Pakistan Currency Fall: पेट खाली... जेब खाली, लुट गया पाकिस्तान, अभी-अभी लगा एक और तगड़ा झटका

Pakistani Rupee Against Dollar : पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटते-घटते 4.5 अरब डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच चुका है, जो एक महीने के आयात के लिए सक्षम है. नकदी संकट के बीच सियासी घमासान से देश की इकोनॉमी पर बुरा असर हुआ है और एक डॉलर की कीमत 300 पाकिस्तानी रुपया तक पहुंचना इसकी पुष्टि करता है.

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एक डॉलर की कीमत 200 पाकिस्तानी रुपया एक डॉलर की कीमत 200 पाकिस्तानी रुपया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2023,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

आर्थिक संकट... महंगाई का कोहराम... रोटी के लिए जंग और सियासी भूचाल... एक साथ इतनी समस्याओं से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) के सामने एक और मुसीबत खड़ी हो गई है. इतिहास में पहली बार डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया (Pakistani Rupee Against Dollar) सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और इसकी कीमत 300 के स्तर को भी पार कर गई. गुरुवार को ये खुले बाजार में कारोबार के दौरान US Dollar के मुकाबले 301 रुपये पर पहुंच गया. वहीं अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में एक डॉलर की कीमत 299 रुपये दर्ज की गई. 

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दिवालिया होने की कगार पर पाकिस्तान
पीटीआई के मुताबिक, पाकिस्तान फॉरेक्स एक्सचेंज एसोसिएशन के जफर बोस्तान (Zafar Bostan) ने कहा कि यह पहली बार है, जबकि पाकिस्तानी रुपया 300 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया है. देश की करेंसी में ये गिरावट उदाहरण है कि पहले से जारी आर्थिक संकट के बीच जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली हो चुका है और देश भारी-भरकम कर्ज के तले दबा हुआ है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने तो पाकिस्तान के दिवालिया होने की चेतावनी भी जारी कर दी है. 

एक महीने के आयात का बचा पैसा 
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) घटते-घटते 4.5 अरब डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच चुका है और ये देश में महज एक महीने के आयात के लिए सक्षम है. नकदी संकट से जूझते पाकिस्तान में बीत कुछ दिनों से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जो सियासी घमासान मचा, उससे फैली अशांति और उपद्रव का असर इकोनोमिक स्तर पर दिखाई दिया है और एक डॉलर की कीमत 300 पाकिस्तानी रुपया तक पहुंचना, इसकी पुष्टि करता है. महंगाई की मार के चलते रोटी के लिए जान की बाजी लगाते देशवासियों के लिए पाकिस्तानी रुपये में इतनी बड़ी गिरावट और परेशानी बढ़ाने वाली साबित हो सकती है. 

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महंगाई के मामले में श्रीलंका को पीछे छोड़ा
देश में महंगाई दर (Pakistan Inflation) हर महीने नए उच्च स्तर पर पहुंचती जा रही है. अप्रैल में ये 36.4 फीसदी के शिखर पर पहुंच गई. ये आंकड़ा बीते साल पाकिस्तान जैसे ही हालात झेलने वाले श्रीलंका में मुद्रास्फीति दर के आकंड़े से भी ऊपर पहुंच गया है और फिलहाल एशिया में सबसे ज्यादा महंगाई पाकिस्तान में है.

पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (PSB) के ताजा आंकड़ों को देखें तो बीते 4 मई 2023 को तमाम चीजों की कीमतें पिछले साल के मुकाबले इतनी महंगी हो गई है, कि लोगों की पहुंच से दूर सी हो गई हैं. डाटा के मुताबिक, एक साल के भीतर पाकिस्तान में चिकन की कीमत 57 फीसदी बढ़ी, डीजल 99 फीसदी, पेट्रोल 88 फीसदी, आटा 178 फीसदी और अंडा की कीमत 95 फीसदी तक बढ़ गई हैं. 

कीमतों पर एक नजर (पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक)

आइटम एक साल पहले कीमत 04 मई 2023 को दाम
चिकन 279 रुपये/किलो 437 रुपये/किलो
आटा 967 रुपये/20 किलो 2683 रुपये/20 किलो
अंडा 141 रुपये/प्रति दर्जन 275 रुपये/प्रति दर्जन
केला 128 रुपये/प्रति दर्जन 241 रुपये/प्रति दर्जन
आलू 35 रुपये/किलो     78 रुपये/किलो
दूध 119 रुपये/लीटर 168 रुपये/लीटर
डीजल 145 रुपये/लीटर 289 रुपये/लीटर
पेट्रोल 151 रुपये/लीटर 283 रुपये/लीटर

IMF भी मदद को तैयार नहीं!
Pakistan में हर बीतते दिन के साथ हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं और वो मदद की आस में झटपटा रहा है. सरकार लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आगे 2019 में किए गए बेलआउट समझौते की पहली 1.1 अरब डॉलर की किस्त को रिलीज करने की मांग कर रहा है, लेकिन वैश्विक निकाय की ओर से अभी तक इसकी मंजूरी नहीं दी गई है. ये मामला लगातार अटकता जा रहा है और इसके लिए पाकिस्तानी सरकार की ओर से बोला गया झूठ भी एक बड़ी वजह बना है.

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हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक निकाय ने 9वीं समीक्षा बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) और वित्त मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) की ओर से IMF की सभी शर्तों को मान लेने के दावों को खारिज कर दिया. ये शर्तें आईएमएफ ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने के एवज में लागू करने के लिए कहा था. 

 

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