अमेरिका के लिए पिछले कुछ साल बेहद मुसीबत भरे रहे. इस साल कोरोना की विपदा आ गई. यही नहीं, अमेरिका को जून से नंवबर के बीच कुदरत के कहर फिर सामना करना पड़ सकता है. अगर अमेरिकी सरकार ने सही कदम नहीं उठाए और सही फैसले नहीं लिए तो मुसीबत बहुत बड़ी हो सकती है. इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है. आइए जानते हैं इन तीन बड़ी मुसीबतों के बारे में...
अमेरिका ने हाल ही में 1200 साल का सबसे भयावह सूखा देखा है. ये सूखा 18 साल तक चला. यानी साल 2000 से 2018 तक. सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ दक्षिण-पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका के इलाके. इसके पीछे बड़े कारण हैं इंसानी गतिविधियां- जंगलों की कटाई, बढ़ता प्रदूषण आदि. (फोटोः AFP)
अमेरिका के इस भयानक सूखे का अध्ययन किया है कोलंबिया यूनिवर्सिटी के हाइड्रोक्लाइमेटोलॉजिस्ट पार्क विलियम्स और उनकी टीम ने. पार्क विलियम्स की टीम ने अमेरिका के 1586 स्थानों पर जाकर हजारों पेड़ों, मिट्टी, जलस्तर, नमी और वातावरण का अध्ययन किया. (फोटोः AFP)
पार्क विलियम्स की यह रिपोर्ट
साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. पार्क की टीम ने दक्षिण-पश्चिमी अमेरिकी राज्यों और उत्तर पश्चिमी मेक्सिको के 1586 स्थानों की जांच करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है.
(फोटोः AFP) पार्क ने बताया कि इससे पहले अमेरिका और मेक्सिको के इन इलाकों में इतना लंबा सूखा साल 800 में आया था. 850 से 1600 के बीच भी कई बार सूखे की स्थिती आई लेकिन इतनी भयावह नहीं थी. साल 1575 से 1593 के बीच एक बड़ा सूखा पड़ा था. लेकिन, इस बार का सूखा ज्यादा भयावह है. (फोटोः AFP)
इस सूखे से अभी तक अमेरिका उबर नहीं पाया है. इसी की वजह कैलिफोर्निया जैसे प्रांतों में पानी की कमी हो गई गई है. आग लगी रहती है. इसी बीच, कोरोना वायरस के हमले की चपेट में आया अमेरिका शुरुआती लापरवाहियों के चलते अब खस्ताहाल है. (फोटोः रॉयटर्स)
अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 7.89 लाख से ज्यादा लोग बीमार है. जबकि, 45 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है अमेरिकी सरकार द्वारा फैसला लेने में की गई लेटलतीफी. (फोटोः रॉयटर्स)
जब अमेरिका को लॉकडाउन करना चाहिए था. जब उसे टेस्ट बढ़ाने चाहिए थे. तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की पैरवी में लगे हुए थे. जिसे लेकर पूरी दुनिया के डॉक्टर और वैज्ञानिक कह चुके हैं कि इस दवा से कोरोना मरीज का ठीक होना संभव नहीं है. (फोटोः रॉयटर्स)
चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से नाराज डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पर मिलीभगत का आरोप लगाया. WHO की फंडिंग रोक दी. दूसरे देशों से आने वाले लोगों पर रोक लगा दी. अमेरिका के इन फैसलों से दुनियाभर पर असर पड़ा. (फोटोः रॉयटर्स)
इस समय कोरोना वायरस का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट अमेरिका और न्यूयॉर्क बने हुए हैं. अमेरिका के बाद यूरोपीय देश स्पेन, इटली, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम हैं. इन देशों में लाखों की संख्या में लोग कोरोना वायरस की वजह से बीमार हुए हैं. हजारों की संख्या में लोग मारे गए हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इससे ज्यादा भयावह स्थिति बन सकती है अगर जून तक कोरोना वायरस का कोई रोकथाम नहीं हुआ तो. क्योंकि, जून से अमेरिका के ऊपर नई मुसीबत मंडराने लगेगी. इस मुसीबत का नाम है तूफान, हरिकेन और साइक्लोन. जिसकी भविष्यवाणी यूएस नेशनल ओशिएनोग्राफिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (USNOAA) और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के हाइड्रोलॉजिक एंड एटमॉस्फियरिक साइंसेज ने की है. (फोटोः AFP)
दोनों संस्थानों ने कहा है कि कि इस बार अमेरिका में भारी मात्रा में तूफान, हरिकेन और साइक्लोन आने की आशंका है. ऐसी ही भविष्यवाणी अटलांटा की एक निजी मौसम कंपनी द वेदर चैलन ने भी की है. (फोटोः AFP)
द वेदर चैनल के अनुसार इस साल 1 जून से लेकर 30 नवंबर के बीच 18 तूफान आएंगे. इनमें से 9 हरिकेन होंगे. वहीं, USNOAA के मुताबिक इस साल इन छह महीनों में 12 तूफान आएंगे, जिनमें से 6 हरिकेन होंगे. (फोटोः गेटी)
वेदर चैनल ने बताया है कि चार हरिकेन भयानक स्तर के होंगे. ये कैटेगरी तीन से ऊपर के हो सकते हैं. मतलब ये कि जब ये हरिकेन आएंगे तब हवा की रफ्तार 178 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार या उससे कहीं ज्यादा हो सकती है. (फोटोः गेटी)
कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी ने भी भयानक तूफान और हरिकेन आने की आशंका जताई है. सभी ने इस सीजन के इतने भयावह होने के पीछे हाई-सी सरफेस टेंपरेचर को कारण बताया है. अटलांटिक महासागर का पानी गर्म होकर हवा के साथ नमी बनाएगा. यही तूफानों को हवा देगा. (फोटोः गेटी)
अटलांटिक महासागर की गर्मी की वजह से हरिकेन और तूफानों की संख्या बढ़ती हुई दिख रही है. वैज्ञानिकों ने पिछले 30 सालों का अध्ययन करके यह नतीजा निकाला है. एरिजोना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि 1993 के बाद इस बार अटलांटिक महासागर में गर्मी ज्यादा है. जून आते-आते इसका भयावह असर होगा. जितनी ज्यादा गर्मी महासागर में बढ़ेगी, अमेरिका के ऊपर उतना ही खतरा बढ़ जाएगा. (फोटोः गेटी)
एरिजोना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं काइल डेविस और जुबिन जेंग ने कहा कि यह अभी अप्रैल की भविष्यवाणी है. जून के शुरूआत में हम एक और भविष्यवाणी जारी करेंगे. हमने 1993 से लेकर पिछले साल तक का डेटा खंगाला है. (फोटोः गेटी)
काइल डेविस ने कहा कि हमने देखा कि जिस साल महासागर में गर्मी बढ़ी है. उस साल अमेरिका में तूफानों और हरिकेन की संख्या और भयावहता भी बढ़ी है. (फोटोः गेटी)
काइल ने कहा कि हमारी गणना के अनुसार इस बार अटलांटिक महासागर की गर्मी की वजह से 10 हरिकेन आएंगे, जिनमें से 5 बेहद गंभीर स्तर के होंगे. 19 समुद्री तूफान आएंगे. और 163 बार तेज बारिश और आंधी की संभावना है. (फोटोः गेटी)