कोरोना संकट पर आदित्य बोले- वायरस का पीछा करना जरूरी, एक्सीडेंटल CM नहीं हैं उद्धव

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कोरोना वायरस के संकट को लेकर बात की, साथ ही उन्होंने कहा कि मुंबई की तुलना किसी दूसरे शहर से करना गलत होगा.

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महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2020,
  • अपडेटेड 9:08 AM IST

  • कोरोना संकट पर आदित्य ठाकरे से खास बातचीत
  • वायरस का पीछा करना जरूरी: आदित्य
  • एक्सीडेंटल CM नहीं हैं उद्धव: आदित्य

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का संकट लगातार गहराता जा रहा है. सिर्फ महाराष्ट्र में ही कोरोना के मामले एक लाख के करीब पहुंच रहे हैं, जबकि अकेले मुंबई ने वुहान शहर को पीछे छोड़ दिया है. ऐसे में महाराष्ट्र किस तरह इस लड़ाई को लड़ रहा है, इसपर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने इंडिया टुडे से बात की.

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आदित्य ने कहा कि कोरोना संकट कितना भी हो आपको काम लगातार करना है, कुछ मामले ऐसे आते हैं जो डरा देते हैं. हमारी सरकार इस संकट में लगातार काम कर रही है, ऊपर से लेकर नीचे तक हर व्यक्ति आज काम कर रहा है. धारावी में अब लगातार मामले कम हो रहे हैं, हमें वायरस का पीछा करना पड़ेगा.

अपने पिता के मुख्यमंत्री बनने को लेकर आदित्य ठाकरे ने कहा कि उद्धव ठाकरे एक्सीडेंटल मुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि ये संयोग ही है कि कोरोना संकट के वक्त वो मुख्यमंत्री हैं और मुश्किल वक्त में वो महाराष्ट्र के लोगों की सेवा कर रहे हैं.

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'डबलिंग रेट कम करने की चुनौती'

कोरोना के मामलों को लेकर शिवसेना नेता बोले कि धारावी, वर्ली, मालेगांव जैसे इलाकों में अब मामले कम आने शुरू हो गए हैं, लेकिन अभी भी संकट बना हुआ है. जो सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं पूरी दुनिया में है, हमें वायरस का पीछा करना पड़ेगा बस यही एक रास्ता है. हमारा फोकस डबलिंग रेट को कम करने पर है, अब धारावी में 42 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं.

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'मुंबई की तुलना करना गलत'

सरकार में मुंबई के केयरटेकर मंत्री आदित्य ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में किसी महामारी को लेकर बहुत चुनौती आती है. इसकी किसी दूसरे शहर से तुलना नहीं की जा सकती है, दुनिया के कई शहरों से मुंबई काफी अलग है. यहां के जमीनी हालात काफी अलग हैं, ऐसे में हमें क्वारनटीन सेंटर बड़ी संख्या में बनाने पड़े. कुछ जगह पर पूरे परिवार को अलग-अलग जगह क्वारनटीन करना पड़ा.

दुनिया का हर शहर जहां कितनी भी अच्छी स्वास्थ्य की व्यवस्था हों, वो कोरोना के काल में संकट में आया है. BMC की ओर से लगातार तेजी से सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है, ताकि जमीनी स्तर पर लोगों को मदद जल्द से जल्द पहुंचाई जा सके.

शिवसेना नेता ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया और कहा कि हमारे यहां अभी करीब 16 एजेंसी काम कर रही हैं, अगर विपक्ष का कोई नेता सवाल करता है तो मैं समझा सकता हूं कि मुंबई में किस तरह काम हो रहा है. किसी भी शहर या राज्य को पटरी में लाने में वक्त लगता है, कोई कहे कि एक दिन में ठीक हो जाएगा तो यह झूठ होगा.

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बीजेपी की ओर से लगातार उठाए जा रहे सवालों पर भी शिवसेना नेता ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आक्रामकता से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है, मुख्यमंत्री के साथ मिलकर हर मंत्री अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है. सोशल मीडिया और मीडिया में राजनीतिक लड़ाई दिख रही है, लेकिन हम इस चक्कर में नहीं पड़े हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को जारी रखा है.

दुनिया में भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जो कोरोना के संकट में भी राजनीति में लगी हुई है. जिंदगी और काम को लेकर संतुलन बनाना जरूरी है, लेकिन लॉकडाउन को खोलने में काफी ध्यान रखना पड़ेगा. क्योंकि किसी को पता नहीं है कि खुलने के बाद किस तरह का रिएक्शन होगा, लेकिन खोलने से ज्यादा जरूरी लोगों की जान बचाना है.

'सत्ता में आते ही शुरू हुआ संकट'

शिवसेना नेता ने इंटरव्यू में कहा कि मुंबई जैसे शहर में अगर जरूरी क्षेत्र को खोलना भी है तो लोकल ट्रेन को खोलना जरूरी हो जाता है, क्योंकि यहां वह ही ट्रांसपोर्ट का बड़ा साधन है. जब हम सरकार में आए तो हमारा लक्ष्य राज्य में विकास करने का था, लेकिन इस बीच कोरोना संकट आ गया.

लॉकडाउन को लेकर आदित्य ने कहा कि लॉकडाउन को चार घंटे के नोटिस पर नहीं किया जा सकता, लॉकडाउन को प्लान करना जरूरी है. हमारी सरकार जब से सत्ता में आई है, हमने काफी चुनौतियां झेली हैं. लेकिन हम अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं और लगातार काम कर रहे हैं.

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टेस्टिंग को लेकर आदित्य ने बताया कि अगर हम टेस्टिंग करते हैं तो नंबर अपने आप ही बढ़ेंगे, लेकिन उसमें घबराना नहीं है क्योंकि हमें वायरस को पकड़ना है. अब हमारा फोकस इस पर है कि जो भी टेस्ट हो उसका रिजल्ट 24 घंटे के अंदर आना चाहिए. कोरोना के खिलाफ लड़ाई एक जंग की तरह है, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में भी स्टाफ की अलग चिंता है, कुछ जगह स्टाफ पहुंच नहीं पा रहा है.

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