हाई पेंशन के लिए अप्लीकेशन की बड़ी संख्या को खारिज किए जाने के बाद, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अब क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है. EPFO ने कहा है कि आवेदनों को खारिज करने का आधार 'पर्याप्त और न्यायोचित' कारण होना चाहिए और छोटी मोटी कमियों को दूर करने का अवसर भी दिया जाना चाहिए. कोई भी वजह या मनमाने ढंग से आवेदन को खारिज नहीं किया जाना चाहिए.
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने यह भी कहा है कि खारिज सभी मामलों का लेखा-जोखा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के अधीन पैनल चार्टर्ड अकाउंटेंट की एक खास टीम द्वारा किया जाना चाहिए. इसके अलावा, EPFO को अस्वीकृति के मामलों की जांच के लिए अपनी स्वयं की लेखा-परीक्षण टीमें भी तैनात करनी चाहिए, खासकर उन मामलों की जो मुकदमेबाजी के तहत हैं.
ईपीएफओ की ओर से सख्त निर्देश
EPFO की ओर से यह सख्त निर्देश तब आया है जब उसे हाई पेंशन आवेदनों के खारिज होने की कई शिकायतें मिली हैं. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और EPFO के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के सदस्य सुंकरी मल्लेशम ने भी इस मुद्दे पर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा कि आवेदनों को मनमाने ढंग से खारिज करने के कई मामले हैं. हमने इसको उजागर करते हुए CPFC को पत्र लिखा था और उन्होंने अब कार्रवाई की है.
नए सर्कुलर में किया गया था जिक्र
ईपीएफओ ने भी अपने नए सर्कुलर में इन मुद्दों को रेखांकित किया है. इसमें कहा गया है कि ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां छूट प्राप्त पीएफ ट्रस्ट नियमों में वेतन सीमा से परे EPS में योगदान पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं होने के बावजूद मामलों को खारिज कर दिया गया है या वापस कर दिया गया है. इसके अलावा, अन्य मामलों में मजदूरी शब्द की व्याख्या योजना के तहत दी गई परिभाषा से परे इसके दायरे का विस्तार करके गलत तरीके से की गई है. ईपीएफओ ने कहा कि यहां तक कि ऐसे संदर्भ भी हैं, जहां वेरीफिकेशन की प्रक्रिया को दावों को खारिज करने के औचित्य की तलाश करने के लिए जांच अभ्यास में बदल दिया गया है.
जांच किस आधार पर होना चाहिए?
इसमें यह भी रेखांकित किया गया कि आवेदन की जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि जिन आंकड़ों के आधार पर मांग पत्र जारी किए गए हैं, वे सही हैं और उस वेतन के अनुरूप हैं जिस पर पीएफ और पेंशन अंशदान भेजा गया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद EPFO को उच्च पेंशन के लिए कुल 17.49 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनमें से 7.35 लाख आवेदन अयोग्य थे और छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों और सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा नियमों में संशोधन न किए जाने के कारण आवेदन मिले.
आजतक बिजनेस डेस्क