कोरोना महामारी के चलते साल 2020 भले ही दर्दनाक रहा हो, लेकिन साल के आखिरी दो महीने काफी आशा भरे हैं. एक तरफ, दुनिया का हर देश हर्ड इम्युनिटी के लिए एक अदद वैक्सीन की तलाश कर रहा है, वहीं भारत उन शीर्ष देशों में से है, जिसने 30 नवंबर तक वैक्सीन की सबसे ज्यादा डोज सुरक्षित कर ली है.
ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने कोरोना वैक्सीन की 1.6 अरब खुराक हासिल कर ली है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसके बाद यूरोपीय संघ ने 1.58 बिलियन खुराक सुरक्षित की है. अमेरिकी सरकार ने संभावित कोरोना वैक्सीन की लगभग 1.01 अरब डोज सुरक्षित की है.
क्रेडिट सुइस के अनुमान के मुताबिक, भारत को अपनी वयस्क आबादी के अधिकांश हिस्से का टीकाकरण करने के लिए करीब 1.7 अरब वैक्सीन की जरूरत है.
आंकड़ों से पता चलता है कि भारत खास तौर पर नोवावैक्स की वैक्सीन को सपोर्ट कर रहा है. भारत ने नोवावैक्स वैक्सीन (एक अरब डोज) की अधिकतम खुराक का प्रबंध किया है जबकि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ आधा अरब की डील हुई है. इसके अलावा भारत ने गेमालया रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैक्सीन स्पूतनिक-वी की करीब 1 करोड़ डोज सीक्योर करने में कामयाबी हासिल की है.
इन सभी संभावित वैक्सीन में से अभी कोई भी इस्तेमाल के लिए अप्रूव्ड नहीं हुई है. अब तक विभिन्न देशों की ओर से 7.1 अरब डोज की खरीद की पुष्टि हो चुकी है और 2.6 अरब डोज के लिए बातचीत चल रही है.
इस भारी खरीद के पीछे ड्यूक सेंटर का स्पष्टीकरण है कि “सीमित क्रय शक्ति और मध्यम आय वाले देश एडवांस मार्केट कमिटमेंट की कतार में आगे आने के लिए दूसरी रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. मैन्युफैक्चरिंग क्षमता वाले देश जैसे भारत और ब्राजील मैन्युफैक्चरिंग समझौतों के जरिये अग्रणी वैक्सीन कैंडीडेट्स के साथ बड़े मार्केट कमिटमेंट पर बातचीत करने में सफल रहे हैं.”
करीब 2.5 अरब डोज के साथ सबसे ज्यादा डिमांड ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की है. इसके बाद नोवावैक्स (1.32 अरब), सनोफी-जीएसके (0.73 अरब), फाइजर (0.65 अरब) और मॉडर्ना (0.38 अरब) हैं. ड्यूक सेंटर के अनुसार, गेमालया रिसर्च इंस्टीट्यूट की वैक्सीन के करीब 0.30 अरब डोज की खरीद की पुष्टि हुई है.
ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर ने ‘लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर’ प्रोजेक्ट के तहत कोरोना वैक्सीन के एडवांस खरीद सौदों की मैपिंग शुरू की है. इस सेंटर को बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन का सपोर्ट हासिल है जिसने वैक्सीन के निर्माण और खरीद को लेकर उपलब्ध सार्वजनिक आंकड़ों का संग्रह और विश्लेषण किया है.
आंकड़ों से पता चलता है कि कई देश वैक्सीन की ज्यादा से ज्यादा डोज हासिल करने की दौड़ में हैं. ज्यादा आय वाले देशों में अब तक 3.8 अरब डोज की खरीद की पुष्टि हो चुकी है. अपर-मिडिल आय वाले देशों ने 82.9 करोड़ डोज हासिल की है और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में अब तक 1.7 अरब से ज्यादा डोज की खरीद की पुष्टि हुई है.
दीपू राय