ईरान के चर्चित परमाणु वैज्ञानिक फखरीजादेह की हत्या के बाद जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. हत्या का आरोप इजराइल की खुफिया एजेंसी मौसाद पर है. इसलिए ईरान में इजराइल से बदला लेने की मांग तेज हो गई है. और तो और इजराइल के साथ-साथ ईरान में पुराने दुश्मन अमेरिका के खिलाफ भी जबरदस्त गुस्सा है. इसकी वजह ये है कि इजराइल और ईरान का पुराना 36 का आंकड़ा है. ऊपर से वक्त बेवक्त इजराइल अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है.
दरअसल, इजराइल हमेशा से ईरान पर नजर रखता रहा है. वो ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह को रास्ते से हटाना चाहता था. ऐसे में अब उनकी मोहसिन फखरीजादेह की हत्या के बाद इजराइल समेत कई पश्चिमों देशों के साथ ईरान के टकराव का खतरा पैदा हो गया है.
ईरान ने इस कत्ल के लिए सीधे-सीधे इजराइल पर आरोप लगा कर और बदला लेने की बात कह कर अपने इरादे भी जता दिए हैं. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खुमैनी ने इसका बदला लेने का ऐलान करते हुए ये साफ कर दिया है कि फखरीजादेह के जाने के बाद भी उनका काम यानी ईरान का परमाणु कार्यक्रम चलता रहेगा.
कहने का मतलब ये कि ईरान ये साफ कर दिया है कि वो अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे नहीं हटेगा. हालांकि ईरान ये बार-बार कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम जंग नहीं, बल्कि शांति और विकास के लिए है. ईरान के विदेश मंत्री ने भी ट्वीट कर कहा है कि हम मोहसिन के हत्यारों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करेंगे कि वह अपनी इस गलती पर पछताएगा.
ऐसे में खतरा है कि कहीं ये कत्ल दुनिया में महायुद्ध की शुरुआत ना कर दे. सवाल उठता है कि क्या ईरान इजराइल पर हमला कर सकता है? वैसे तो मौजूदा हालात में इसके आसार कम ही हैं क्योंकि खुमैनी ने यह भी कहा है कि वह दुश्मन के जाल में नहीं फंसना चाहते, बल्कि वो अपने तरीके से अपने दुश्मन से निपटना जानते हैं.
जानकारों की मानें तो इस कत्ल की दो वजहें हो सकती हैं. पहला ईरान-अमेरिका के संबंधों में सुधार की संभावना को खत्म करना. दूसरा- ईरान को उकसा कर उसे कार्रवाई के लिए मजबूर करना, ताकि उसका और नुकसान हो. शायद इसीलिए खुमैनी ने कहा कि वो दुश्मन के जाल में नहीं फंसेंगे. इससे साफ है कि ईरान कम से कम फौरन तो इजराइल पर कोई हमला नहीं करेगा.
इससे ये भी साफ है कि फिलहाल दुनिया में फौरन ही शायद युद्ध के हालात पैदा ना हों. क्योंकि ईरान जानता है कि अगर उसने अभी इजराइल पर हमला किया तो मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी. अमेरिका के साथ संबंधों में संभावित सुधार की राहें भी और मुश्किल हो जाएंगी. चाहें इस हमले के लिए जो भी जिम्मेदार हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इससे अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ेगा.
अमेरिका में दोबार राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके डोनाल्ड ट्रंप भी बार-बार ईरान पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वो खुफिया तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है. और कुछ ऐसी ही बातें कहते हुए अमेरिका ने ईरान के साथ हुए अंतराष्ट्रीय परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था. खबर ये भी थी कि इस महीने के शुरू में ट्रंप ने ईरान पर संभावित हमले के लिए अपने सैन्य सहयोगियों से मशविरा भी किया था. लेकिन बाद में वो इससे पीछे हट गए.
उधर, 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले जो बाइडेन ने साफ कर दिया है कि इस नए घटनाक्रम के चलते ईरान के साथ संबंध सुधारने की बाइडेन की कोशिशों को झटका लग सकता है. मौके की नजाकत को देखते हुए ही शायद व्हाइट हाउस, पेंटागन, अमेरिकी विदेश मंत्रालय या सीआईई, किसी ने भी ईरानी वैज्ञानिक की हत्या पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इस कत्ल से ईरान कितना खफा है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की तो ईरानी विदेश मंत्री ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया कि कितनी शर्म की बात है कि कुछ लोग आतंकवाद की निन्दा करने से बच रहे हैं और खुद को संयम की अपील के पीछे छिपा रहे हैं.
शम्स ताहिर खान