हवाई बना दिया है. बगदादी का ये हवाई आतंक दरअसल एक ड्रोन है, जिसमें बगदादी के आतंकी बारूद भरकर सेना के ठिकानों पर हमले कर रहे हैं.

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ड्रोन से हमले कर रहा है बगदादी ड्रोन से हमले कर रहा है बगदादी

शम्स ताहिर खान

  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2017,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

हवा में तो पिछले करीब 5 साल से बगदादी उड़ रहा है, मगर अब जब इराक और सीरिया में सेना के हमले से उसकी हवा खराब होने लगी है तो उसने अपने आतंक को भी हवाई बना दिया है. बगदादी का ये हवाई आतंक दरअसल एक ड्रोन है, जिसमें बगदादी के आतंकी बारूद भरकर सेना के ठिकानों पर हमले कर रहे हैं. फिलहाल उड़ते हुए इस हवाई आतंक ने कोहराम मचा रखा है. बगदादी का ये हवाई आतंक अब तक कई लोगों की जानें ले चुका है.

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अब इसे बगदादी की शैतानी खोपड़ी का खुरपेंच कहें या उसकी बेवकूफी, मगर अब इराकी और अमेरिकी सेना के जंगी जहाज़ों का जवाब वो अपने इन छोटे-छोटे ड्रोन से देने की कोशिश कर रहा है. जहां-जहां बगदादी के आतंकी पहुंच नहीं पाते या पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं, वहां हवा में वो उड़ा देता है ये छोटा आतंकी. ये छोटा आतंकी अक्सर जितना नुकसान पहुंचा जाता है, वो सचमुच के आतंकी यानी बग़दादी के गुर्गे नहीं पहुंचा पाते, और जो आतंक फैलाए वो आतंकी ही तो कहलाएगा.

बगदादी के इशारे पर उसके इस छोटे आतंकी ने अब तक मोसुल में दर्जनभर लोगों की बलि ले ली है. मगर बगदादी का ये मिशन इसलिए फेल होता जा रहा है कि उसके ड्रोन ने जिन लोगों को मारा वो आम शहरी थे. वरना इराक के सैनिकों ने तो ताबड़तोड़ फायरिंग करके बगदादी के इस ड्रोन को उड़ते ही वहीं गिरा दिया. और उन्हें सेना के ठिकानों पर मंडराने का मौका ही नहीं दिया. हां मगर चाहे वो इराकी हो या अमेरिकी दोनों ही सेनाओं ने ये माना है कि बगदादी का ये छोटा आतंकी उन्हें परेशान ज़रूर कर रहा है.

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आतंकियों की तरफ से चोरी-छिपे सेना के ठिकानों पर कम घातक बम गिराए जा रहे हैं. जो महज़ थोड़ी देर की बेचैनी ही पैदा कर रहे हैं और इनकी बनावट और इनके आकार को देखकर भी ये साफ़ है कि इनमें ज़्यादा बारूद उठाने की सलाहियत है भी नहीं. यूं भी इस ड्रोन के ज़रिए बगदादी का मक़सद कोई बहुत भारी तबाही मचाने का नहीं है. वो तो बस इस ड्रोन में लगे कैमरे में वो तस्वीरें कैद करना चाहता है जिससे वो दुनिया तो ये बता सके कि अभी भी वो कमज़ोर नहीं है.

बगदादी के इन ड्रोन में कैमरे और जीपीएस के अलावा ऐम यानी निशाना लगाने की डिवाइस भी इंस्टॉल है. जिसके ज़रिए वो सेना के ठिकानों को अपना निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है. यानी आम के आम और गुठलियों के दाम. एक तरफ़ से निशाना और दूसरी तरफ़ से फोटोग्राफ़ी. मोसुल के उत्तरी हिस्से में हथियारों को भरकर ले जा रहे सेना के इस ट्रक को आतंकियों ने ड्रोन से निशाना बनाया और एक धमाके के साथ सब कुछ तबाह कर दिया.

बगदादी के उड़ते आतंकी के कैमरे में ऐसी बहुत सारी तस्वीरें कैद हो चुकी हैं. सेना के बेस पर उड़कर बगदादी का ये छोटा आतंकी ऊंचाई पर मंडराता है तो ठीक से दिखाई भी नहीं देता. मगर जब वो ऐसे छोटे-छोटे रॉकेट हवा से छोड़ता है तो सैनिकों को भागने का मौका भी नहीं मिलता है. बगदादी के ड्रोन ने यहां हमला तो किया मगर उससे न तो कोई ज़्यादा तबाही मची और न ही किसी मौत. हां मगर थोड़ी देर के लिए खौफ ज़रूर पैदा हो गया.

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कुल मिलाकर बगदादी चाहता भी यही है कि उसके ये उड़ते आतंकी सेना को अपने हमले से भटकाते रहें, ताकि जिस ताकत के साथ मोसुल में उस पर चढ़ाई की जा रही है उसमें कमी आ सके. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक आईएसआईएस ने मोसुल में इराकी सैन्य ठिकानों पर तीन दर्जन से ज़्यादा ड्रोन अटैक किए हैं. और इन हमलों में करीब एक दर्जन लोग मारे गए. मगर मारे जाने वालों में एक भी सैनिक शामिल नहीं है.

मोसुल में दरअसल बगदादी रोज़ नए-नए प्रयोग इसलिए कर रहा है क्योंकि उसे पता है कि हज़ारों की तादाद में इराकी और करीब 1700 अमेरिकी सैनिक बहुत तेज़ी से उसकी तरफ मौत का पैगाम लिए बढ़ रहे हैं. मोसुल के रेतीले मैदानों में बगदादी के हिस्से में कामयाबी कम और बेइज्ज़ती ज़्यादा आ रही है. जिन ड्रोन को उड़ाकर बगदादी इराकी और अमेरिकी सेना को डराने की कोशिश कर रहा है. उसके बारे में मोसुल में तैनात अमेरिकी कमांडर का कहना है कि ऐसे ड्रोन से तो बच्चे खेलते हैं.

ये सच्चाई भी है कि ड्रोन को हवा में उड़ाकर जितनी तबाही मचाने का बगदादी ने प्लान बनाया था. वो उससे उतनी तबाही मचा नहीं पाया. नीचे अमेरिका के कमांडो तो ऊपर बगदादी का आतंकवादी. इस रेगिस्तान में नीचे अमेरिकी सेना इराक के साथ लड़ रही है तो ऊपर अमेरिका में बना हुआ ड्रोन बगदादी के लिए लड़ रहा है. नीचे अमेरिकी सेना बगदादी के आतंकियों को ठिकाने लगा रही है तो ऊपर अमेरिकी ड्रोन इराकी सेना के ठिकानों पर हमला बोल रहा है.

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बहुत मुमकिन है कि जो ड्रोन बगदादी मोसुल में उड़ा रहा है वो आपने अपने इलाके में भी देखा हो. ये दरअसल हवा में उड़ने वाला एक ख़ास तरह की तकनीक से लैस खिलौने जैसा जहाज़ है, जिसका इस्तेमाल बड़े देशों में जीपीएस के ज़रिए सामान की डिलीवरी करने और ट्रैफिक पर नज़र बनाए रखने के लिए किया जाता है. बगदादी इन्हीं ड्रोन को बारूद, ग्रेनेड और छोटे रॉकेट से लैस करके तबाही की प्लानिंग कर रहा है.

अमेरिकी सेना के मुताबिक़ आईएसआईएस इन ड्रोन के ज़रिए हमला करने के अलावा उनका इस्तेमाल इसलिए भी कर रहा है ताकि ये पता लगा सके कि इराक़ी सेना कहां-कहां मोर्टार दाग़ने वाली है. जिसके मुताबिक़ ही बगदादी के लड़ाके भी अपना टारगेट तय करते हैं. आज सिर्फ़ आईएसआईएस ही नहीं, बल्कि इराक़ी फ़ौज ने भी इन ड्रोन का इस्तेमाल मोसुल की लड़ाई में किया है. मगर सेना में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन आम ड्रोन से अलग हैं.

तकनीक के लिहाज़ से वो बगदादी के ड्रोन से कहीं बेहतर हैं. मोसुल की लड़ाई में इराकी सेना ड्रोन की मदद से ही फिदायीन हमलावरों का पता लगाकर ऐसे हमलों को बेकार कर रही है. अमेरिकी सेना के पास बगदादी के इन ड्रोन का तोड़ पहले से मौजूद है. वो एक खास तकनीक के ज़रिए ऐसे ड्रोन के जीपीएस सिस्टम को जाम कर उन्हें नीचे उतार देते हैं. मगर जिन इराकी सैनिकों के पास ये तकनीक नहीं है वो बंदूक से निशाना लगाकर ही बगदादी के ड्रोन को बेकार कर रहे हैं.

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एक जानकारी के मुताबिक अब तक दो दर्जन आतंकी ड्रोन्स को इराकी सैनिक मारकर गिरा चुके हैं. बगदादी का ये उड़ता आतंकी भले खतरनाक साबित हो सकता हो, मगर इसका ये कतई मतलब नहीं है कि ये बगदादी की कोई बहुत बड़ी कामयाबी है. ऐसे ड्रोन बाज़ार में आम हैं, जिन्हें इंटरनेट पर जानकारियों के ज़रिए आसानी से असेंबल किया जा सकता है. इराकी सेना के कब्ज़े में बगदादी के ये वो तमाम ड्रोन हैं जो तबाही के मकसद से मोसुल में उड़ाए गए थे. मगर इन्हें पहले ही नाकाम कर दिया गया.

पिछले साल ही इराकी सेना को बगदादी के इस नए प्लान की भनक लग गई थी. जब मोसुल के कुछ इलाकों पर आईएस के ठिकानों पर ड्रोन बनाने के सामान मिले थे. जिसके बाद ही सेना ने एहतियात के लिए कई कदम उठाए और इसी वजह से बगदादी का प्लान फेल हो गया. शतरंज की बिसात की तरह ही बग़दादी ने दहशत की सल्तनत बचाने के लिए इराक और सीरिया में अपने मोहरें बिछा रखे हैं. इनमें कुछ छोटे हैं तो कुछ बड़े हैं. कुछ वज़नदार हैं तो कुछ बस प्यादे हैं.

मगर इस बिसात के प्यादों को कम मत समझिएगा. ये दिखते ज़रूर छोटे हैं. मगर असर इनका इतना है कि सामने वाले के किले को एक झटके में भेद देते हैं. इन्हीं को सामने रखकर बगदादी अपने सिंहासन को बचाने की जुगत लगा रहा है और इन्हीं से अब उसे सबसे ज़्यादा उम्मीद भी है. सिंजर की पहाड़ियों पर चढ़कर बगदादी के आतंकियों ने पिछले कई सालों में जो तबाही मचाई, हमने तो बस वही देखा. औरतों की इज़्ज़त को तार-तार किया गया. दुनिया ने आह भरी.

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बुज़ुर्गों और जवानों को मार दिया गया. सब का दिल बैठ गया. मगर कहानी वहीं खत्म हो जाती तो फिर भी गनीमत थी. हकीकत ये है कि कहानी तो उसके बाद शुरू होती है. बग़दादी के गढ़ से आई ये कहानी उन दो मासूमों की है जिनके बाप-दादाओं को बगदादी ने मार डाला. मां-बहनों की इज़्ज़त को उसके जल्लादों ने लूट लिया और उन्हें कयामत के इस दिन के लिए बचाकर रखा. जी ये कहानी अमजद और असद की है. वो दो यज़ीदी लड़के जिन्हें मां की गोद से आतंकी छीन लाए थे.

बरसों इनके दिमाग में ज़हर भरा गया. हाथों में खिलौने की जगह ये भारी भरकम एके-47 थमाई गई. और अब इन मासूमों की ज़िंदगी का फायदा उठाने की बारी बग़दादी की है. आज इन्हें बिलकुल अलग तरह का काम दिया गया है. ये अपने मिशन के हिसाब से गाड़ियों की वेल्डिंग कर रहे हैं. उसे पेंट कर रहे हैं. मगर सवाल ये कि आखिर इन नन्हें मासूमों को ऐसा क्या मिशन मिला है जिसके लिए ये बंदूक थाम कर खड़े हैं. असल में बगदादी इन्हें अपने खौफ को कम करने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है.

वो खौफ जो उसके लिए कुर्दिश, इराकी, शिया-मिलिशिया और अमेरिकी फौजों ने पैदा किया है. मौत का खौफ. बदला चाहता है बगदादी इन फौजों से. अपने आतंकियों की मौत का बदला. अपने ठिकानों के तबाह होने का बदला. अपनी ज़मीन के खो जाने का बदला. अपनी दहशत के कम हो जाने का बदला और उसके लिए ये तमाम बदले यज़ीदी कौम के ये दो बच्चे लेंगे. पिछले 3 सालों तक इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि अब ये अपना मज़हब भी बदल चुके हैं और अपना मक़सद भी.

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अब ये बगदादी के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार हैं. आतंक की ट्रेनिंग तो ये पहले ही ले चुके हैं और अब इन्होंने आतंक फैलाने की कसम भी खा ली है. ऐसा ब्रेन वॉश किया गया है इनका कि अब ये वही सोचते हैं जो बगदादी इन्हें सोचने के लिए कहता है. बगदादी उस बला का नाम है जो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है. वो सिर्फ इन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ देगा बल्कि इन्हीं के ज़रिए वो दुनिया को अपने आतंक का पैगाम पहुंचाएगा.

बच्चों को मिशन पर भेजने से पहले इन्हीं की ज़बानी वो दुनिया के भटके हुए नौजवानों को बरगलाने की कोशिश कर रहा है. इनके ज़रिए वो ये बताना चाह रहा है कि दुनिया कितनी बुरी और अकेला वो ही भला है. इंटरव्यू ख़त्म हुआ और अब इन बच्चों के लिए बग़दादी पर कुर्बान होने की बारी है. इनमें से एक को यानी अमजद को बारूद से भरी इस गाड़ी की चाबी दी गई है. जिसमें सिर्फ ड्राइवर के बैठने की जगह है वरना तो इसमें सिर्फ बारूद का अंबार भरा है.

अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि बगदादी ने इन्हें इतने बरस क्यों पाला है. वो इसलिए ताकि वो इन्हें फिदायीन बना सके और ये उसके लिए जान दे सकें. गाड़ी में लगे इस स्टार्ट बटन को दबाने के साथ ही शुरू हो गया मौत का सफर. टारगेट दूर खड़े सेना के ये टैंकर हैं, जिन्हें एक टक्कर के साथ तबाह और बर्बाद करना है. गलियों से होते हुए बारूद से भरी इस गाड़ी को अमजद ठीक उस जगह पर लेकर पहुंचा जहां इराकी सेना के ये चार टैंकर एक साथ खड़े हुए थे. एक धमाका हुआ. पूरा इलाका गूंज उठा. आग की लपटें सैकड़ों फीट ऊपर तक आई और एक पल में सब कुछ बर्बाद हो गया.

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