पश्चिम बंगाल में अब डॉक्टर करेंगे कोरोना टेस्ट के लिए रेफर, पहले था ये नियम

बंगाल सरकार के नए फैसले के मुताबिक अब डॉक्टर किसी मरीज को संदिग्ध पाने पर सीधे कोविड टेस्ट के लिए रेफर कर सकते हैं. इससे पहले किसी भी मरीज का नाम दर्ज करवाने और उसके इलाज के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना आवश्यक था.

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बंगाल सरकार का बड़ा फैसला (फोटो-पीटीआई) बंगाल सरकार का बड़ा फैसला (फोटो-पीटीआई)

मनोज्ञा लोइवाल

  • कोलकाता,
  • 30 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 6:30 PM IST

  • अब इलाज के लिए राज्य सरकार के आदेश की जरूरत नहीं
  • डॉक्टर खुद मरीज को कोरोना जांच के लिए कर सकते रेफर

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच गुरुवार को एक अच्छी खबर आई है. बंगाल सरकार के नए फैसले के मुताबिक अब डॉक्टर किसी मरीज को संदिग्ध पाने पर सीधे कोविड टेस्ट के लिए रेफर कर सकते हैं. इससे पहले किसी भी मरीज का नाम दर्ज करवाने और उसके इलाज के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना आवश्यक था. पहले बिना राज्य सरकार की अनुमति के किसी भी संदिग्ध या मरीज को कोरोना के इलाज के लिए नहीं भेजा जा सकता था.

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ममता सरकार ने बुधवार को 4 मई से 'ग्रीन जोन' इलाकों में राहत देने की भी बात कही थी. बताया गया है कि छोटे दुकानदारों को राहत देने के लिए चाय-सिगरेट की दुकानें को खोलने की इजाजत दी जा सकती है. इसके साथ-साथ कुछ इलाकों में बसें और टैक्सियां भी चलाने की इजाजत मिल सकती है.

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मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि स्टैंड अलोन दुकानों को आवासीय क्षेत्रों में खोलने की अनुमति दी जा सकती है. इनमें इलेक्ट्रॉनिक दुकानें, मोबाइल फोन रिचार्ज की दुकानें, चाय स्टॉल और सिगरेट की दुकानें शामिल हैं. साथ ही ग्रीन जोन में कारखानों और निर्माण कार्य को फिर से शुरू करने की बात भी कही थी.

हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी इलाके में भीड़-भाड़ की इजाजत नहीं दी जाएगी. साथ ही जो लोग बाहर निकलेंगे वो अपने चेहरे पर मास्क जरूर लगाएंगे.

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मुख्यमंत्री ने इससे पहले कोविड-19 से जूझ रहे डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य प्रशासन को निर्देश जारी किया था. उन्होंने कहा था कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे प्रथम पंक्ति के लोगों को बचाने के लिए सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े संगठन बंग जननी ब्रिगेड का 'सदुपयोग' करें.

खबरें मिल रही थीं कि मेडिकल सेवा से जुड़े लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि उन्हें किराये के मकानों को खाली करने के लिए कहा जा रहा है. हालांकि ब्रिगेड के सदस्यों को समझ नहीं आ रहा है कि वे लॉकडाउन के दौरान यह काम कैसे करेंगे.

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लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए ममता बनर्जी की ऐसी कई कोशिशें जिस तरह पहले निष्फल साबित हो चुकी हैं, उसे देखते हुए इस कोशिश को लेकर भी गंभीर आशंकाएं हैं.

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