Bank Locker Rules: बैंक लॉकर से चीजें गायब... कौन जिम्मेदार? क्या बैंक भरेगा हर्जाना या करेगा इनकार, जानिए नया नियम

RBI के संशोधित नियमों के मुताबिक, बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा कराए गए लॉकर एग्रीमेंट में कोई अनुचित शर्त तो शामिल नहीं हैं, जिससे ग्राहक को नुकसान होने पर बैंक आसानी से किनारा कर सके.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

बैंक लॉकर (Bank Locker) में चीजें सुरक्षित रहेंगी, घर पर रखने में खतरा है. इसी सोच के साथ लोग लोग बैंक लॉकर में बेशकीमती चीजें, खासकर गहने रखते हैं. लेकिन क्या सही में बैंक लॉकर सुरक्षित है? अगर आप भी बैंक लॉकर में सामान रखते हैं तो पहले नियम जान लें. बैंक लॉकर में रखीं चीजों की क्या बैंक गारंटी लेता है?

अगर बैंक में रखीं चीजें चोरी हो जाती हैं, तो फिर क्या होगा? पिछले दिनों ऐसी घटनाएं सामने आई थीं कि दीमक बैंक लॉकर में रखे पैसे खाई गई, क्या उसका भरपाई बैंक करेगा? आइए जानते हैं  कि बैंक लॉकर को लेकर RBI की नई गाइडलाइंस क्या है और आप बैंक लॉकर में क्या-क्या रख सकते हैं.

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रिजर्व बैंक ने अगस्त-2022 में सेफ डिपॉजिट लॉकर (Safe Deposit Locker) को लेकर नए नियम जारी किया है. इस नियम के तहत बैंकों को एक जनवरी 2023 तक मौजूदा लॉकर्स होल्डर्स के साथ एग्रीमेंट रिवाइज करना था. ये नियम पुराने लॉकर्स होल्डर्स पर लागू होने थे. नए ग्राहकों पर ये नियम जनवरी 2022 से ही लागू हैं. 

क्या है नया नियम?
नए नियमों के तहत बैंकों को खाली लॉकरों की लिस्ट और वेटिंग लिस्ट दिखानी जरूरी होगी. इसके अलावा बैंकों के पास लॉकर के लिए कस्टमर्स से एक बार में ज्यादा से ज्यादा तीन साल का किराया लेने का अधिकार होगा. सबसे बड़ी बात यह कि किसी ग्राहक को नुकसान होने की स्थिति में अब बैंक शर्तों का हवाला देकर मुकरा नहीं सकेगा, बल्कि ग्राहक की पूरी भरपाई हो सकेगी.

जिम्मेदारियों से नहीं बच सकेंगे बैंक
RBI के संशोधित नियमों के मुताबिक, बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा कराए गए लॉकर एग्रीमेंट में कोई अनुचित शर्त तो शामिल नहीं हैं, जिससे ग्राहक को नुकसान होने पर बैंक आसानी से किनारा कर सके. क्योंकि कई बार देखने को मिलता है कि बैंक एग्रीमेंट के शर्तों का हवाला देते हुए अपनी जिम्मेदारियों से किनारा कर लेते हैं.

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RBI Rule के मुताबिक बैंक की लापरवाही के चलते लॉकर में रखे सामान के किसी भी नुकसान के मामले में बैंक भुगतान करने के पात्र होंगे. बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे परिसर की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाएं, जिसमें लॉकर हैं. यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बैंक की है कि नुकसान आग, चोरी/डकैती, इमारत का गिरना बैंक के परिसर में उसकी अपनी कमियों, लापरवाही और किसी चूक/कमीशन के कारण नहीं हो सके. 

बैंक लॉकर में क्या-क्या रख सकते हैं? 
बैंक लॉकर के नए नियमों के मुताबिक बैंक और ग्राहकों को नए एग्रीमेंट में स्पष्ट तौर पर ये उल्लेख करना होगा कि वहां किस तरह का सामान रखा जा सकता है, और किस तरह का नहीं. भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक, बैंक लॉकर में ग्राहक सिर्फ ज्वेलरी, जरूरी दस्तावेज और कानूनी तौर पर वैध सामान ही रख सकेंगे. बैंक लॉकर तक केवल ग्राहक को एक्सिस मिलेगा, यानी परिवार के लोग या और किसी और को लॉकर खोलने की सुविधा नहीं होगी.

RBI के नियम के मुताबिक लॉकर से नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार होंगे. लेकिन भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण लॉकर सामग्री की क्षति या हानि के मामले में बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी, यानी पूरा नुकसान ग्राहक को उठाना पड़ेगा. 

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हालांकि बैंक में आग, चोरी, डकैती, इमारत ढहना जैसे मामले में अगर लॉकर के ग्राहक को आर्थिक नुकसान पहुंचता है तो उसका वहन बैंक करेगा, क्योंकि ऐसे हादसों को बैंक रोक सकता है. लेकिन यहां मुआवजे को लेकर भी एक शर्त है. बैंकों की जिम्मेदारी लॉकर के वार्षिक किराये के 100 गुना तक ही होगी, इसलिए आपको लॉकर को लेकर सालाना किराये के 100 गुने से अधिक कीमत का सामान लॉकर में रखने से बचना चाहिए.

उदाहरण के लिए लॉकर का सालाना किराया 1000 रुपये है, तो लॉकर में रखे सामान गायब होने पर मुआवजे के तौर पर किराये के 100 गुना यानी केवल 1 लाख रुपये ही ग्राहक को मिलेंगे.  

बैंक लॉकर में क्या नहीं रख सकते
बैंक लॉकर में हथियार, नकदी या विदेशी मुद्रा या दवाएं या कोई घातक जहरीला सामान नहीं रखा जा सकेगा. अगर लॉकर में कैश रखते हैं तो ये नियम के खिलाफ होगा और नुकसान पर बैंक कतई जिम्मेदार नहीं होगा. एक रुपया हर्जाना नहीं मिलेगा. अगर बैंक लॉकर का पासवर्ड या चाबी खो जाती है या उसका दुरुपयोग होता है तो बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी. 

बैंक लॉकर नकदी रखने के लिए नहीं होते हैं, यानी यहां पैसा रखना RBI के नियम के खिलाफ है. बैंक लॉकर एक मास्टर कुंजी द्वारा संचालित होते हैं जो बैंकर के पास होती है, जो ग्राहक की अपील पर पहले लॉकर खोल देता है, और वहां से चला जाता है, फिर ग्राहक अपनी चीजें रखता है. जिसे बैंक कर्मचारी को दिखाना जरूरी नहीं है. लेकिन ग्राहक को नियम पता होना चाहिए कि क्या-क्या लॉकर में नहीं रख सकते हैं, ताकि भविष्य में परेशानी न हो. 

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लॉकर को लेकर किराये में बदलाव
नए नियम के मुताबिक बैंकों के साथ लॉकर रखने के लिए होने वाला नया एग्रीमेंट अब स्टांप पेपर पर साइन किया जाएगा. साथ ही लॉकर के किराये में भी बदलाव किया गया है. ये 1350 रुपये से लेकर 20000 रुपये महीने तक हो सकते हैं. मेट्रो शहरों में लोगों को एक्स्ट्रा स्मॉल लॉकर के लिए 1350 रुपये, स्मॉल के लिए 2200 रुपये, मीडियम के लिए 4000 रुपये, एक्स्ट्रा मीडियम 4400 रुपये, लार्ज के लिए 10000 रुपये और एक्स्ट्रा लार्ज 20000 रुपये चुकाने होंगे. 

ज्वाइंट लॉकर का भी विकल्प
बैंक में आप सिंगल के अलावा ज्वाइंट लॉकर के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं. इसके लिए दोनों लोगों को बैंक में आकर ज्वाइंट Memorandum पर साइन करना होगा. नियम के तहत लॉकर के लिए अप्लाई करने वाले ग्राहकों को बैंक सेविंग अकाउंट भी खोलने के लिए कह सकता है.

नॉमिनी को लेकर क्या हैं बैंक लॉकर के नियम?
अगर लॉकर धारक ने अपने लॉकर के लिए किसी को नॉमिनी बनाया है तो उसकी मौत के बाद उस नॉमिनी को लॉकर खोलने और उसके सामान को निकालने का अधिकार होता है. बैंक पूरे वेरिफिकेशन के बाद ये एक्सेस नॉमिनी को देते हैं.

गौरतलब है कि पुराने लॉकर एग्रीमेंट में लोगों के लॉकर से गायब हुए सामान या किसी आपात स्थिति में लॉकर के अंदर उपलब्ध चीजें बर्बाद होने के बाद ग्राहकों के लिए रिकवरी कुछ नहीं होती थी. लेकिन अब RBI के नए नियम के तहत ग्राहकों को शर्तों के साथ मुआवजे का प्रावधान है.

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