राजस्थानः गांव में मॉडल संग आदिवासी महिलाओं का कैटवॉक, मास्क ने दिलाई लोकप्रियता

जयपुर के पास बीलवा गांव में आदिवासी महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बना रखा है. इस स्वयं सहायता समूह के जरिए ये छोटे-मोटे काम करती थीं. लेकिन जब कोरोना आया तो उन्होंने मास्क बनाना शुरू किया था. इनके मास्क की गुणवत्ता और डिजाइन को देखने के बाद भारत सरकार ने इसे खरीदना शुरू किया और उनका बिजनेस चल निकला.

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आदिवासी महिलाओं के साथ बैठी एक मॉडल (फोटो-शरत) आदिवासी महिलाओं के साथ बैठी एक मॉडल (फोटो-शरत)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 22 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:32 AM IST
  • कोरोना दौर में मास्क का बिजनेस चल निकला
  • आदिवासी मंत्रालय कर रहा इनके मास्क की खरीद
  • व्यवसायिक उत्पादन के लिए मॉडल्स को बुलाया

राजस्थान के एक आदिवासी गांव में अद्भुत तस्वीरें नजर आई जहां आदिवासी महिलाएं देशभर से आईं मॉडल्स के साथ गांव में कैटवॉक कर रही थीं. जयपुर के पास बीलवा गांव की महिलाओं के बनाए मास्क अब देश से बाहर भी भेजे जा रहे हैं.

दरअसल, ये आदिवासी महिलाएं मास्क बनाने का काम करती हैं जिसकी खरीद बड़ी संख्या में आदिवासी मंत्रालय कर रहा है. इसी वजह से महिलाएं अब व्यवसायिक उपयोग के लिए इन मॉडल्स का सहारा ले रही हैं.

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फैशन शो में बड़े-बड़े डिजाइनरों के लिए आपने मॉडलिंग देखी होगी लेकिन गांवों में भैंसों के तबेले और नालियों के बीच गांवों की गलियों में देशभर से आईं मॉडल्स की कैटवॉक देखकर हर कोई हैरत में था. आदिवासी महिलाओं ने मास्क बनाने का काम शुरू किया था. उसके बाद इन्हें केंद्र सरकार के आदिवासी मंत्रालय से काफी अच्छे ऑर्डर मिले. इसके बाद उन्होंने इसके व्यवसायिक उत्पादन के लिए गांवों में मॉडल्स को बुलाया और यहां पर अपने साथ शूटिंग कर रही हैं.

जयपुर के पास है गांव

दरअसल, जयपुर के पास बीलवा गांव में आदिवासी महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बना रखा है. इस स्वयं सहायता समूह के जरिए ये छोटे-मोटे काम करती थीं. लेकिन जब कोरोना आया तो उन्होंने मास्क बनाना शुरू किया था. इनके मास्क की गुणवत्ता और डिजाइन को देखने के बाद भारत सरकार की ट्राइबल मिनिस्ट्री और ट्राइब्स इंडिया ने इन्हें लाखों का ऑर्डर दिया जिसके बाद मास्क बना रहीं इन महिलाओं ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. यहां हर घर में मास्क बनता है जो देश से बाहर तक जा रहा है.

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इंदिरा सहायता समूह चलाने वाली इंद्रा मीणा ने कहा कि कोरोना के समय हम ख़ाली बैठे थे तो हमने तय किया कि मास्क बनाकर हम सप्लाई करेंगे. हमारे मास्क लोगों को बहुत पसंद आए. अब जब डिमांड बढ़ी तो हमने तय किया कि इसके व्यवसायिक उत्पादन के लिए हम मॉडल्स की सहायता लेंगे और इसी वजह से हमने इवेंट कंपनी से संपर्क कर गांव में मॉडल्स बुलाए हैं.

मॉडल भी गांव आकर खुश

मुंबई के अलावा दिल्ली और कोलकाता से आई मॉडल्स गांव में इन महिलाओं के साथ बेहद खुश नजर आ रही थीं. इनका कहना था कि वह पहली बार इस तरह से देख रही हैं कि गांवों में भी महिलाओं के अंदर कितनी कारीगरी और हुनर छिपा है.

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बीलवा गांव के ज्यादातर पुरुष जो जयपुर में रोजगार करते थे या नौकरी करते थे वो कोरोना की वजह से बेरोजगार हो गए थे. लेकिन गांव की आदिवासी महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह के जरिये मास्क निर्यातक गांव के रूप में पहचान बना ली. यहां के पैटर्न और फैब्रिक हर जगह पसंद किए जा रहे हैं.

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