कैसे पकड़ में आएगा कोरोना का नया स्ट्रेन? जानें क्या है Genome sequencing

ब्रिटेन में सामने आए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने चिंता बढ़ा दी. सिर्फ ब्रिटेन में ही एक नया स्ट्रेन नहीं आया, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में भी कोरोना के नए स्ट्रेन के कुछ केस मिले हैं. जिसके बाद वैज्ञानिकों का मंथन शुरू हो गया है और इससे निपटने की तैयारियों पर फोकस है.

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यूके से आ रहे लोगों पर भारत में रखी जा रही नजर (PTI) यूके से आ रहे लोगों पर भारत में रखी जा रही नजर (PTI)

पंकज उपाध्याय

  • मुंबई,
  • 24 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST
  • ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन से कहर
  • भारत में भी बढ़ाई गई है सतर्कता

दुनिया जब कोरोना वैक्सीन आने का जश्न मना रही थी तभी ब्रिटेन में सामने आए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने चिंता बढ़ा दी. सिर्फ ब्रिटेन में ही एक नया स्ट्रेन नहीं आया, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में भी कोरोना के नए स्ट्रेन के कुछ केस मिले हैं. जिसके बाद वैज्ञानिकों का मंथन शुरू हो गया है और इससे निपटने की तैयारियों पर फोकस है.

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भारत में सरकार ने अभी कोरोना के नए स्ट्रेन से पैनिक ना करने की बात कही है, लेकिन डॉक्टरों ने अपना काम शुरू कर दिया है. अब वैज्ञानिक कोरोना के नए स्ट्रेन की Genome sequencing पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या ब्रिटेन से कोरोना का नया स्ट्रेन भारत में घुस पाया है या नहीं.

आखिर क्या है Genome sequencing?
हिन्दूजा हॉस्पिटल के डॉ. एल. पिंटो के मुताबिक, Genome sequence के जरिए किसी भी जीव की आनुवांशिक सामग्री को व्यवस्थित किया जा सकता है. वहीं वायरस के संदर्भ में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि वायरल प्रोटीन में होने वाले बदलाव के कारण वायरस फैल सकता है. genome sequence के जरिए इसी पूरी प्रक्रिया को आसानी से परखा जा सकता है और अध्ययन को आगे बढ़ाया जा सकता है.

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भारत में नया वायरस आया, कैसे पता चलेगा?
ये पूरी प्रक्रिया एक टेस्ट की तरह आधारित है, जो ये बताएगी कि नया स्ट्रेन भारत में आया या नहीं. ये रेगुलर तौर पर नहीं होता है, बल्कि रिसर्च करके किया जाता है. अगर किसी PCR टेस्ट में वायरल RNA के तीन जीन्स को देखा जाता है. इसी के जरिए तीन में से एक सिग्नल स्ट्रेन के लिए नेगेटिव होता है जो हमें शुरुआती जानकारी दे सकता है. अगर इस तरह का लक्षण कहीं नोट होता है, तो इसे तुरंत ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए.

नए वायरस से किसको अधिक खतरा?
यूनाइटेड किंगडम में अबतक नए स्ट्रेन से जुड़े जो मामले आए हैं उनमें ये देखा गया है कि युवाओं में इसका असर अधिक है. हालांकि, ये नई जेनरेशन के अलग तरीके से जुड़ा हो सकता है इसपर कोई ठोस बात नहीं कही जा सकती है. ऐसे में जबतक नए वायरस से जुड़े अलग-अलग मामले सामने नहीं आते हैं, तो कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकती है.

अबतक कोरोना वायरस के बारे में क्या जानकारी मिली?
डॉक्टर के मुताबिक, अभी तक दुनिया ने वायरस को पहचानने का काम किया है जिसने ये सिखा दिया है कि वायरस कैसे व्यवहार करता है. किस तरह किसी मरीज को सही तरीके से हैंडल किया जा सकता है. फिर चाहे किसी दवाई से जुड़ी जानकारी हो, वेंटिलेटर्स से जुड़े अनुभव. हमें अभी नए वायरस को लेकर कोई अधिक बातें नहीं करनी चाहिए, ऐसे में सबसे सटीक यही होगा कि सावधानी बरती जाएं.

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ब्रिटेन के बाद अफ्रीका में खतरा
आपको बता दें कि ब्रिटेन में कोरोना का जो स्ट्रेन मिला था वो मूल वायरस से सत्तर फीसदी ज्यादा संक्रामक था और अब बताया जाता है कि दक्षिण अफ्रीका वाला स्ट्रेन उससे भी ज्यादा संक्रामक है. ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन ने पहले ही क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टी के रंग में भंग डाल रखा था और अब दक्षिण अफ्रीका से आए कोरोना के नए स्ट्रेन ने दुनिया नई दहशत में और जकड़ लिया. 

ब्रिटेन वाला कोरोना स्ट्रेन अगर सुपरस्प्रेडर है तो बताया जाता है कि दक्षिण अफ्रीका वाला स्ट्रेन तो उससे भी कई गुणा आगे है. ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में सामने आए कोविड-19 के नए स्ट्रेन के दो केस ब्रिटेन में मिले हैं. लिहाजा दक्षिण अफ्रीका से यात्रा पर तुरंत रोक लगा दी गई है. दक्षिण अफ्रीका से आए लोगों या उनके संपर्क में आने वालों को तुरंत आइसोलेट होने के भी कहा गया है. 


 

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