भारत में कोरोना की दूसरी लहर ढलान पर है, लेकिन अभी भी हालात पूरी तरह से कंट्रोल में नहीं है. नए केस का आंकड़ा भले कम हो रहा है, लेकिन मरने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है. इस बीच कोरोना के B.1.617.2 वैरिएंट को लेकर विशेषज्ञों की एक रिसर्च ने चिंता बढ़ा दी है. रिसर्च के मुताबिक, अन्य वैरिएंट को B.1.617.2 टेक ओवर कर रहा है.
यूनाइटेड किंगडम, भारत में उत्पन्न हुए B.1.617 के B1617.1, B1617.2, और B.617.3 वैरिएंट को मॉनीटर कर रहा है. जीनोमिक सीक्वेंसिंग के विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि B.1.617.2 अन्य वैरिएंट को टेक ओवर कर रहा है, यहां तक कि यूके में उत्पन्न होने वाले केंट वैरिएंट B.1.1.7 को भी टेक ओवर कर रहा है.
केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों में B.1.617.2 ने कई मामलों को टेक ओवर कर लिया है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, बिहार जैसे राज्य में भी इस वैरिएंट के नए मामले सामने आ रहे हैं. जीनोमिक सीक्वेंसिंग विशेषज्ञ ने कहा कि 100 में से कम से कम 25-30 नमूने B.1617.2 के मिल रहे हैं.
सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक डॉ विनोद स्कारिया ने कहा कि B.1.617.2 के कई मामले सामने आ रहे हैं, खासतौर पर केरल के कई जिलों में B.1.617.2 के अधिक मामले हैं, देश में कोरोना की दूसरी लहर के लिए B.1.617.2 वैरिएंट ही जिम्मेदार है.
B.1.617.2 वैरिएंट ने बढ़ाई यूके की चिंता
B.1.617.2 वैरिएंट को लेकर दुनिया के कई देशों में चिंता बढ़ गई है. अब तक ये वैरिएंट 48 देशों में पहुंच चुका है. ब्रिटिश मीडिया ने कहा कि यूके के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने कहा कि वह इस वैरिएंट को लेकर चिंतित हैं, और कई विशेषज्ञों ने यूके में पाबंदियों को हटाने के फैसले को रोकने की मांग की है.
कई विशेषज्ञों का कहना है कि केंट वैरिएंट B.1.1.7 की तुलना में B.1.617.2 वैरिएंट 40 से 50 फीसदी तक ज्यादा तेजी से फैल सकता है और अभी 95 फीसदी संभावना है कि यूके में B.1.617.2 के मामले अधिक हो सकते हैं.
तेजी से फैल रहा है B.1.617.2 वैरिएंट
22 मई तक दुनियाभर में B.1.617.2 वैरिएंट के 7322 सिक्वेंस मिले हैं. outbreak.info के मुताबिक, दुनिया में इस वैरिएंट का प्रसार अभी 1 फीसदी है. भारत में इस वैरिएंट के 1124 सैंपल मिले है, 7 मई तक इसका प्रचार 15 फीसदी के करीब रहा. यूके पर इस वैरिएंट के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. अमेरिका में अभी इसका प्रसार 0.5 फीसदी ही है.
B.1.617.2 वैरिएंट पर कितनी कारगर है वैक्सीन
इस बीच यूके की Public Health England ने एक रिसर्च की है. इस रिसर्च में बताया गया कि Oxford की AstraZeneca जो भारत में Covisheild नाम से जानी जाती है, उसके दोनों डोज़ेज़ को भारत में पाए जा रहे B.1.617.2 वैरिएंट के खिलाफ़ 60 फ़ीसदी कारगर है. वहीं फाइजर इस दूसरे स्ट्रेन पर 88 फीसदी कारगार है.
इस स्टडी में एक और बात गौर करने वाली है की इसमें कोविशिल्ड और फाइजर की पहली डोज़ को B.1.617.2 वैरिएंट के खिलाफ़ 33 फिसदी कारगर बताया गया है. यानी कुल मिलाकर जोर इस बात पर दिया गया है कि वैक्सीन की दोनो डोज़ ज़रूरी है, अगर इस स्ट्रेन से लड़ना है तो.
यही वजह है कि यूके सरकार ने 15 मई को एक बार फिर कोविशिल्ड के दोनों डोज के बीच के गैप को कम करके 8 हफ्ते कर दिया है. भारत सरकार ने कोविशिल्ड की पहली और दूसरी डोज के बीच 12-16 हफ्तों का गैप रख दिया है और अब Public Health England की स्टडी में कोविशिल्ड की पहली डोज को 33 फीसदी प्रभावी बताया है.
कितना खतरनाक है B.1.617.2 वैरिएंट
विशेषज्ञ की माने तो B.1.617.2 वैरिएंट से संक्रमित सिर्फ 1.1 फीसदी लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ रहा है, जबकि B.1.617 वैरिएंट से संक्रमित 1.5 फीसदी लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ता है, इससे पता चलता है कि यह वैरिएंट थोड़ा कम प्रभावी है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जल्द ही B.1.617 वैरिएंट को B.1.617.2 टेकओवर कर लेगा.
मिलन शर्मा