कोरोना ने वैसे तो पूरे देश में मौत का तांडव मचा रखा है लेकिन सबसे ज्यादा कहर दिल्ली, मुंबई, इंदौर, जयपुर और पुणे में हैं. इन शहरों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही जबकि उस रफ्तार में मरीज डिस्चार्ज नहीं हो रहे. यही नहीं, इन शहरों में मौत की दर भी राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है. (Photo: PTI)
इंदौर शहर कोरोना के रेड जोन में शामिल है. घनी आबादी वाला ये शहर कोरोना संकट में देश के लिए टेंशन का सबब बना हुआ है.
मध्य प्रदेश के 1592 कोरोना केस में आधे से भी ज्यादा 945 केस इंदौर के हैं. मध्य प्रदेश में ठीक हुए 148 मरीजों में 77 इंदौर के हैं. जब एमपी में कोरोना से हुई कुल 80 मौत में सबसे ज्यादा 53 लोग इंदौर से हैं.
इंदौर के साथ सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि यहां रिकवरी यानी मरीजों के ठीक होने की दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है जबकि मृत्यु दर ज्यादा है. कोरोना वायरस से मरीजों के ठीक होने की दर यानी रिकवरी रेट 19.90 है. यानी 100 केस में करीब 20 ठीक हो चुके हैं लेकिन मध्य प्रदेश में रिकवरी रेट सिर्फ 9.29 है. इंदौर में इससे भी कम 8.14 है.
इसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर अगर कोरोना से प्रति सौ केस मृत्यु दर 3.18 है तो एमपी में 5.92 और इंदौर में 5.60 है. इंदौर में कोरोना के आतंक का आलम ये है कि यहां के एमवाय अस्पताल की दो नर्सों ने दम तोड़ दिया. (Photo: PTI)
जयपुर के रामगंज इलाके में पुलिस की भारी मौजूदगी से ऐसा लगता है मानो अपराध की कोई बड़ी वरदात हुई हो लेकिन ये पुलिस वाले मानवता के सबसे बड़े अपराधी कोरोना वायरस के खिलाफ इलाके में तैनात हैं. रामगंज लगातार कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ और इसकी वजह से जयपुर शहर देश के लिए टेंशन का सबब.
राजस्थान के 1890 केस में अकेले जयपुर से 737 हैं लेकिन राजस्थान में कोरोना से ठीक हुए 230 लोगों में जयपुर से सिर्फ 58 हैं, जबकि सूबे में जिन 27 लोगों ने कोरोना से जान गंवाई है उसमें आधे से ज्यादा 14 जयपुर से हैं.
अगर रिकवरी रेट की बात करें तो राजस्थान में रिकवरी रेट 1.21 है जबकि जयपुर शहर में रिकवरी रेट 7.86 है. मृत्यु दर की बात करें तो राजस्थान में ये दर 1.42 है जबकि जयपुर में 1.89. हालांकि कोरोना के राष्ट्रीय मृत्यु दर 3.18 से यहां स्थिति बेहतर है. (Photo: PTI)
अगर दिल्ली की बात करें तो यहां कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर अच्छी है. दिल्ली में अब तक 2248 केस सामने आए हैं जिनमें 724 ठीक हो चुके हैं. इस तरह यहां रिकवरी रेट 32.20 है तो राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है. दिल्ली में 48 लोग कोरोना से जान गंवा चुके हैं. दिल्ली में कोरोना मृत्यु दर 2.13 है जो राष्ट्रीय मृत्यु दर से बेहतर है. (Photo: PTI)
चकाचौंध और रफ्तार का शहर मुंबई इन दिनों सन्नाटे का शहर बन गया है. कोरोना वायरस ने पूरे शहर को लॉक कर रखा है. देश के किसी राज्य में कोरोना के जितने केस नहीं हैं उससे ज्यादा केस सिर्फ मुंबई शहर में हैं. कोरोना के आंकड़े महाराष्ट्र की नहीं देश की भी टेंशन बढ़ा रहे हैं.
महाराष्ट्र के 5649 केस में अकेले मुंबई से 3683 केस हैं. महाऱाष्ट्र में कुल 789 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे तो मुंबई में ऐसे मरीजों की संख्या 425 है. महाराष्ट्र में 269 मरीजों की कोरोना से जान जा चुकी है इनमें अकेले में मुंबई 161 लोगों की मौत हो चुकी है.
अगर रिकवरी रेट की बात करें तो मुंबई में मरीजों के ठीक होने की रफ्तार प्रति सौ मरीज करीब 11 की है, राष्ट्रीय स्तर से करीब 8 कम. इसी तरह मृत्यु दर के पैमाने पर भी मुंबई चिंता का सबब है. यहां प्रति सौ मरीज में 4 से ज्यादा मरीज मर रहे हैं जो राष्ट्रीय दर से ज्यादा है.
हालांकि अच्छी बात ये है कि कोरोना केस के दोगुना होने की रफ्तार में कमी आई है. पहले पांच दिन में मरीज दोगुना हो रहे थे अब इसमें सात दिन लगते हैं. कोरोना पर काबू पाने के लिए ही महाराष्ट्र में 465 कंटेंनमेंट जोन बनाए गए हैं. (Photo: PTI)
मुंबई से सटा पुणे शहर भी कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बना हुआ है. ये देश के उन चुनिंदा शहरों में है जिसे सबसे पहले लॉकडाउन किया गया था. इस शहर के साथ भी चिंता की बात ये है कि रिकवरी रेट में ये शहर देश के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहा. शहर में कोरोना को रोकने के लिए प्रशासन को 116 जगहों को कंटेंनमेंट एरिया में तब्दील करना पड़ा है.
पुणे में कोरोना के कुल 934 केस हैं. इनमें 141 ठीक हो चुके हैं. एक्टिव केस 681 हैं जबकि 59 लोगों की मौत हुई है.
पुणे में कोरोना से रिकवरी रेट करीब पंद्रह फीसदी है. राष्ट्रीय दर करीब 20 फीसदी से पांच कम लेकिन मृत्यु दर यहां छह से ज्यादा है. जो देश की तुलना में करीब दोगुनी है. (Photo: PTI)