जापान में गुरुवार तक कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले महज 924 थे और इससे मरने वालों की संख्या 29. दूसरी तरफ जापान के पड़ोसी चीन में अब तक कोरोना से संक्रमण के 81 हजार मामले सामने आ चुके हैं और नौ हजार के आसपास दक्षिण कोरिया में. विशेषज्ञ इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर जापान में इतने कम मामले क्यों हैं. क्या वाकई जापान ने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है? कुछ लोग भारत के मामले में ही दिए जा रहे तर्क को जापान के लिए भी दोहरा रहे हैं. कहा जा रहा है कि आबादी के लिहाज से कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जितना टेस्ट किया जाना चाहिए था, वो नहीं हो रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मनितोबा में वायरल पैथोजेनेस के प्रोफेसर जैसोन किंद्राचक का कहना है कि अगर कोई मुल्क अपने बड़े पैमाने पर टेस्ट नहीं करेगा तो मामले भी कम ही सामने आएंगे.
ऐसा केवल प्रोफसर जॉनसन का ही मानना नहीं है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व चीफ ऑफ हेल्थ पॉलिसी केंजी शिबुया ने ब्लूमबर्ग से कहा है कि जापान का पूरा ध्यान या तो कम्युनिटी संक्रमण रोकने पर है या अभी तक वहां के पूरे मामले सामने आने बाकी हैं. जापान की आबादी 12.6 करोड़ है और यहां बीते महीनों में 32,125 टेस्ट ही हुए हैं. हालांकि यहां कई ऐसे लोग भी हैं जिनका टेक्स्ट एक से ज्यादा बार किया गया है. जापान में टेस्ट असल में 16,484 लोगों का ही हुआ है.
दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया की आबादी महज पांच करोड़ है और कोरोना वायरस के संक्रमण के टेस्ट दो लाख 70 हजार लोग के किए गए हैं. मतलब दक्षिण कोरिया में हर 185वें व्यक्ति में से एक का टेस्ट किया गया है. दक्षिण कोरिया ने बहुत सुनियोजित तरीके से टेस्ट को अंजाम दिया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जापान अपनी टेस्टिंग क्षमता का दो तिहाई ही इस्तेमाल कर रहा है. जापान में हर दिन 7,500 लोगों के टेस्ट किए जा सकते हैं लेकिन वहां के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि अभी इसकी जरूरत नहीं है. जापान उन पहले देशों में से एक है जहां चीन से बाहर कोरोना वायरस के मामले पाए गए थे. जापान में कोरोना का पहला मामला 16 जनवरी को सामने आया था. इसके बाद मामले लगातार बढ़ते गए लेकिन डायमंडर प्रिंसेस क्रूज शिप के बाद से मामले थम गए थे. पिछले महीने जापान ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाए थे.
जापान ने एक फरवरी को ही चीन के हूबे प्रांत के लोगों की एंट्री अपने यहां बंद कर दी थी. 13 फरवरी को शिनजियांग प्रांत के लोगों की एंट्री बंद की. इसके बाद जापान में स्कूल बंद किए गए ताकि सड़क पर भीड़ कम की जा सके. अब भी टोक्यो में ट्रेन और रेस्तरां बंद ही हैं.
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जापान में कोरोना वायरस का संक्रमण इसलिए भी कम है क्योंकि वहां कि संस्कृति भी वैसी है. जापान के लोग बहुत सोशल नहीं होते हैं. उन्हें एकांत पसंद है. जापान के लोग सालों से बीमार होने या एलर्जी के मामले में मास्क पहनते हैं. जापनियों के लिए मास्क उनकी दैनिक ज़रूरतों का हिस्सा है. इन वजहों से भी जापान में कोरोना का संक्रमण बाकी देशों की तुलना में कम फैला है.
चीन के पड़ोसी देश उत्तर कोरिया में भी कोरोना वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आने का दावा किया जा रहा है. हालांकि, दुनिया भर के विश्लेषकों को शक है उत्तर कोरिया कोरोना वायरस के मामलों को छिपा रहा है. सरकारी मीडिया का दावा है कि सरकार ने इतने आक्रामक तौर पर कोरोना वायरस का मुकाबला किया कि उनके यहां कोई संक्रमित नहीं हुआ.
कोरोना वायरस को रोकने में ताइवान की भी सराहना की जा रही है. चीन में करीब 850,000 ताइवानीज रहते हैं और काम करते हैं, ऐसे में ताइवान चीन के बाद कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित हो सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
जब वायरस को तमाम देश समझ भी नहीं पा रहे थे और इसके संक्रमण की दर भी साफ नहीं हुई थी, तब से ही ताइवान ने इससे लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी थीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन से संकेत मिलने का इंतजार करने के बजाय ताइवान ने अतीत में मिले अनुभवों पर भरोसा जताते हुए काम करना शुरू कर दिया था.
ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में जनस्वास्थ्य और मानव विज्ञान के प्रोफेसर चुनहेई ची ने अलजजीरा को दिए इंटरव्यू में बताया, ताइवान खतरनाक वायरस SARS से पहले भी बुरी तरह प्रभावित हो चुका है और उसने इससे कड़ा सबक लिया. इस बार कोरोना वायरस की एंट्री पर ताइवान पूरी तैयारी के साथ सामने आया. फरवरी के पहले सप्ताह से ही ताइवान ने सर्जिकल मास्क वितरित करना शुरू कर दिया और चीन से यात्रा कर रहे लोगों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी. वहीं मकाउ और हॉन्ग कॉन्ग से आने वाले लोगों को 14 दिनों तक एकांत में रखा गया.
तमाम सार्वजनिक इमारतों में हैंड सैनिटाइजर और फीवर चेक अनिवार्य कर दिया गया. यही नहीं, ताइवान सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल व अन्य एजेंसियों ने कोरोना के नए मामलों और उनके द्वारा यात्रा की गईं जगहों की जानकारी को लेकर नियमित तौर पर लोगों को एसएमएस अलर्ट भेजे. ऐसे में जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है, ताइवान और दक्षिण कोरिया से तमाम देश प्रेरणा ले सकते हैं.