हाथरस केस: HC में दर्ज हुए पीड़िता के परिजनों के बयान, जानें अब तक क्या-क्या हुआ

लखनऊ के अलावा हाथरस में भी हलचल रही. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने भी मामला दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है. सीबीआई का जांच दल डीएसपी सीमा पाहुजा के नेतृत्व में चंदपा थाने पहुंचा.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई सुनवाई (फोटोः पीटीआई) इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई सुनवाई (फोटोः पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST
  • हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर जताई नाराजगी
  • रात में अंतिम संस्कार पर डीएम ने दी सफाई
  • सीबीआई की टीम भी जांच के लिए पहुंची हाथरस

हाथरस गैंगरेप केस का इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वतः संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिजनों के बयान दर्ज किए गए, वहीं कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी भी जताई.

हाईकोर्ट में पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाया कि अंतिम संस्कार के लिए परिवार की सहमति नहीं ली गई थी, ना ही उन्हें अंत्येष्टि में शामिल ही किया गया. डीएम ने रात में अंतिम संस्कार के पीछे मौके पर जुटी भीड़ और कानून-व्यवस्था को वजह बताया. इसपर पीड़िता के परिजनों ने डीएम को टोका भी कि वहां भारी पुलिस बल तैनात था, फिर कानून-व्यवस्था कैसे बिगड़ती?

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पीड़िता के परिजनों ने आगे की जांच में फंसाए जाने की आशंका जताई. साथ ही सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई. हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के साथ ही हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार और एसपी रहे विक्रांत वीर को भी तलब किया था. हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

वहीं, लखनऊ के अलावा हाथरस में भी हलचल रही. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी मामला दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है. सीबीआई का जांच दल पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सीमा पाहुजा के नेतृत्व में चंदपा थाने पहुंचा. इससे पहले सुबह पीड़िता के परिजनों को कड़ी सुरक्षा के बीच लखनऊ रवाना किया गया. उपजिलाधिकारी (एसडीएम) अंजलि गंगवार और सीओ भी परिजनों के साथ गए थे.

सुप्रीम कोर्ट में 15 अक्टूबर को सुनवाई

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गौरतलब है कि हाथरस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी 15 अक्तूबर को सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन सवाल पूछे थे. यूपी सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब देने के लिए 8 अक्टूबर तक का समय मांगा था. 8 अक्टूबर की समयसीमा गुजर जाने के 4 दिन बाद तक भी यूपी सरकार की ओर से कोई अतिरिक्त हलफनामा दायर नहीं किया गया है.

कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं? क्या पीड़ित परिवार के पास पैरवी के लिए कोई वकील है? सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी पूछा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमे की क्या स्थिति है? यूपी सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में अब तक कोई अतिरिक्त हलफनामा दायर नहीं किए जाने को लेकर कानून के जानकारों का कहना है कि यूपी सरकार शायद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में हुई सुनवाई और लगातार हो रहे डेवलपमेंट के आधार पर अधिकतम जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करेगी. 

पुलिस की भूमिका पर उठे थे सवाल

बता दें कि हाथरस की गैंगरेप पीड़िता का दिल्ली में उपचार के दौरान निधन हो गया था. निधन के बाद पीड़िता का शव हाथरस ले जाया गया था, जहां आधी रात के बाद पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार करा दिया था. पुलिस पर जबरन अंत्येष्टि कराने के आरोप लगे थे. पुलिस की भूमिका को लेकर सवाल उठे तो यूपी सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी थी. यूपी सरकार ने बाद में मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश भी कर दी थी.

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