घोड़ों की एंटीबॉडी से कोरोना की दवा बना रही है ये भारतीय कंपनी, जानें बाजार में कब तक आएगी?

महाराष्ट्र की iSera Biological कोरोना की एक ऐसी दवा पर काम कर रही है जिसके इस्तेमाल से 72 से 90 घंटे में ही RTPCR की रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है. अभी इस दवा के पहले फेज का ट्रायल चल रहा है. अगर सब सही रहा तो इस साल के आखिर तक दवा बाजार में आ सकती है.

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ट्रायल के शुरुआती नतीजे अच्छे आए हैं. (फाइल फोटो-PTI) ट्रायल के शुरुआती नतीजे अच्छे आए हैं. (फाइल फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST
  • घोड़ों से तैयार हो रही कोरोना की एंटीबॉडी
  • एक इंजेक्शन की कीमत हजार रुपये होगी
  • साल के आखिर तक दवा आने की उम्मीद

कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के खिलाफ एक और दवा पर तेजी से काम चल रहा है. खास बात ये है कि कोरोना की ये दवा (Anti Covid Drugs) महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास बनी एक कंपनी बना रही है. इस कंपनी का नाम iSera Biological है, जो महज 4 साल पुरानी कंपनी है.

iSera Biological सांप के काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती हैं. लेकिन अब कंपनी कोविड (Covid) की दवा भी बनाने जा रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी की एंटी कोविड दवा का पहले फेज का ट्रायल चल रहा है और अभी तक जो नतीजे सामने आए हैं, वो काफी अच्छे रहे हैं. इस दवा के इस्तेमाल से 72 से 90 घंटे में ही कोरोना संक्रमित मरीज का RTPCR टेस्ट निगेटिव आ रहा है.

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कोविड की दवा बनाने में iSera Biological को पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भी मदद की है. दावा है कि कंपनी ने एंटीबॉडीज (Antibodies) का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण को फैलने से रोक सकता है और शरीर में मौजूदा वायरस को भी खत्म कर सकता है.

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घोड़ों से तैयार की एंटीबॉडी

खास बात ये है कि एंटीबॉडी को तैयार करने में घोड़ों की मदद ली गई है. कंपनी के डायरेक्टर (न्यू प्रोडक्ट) नंदकुमार गौतम ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "कोरोना वायरस से निकाले गए खास एंटीजन को घोड़ों में इंजेक्ट करके एंटीबॉडी डेवलप की गई है. सही एंटीजन को चुनने में SII ने मदद की. साथ ही उन केमिकल को भी चुनने में मदद की जो संक्रमित मरीज में एंटीबॉडी पैदा करते हैं." उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी डेवलप करने के लिए घोड़ों को इसलिए चुना गया, क्योंकि बड़ा जानवर होने की वजह से उनमें ज्यादा एंटीबॉडी तैयार होती है.

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उन्होंने आगे बताया, "ये प्रोसेस वैक्सीन (Vaccine) लगाने की तरह ही है. घोड़ों को कुछ खास तरीके के एंटीजन दिए गए थे, ताकि उनमें एंटीबॉडी पैदा हो. ये एंटीबॉडीज ठीक उसी तरह है, जैसे इंसान के शरीर में संक्रमित होने के बाद एंटीबॉडी बनती हैं." उन्होंने बताया कि घोड़ों से एंटीबॉडी लेने के बाद हाई प्यूरिफिकेशन प्रोसेस अपनाई गई, ताकि आखिर में मिलने वाली एंटीबॉडी कम से कम 95% प्योर हो.

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कोरोना के हर म्यूटेशन पर कारगर!

कोरोना मरीजों में एंटीबॉडी इंजेक्ट करने की प्रक्रिया को पहले भी आजमाया जा चुका है. जिसमें प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) भी शामिल है. प्लाज्मा थेरेपी को बहुत कारगर माना गया था, लेकिन इसके नतीजे काफी मिले-जुले थे. ब्लड प्लाज्मा के साथ दूसरे केमिकल भी निकलते हैं, जो मरीज पर अलग-अलग असर दिखाते हैं और ये असर नुकसानदायक भी हो सकता है.

iSera का दावा है कि उनकी दवा कोविड एंटीबॉडी का प्योर मिक्स्चर है, जिसे डॉक्टर की सलाह पर इस्तेमाल किया जा सकता है. कंपनी ये भी दावा करती है कि उनकी दवा बाकी मोनोक्लोनल दवा से काफी बेहतर है. खासतौर से स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी रोशे (Roche) की दवा से भी बेहतर है, जो अभी भारत में बिक रही है.

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नंदकुमार गौतम ने बताया, उनकी दवा 'पॉलीक्लोनल' एंटीबॉडी का मिक्स्चर है और मोनोक्लोनल प्रोडक्ट के मुकाबले वायरस को खत्म करने में ज्यादा कारगर है. लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि इस दवा के कोरोना के नए और पुराने म्यूटेशन के खिलाफ भी असरदार होने की ज्यादा संभावना है.

साल के अंत तक आ सकती है दवा!

ये दवा बाकी दूसरी दवाओं की तुलना में सस्ती भी हो सकती है. कदम ने कहा कि एक इंजेक्शन की कीमत हजार रुपये के आसपास होगी. अगर इस दवा को संक्रमण की शुरुआती स्टेज में ही मरीज को दे दिया जाए तो इसका असर काफी ज्यादा होगा. iSera इस साल सितंबर और अक्टूबर में फेज-2 और फेज-3 के ट्रायल करने की योजना बना रही है. अगर सबकुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक दवा बाजार में आ सकती है.

 

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