चंद्रयान की सफल लॉन्चिंग में इन निजी कंपनियों-PSU का भी रहा योगदान

चंद्रयान-2 मिशन की सफलता में इसरो सहित कई सरकारी विभागों का जहां प्रमुख योगदान था, वहीं सेल, गोदरेज जैसी कई निजी और सार्वजनिक कंपनियों (PSU) ने भी इसमें योगदान किया. चंद्रयान-2 सोमवार दोपहर 2.43 बजे लॉन्च हुआ.

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चंद्रयान को तैयार करने में कई निजी कंपनियों का भी रहा सहयोग चंद्रयान को तैयार करने में कई निजी कंपनियों का भी रहा सहयोग

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

करीब 978 करोड़ रुपये की लागत से चांद की सतह पर भेजे जाने वाले चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग में निजी और सरकारी क्षेत्र की कई कंपनियों का भी योगदान रहा है. सोमवार दोपहर 2.43 बजे 'बाहुबली' रॉकेट की मदद से लॉन्च हुआ चंद्रयान-2 करीब करीब 16 मिनट के बाद पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया.

इस मिशन की सफलता में इसरो सहित कई सरकारी विभागों का जहां प्रमुख योगदान था, वहीं सेल, गोदरेज जैसी कई निजी और सार्वजनिक कंपनियों (PSU) ने भी इसमें योगदान किया. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने चंद्रयान मिशन - 2 के लिए स्पेशल क्वालिटी के स्टेनलेस स्टील की अपने सेलम स्टील प्लांट से आपूर्ति की है. सेल द्वारा आपूर्ति की गई स्पेशल क्वालिटी स्टील शीट का इस्तेमाल चंद्रयान –2 के क्रायोजेनिक इंजन (सीई-20) में किया गया है.

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बिजनेस स्टैंडर्ड न्यूजपेपर के अनुसार, गोदरेज, एलऐंडटी, अनंत टेक्नोलॉजी, एमटीएआर टेक्नोलॉजीज, इनॉक्स टेक्नोलॉजीज, लक्ष्मी मशीन वर्क्स, सेंटम अवसराला और कर्नाटक हाइब्रिड माइक्रोडिवाइसेज ने भी इसके लिए योगदान किया है. गोदरेज एयरोस्पेस के एक अधिकारी के मुताबिक गोदरेज ने इस मिशन के लॉन्चर GSLV MkIII में इस्तेमाल होने वाले  एल110 इंजन और सीई20 इंजन, ऑर्बिटर एवं लैंडर के थ्रस्टर तथा डीएसएन एंटेना के कम्पोनेंट की आपूर्ति की है.

एलऐंडटी के एक अधिकारी के मुताबिक कंपनी ने इस ऐतिहासिक मिशन के लिए कई महत्वपूर्ण फ्लाइट हार्डवेयर, सब-सिस्टम और एसेम्बलीज की आपूर्ति की है. GSLV MkIII लॉन्च व्हीकल में जिस ट्विन एस 200 बूस्टर्स का इस्तेमाल किया गया उसका निर्माण L&T के पवई एयरोस्पेस वर्कशॉप में किया गया. इसके अलावा L&T ने प्रूफ प्रेशर टेस्ट‍िंग भी किया. इसके अलावा कंपनी ने इस मिशन के लिए कई अन्य हार्डवेयर की भी आपूर्ति की.

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गौरतलब है कि भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत 50 साल पहले की थी और 1974 में परमाणु परीक्षण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा कई तरह का प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत ने स्वदेशी स्तर पर टेक्नोलॉजी और रॉकेट विकसित किया. इसरो ने इसके बाद से ज्यादातर पार्ट्स का विकास भारत में करके पहले तो आयात लागत को कम से कम किया और दूसरे चरण में घरेलू निजी कंपनियों से पार्ट्स आउटसोर्स किए गए.  

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया. अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है. करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा.

चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा. 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा.

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