न्यू लेबर कोड (New Labour Code) में बुढ़ापे का खास ध्यान रखा गया है. क्योंकि बुढ़ापे में पैसा एक बड़ा सहारा होता है, हालांकि न्यू लेबर कोड से शुरुआत में कुछ लोगों के घर का बजट बिगड़ सकता है, क्योंकि सैलरी कम मिलेगी. लेकिन PF पहले से कहीं ज्यादा कटेगा, जाहिर है शुरुआत में यह फैसला चुभेगा भी. इन-हैंड सैलरी कम होने से बच्चों की फीस, किराया, EMI के बीच में मैनेज करना थोड़ा मुश्किल कदम हो सकता है.
लेकिन ये 100 फीसदी सच है कि आज की थोड़ी कमी ही भविष्य की बड़ी सुरक्षा बनकर लौटेगी. दरअसल, New Labour Codes के कर्मचारियों के वेतन से लेकर PF अमाउंट में बड़ा फेरबदल देखने को मिलेगा. न्यू लेबर कोड से आपकी 'In-Hand' सैलरी कम हो जाएगी, लेकिन रिटायरमेंट की फुलबोर्ड तैयारी हो जाएगी. आइए समझते हैं कैसे?
सैलरी घट जाएगी, PF में ज्यादा योगदान
फिलहाल अधिकतर कंपनियां अपने हिसाब से (Cost to Company- CTC) तय करती हैं, जिसमें कुल CTC की 'बेसिक सैलरी' आमतौर पर 30-35% होती है, बाकी कई तरह के भत्तों (HRA, स्पेशल अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस) में बंट जाते हैं. बेसिक सैलरी (Basic Salary) कम होने की वजह से (Provident Fund- PF) भी कम कटते हैं, जिससे लंबी अवधि में ग्रेच्युटी (Gratuity) और NPS का भी लाभ कम मिल पाता.
दरअसल, नए Labour Codes के तहत वेतन की परिभाषा बदल गई है. नियम कहता है कि आपका बेसिक + DA कुल वेतन का कम से कम 50% होना चाहिए. यानी आपकी टेक होम सैलरी घट जाएगी, जबकि PF, Gratuity और अगर NPS लागू है, तो वो बढ़ जाएंगे.
उदाहरण के लिए एक 30 वर्षीय कर्मचारी जिसकी CTC 12 लाख रुपये है, पहले उसकी बेसिक सैलरी लगभग 35% होती थी. अब वो बेसिक करीब 50% होगी. पहले PF योगदान (कर्मचारी + नियोक्ता) करीब 7,200 रुपये महीना था, जो अब बढ़कर 12,000 रुपये महीने हो जाएगा, मतलब हर महीने 4,800 रुपये का ज्यादा बचत होगा. यानी बेसिक बढ़ने से केवल PF कंट्रीब्यूशन ही नहीं बढ़ेगा, NPS और Gratuity में भी इसका इजाफा होगा.
सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव के फायदे-नुकसान
न्यू लेबर कोड के तहत इस कर्मचारी को 35 साल के बाद दमदार रिटर्न मिल सकता है. पुराने लेबर कोड के मुकाबले न्यू लेबर कोड से PF करीब 1.24 करोड़ रुपये और NPS करीब 1.07 करोड़ रुपये ज्यादा मिलेगा, जो कि रिटायरमेंट के लिए एक बड़ा फंड बन सकता है. अगर आंकड़ों को देखें तो पुराने श्रम कानून से जहां PF और NPS से कुल 3.46 करोड़ रुपये मिलता, वहीं नए श्रम कानून से राशि बढ़कर 5.77 करोड़ रुपये तक हो जाएगी. यानी करीब 2.31 करोड़ रुपये का फायदा होने वाला है.
इस तरह से केवल सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव से 12 लाख रुपये सैलरी वाले कर्मचारी का 30 साल के बाद रिटायरमेंट फंड करीब 2.31 करोड़ रुपये ज्यादा हो जाएगा. जो कि एक बहुत बड़ा फंड है. ऐसे में अगर आपकी उम्र 25 से 30 साल के बीच है और सैलरी 1 लाख रुपये महीने है, तो इस फॉर्मूले से रिटायरमेंट पर करीब 5.77 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं, जबकि पुराने श्रम कानून से करीब 3.46 करोड़ रुपये मिलने वाला था.
बेसिक बढ़ाने का ऐलान
गौरतलब है कि नए लेबर कानून के तहत बेसिक सैलरी को CTC का कम से कम 50% रखना अनिवार्य हो गया है. इसी वजह से PF और NPS जैसे अनिवार्य अंशदान पहले से काफी ज्यादा कटने लगेंगे. अगर किसी कर्मचारी की मासिक CTC 1,00,000 रुपये है, तो पहले उसका बेसिक 30,000 रुपये होता था, लेकिन नए कानून के बाद यह बढ़कर 50,000 रुपये हो जाएगा. इस बढ़े बेसिक की वजह से PF योगदान 7,200 रुपये से बढ़कर 12,000 रुपये और NPS योगदान 4,200 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये हो जाता है.
हालांकि इससे कर्मचारी को हर महीने करीब 7,600 रुपये कम सैलरी मिलेगी, यह कमी शुरुआत में असुविधा पैदा करती है, लेकिन लंबे समय में इसका लाभ बहुत बड़ा है. 35 साल की सेवा अवधि में कर्मचारी का PF कॉर्पस ₹1.87 करोड़ से बढ़कर ₹3.11 करोड़ हो जाता है, जबकि NPS कॉर्पस ₹1.59 करोड़ से बढ़कर ₹2.66 करोड़ तक पहुंच जाता है. कुल मिलाकर रिटायरमेंट कॉर्पस ₹3.46 करोड़ से बढ़कर ₹5.77 करोड़ हो जाता है. हालांकि NPS का नियोक्ता कंट्रीब्यूशन की सुविधा सभी कंपनियों में नहीं है.
आजतक बिजनेस डेस्क