भारत के सहारे अफगानिस्तान-PAK नीति में बड़े बदलाव की तैयारी में ट्रंप

पाकिस्तान में इस मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए भारत की भूमिका पर अहम बातचीत होगी.

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अब अफगानिस्तान में शांति प्रयास करेंगे ट्रंप और मोदी अब अफगानिस्तान में शांति प्रयास करेंगे ट्रंप और मोदी

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST

अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन मंगलवार को इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी और पाकिस्तानी सेना के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में अमेरिका की कोशिश पाकिस्तान पर अफगान सीमा से सटे इलाकों में मौजूद तालिबान लड़ाकों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए दबाव डालने की होगी. इसके साथ ही पाकिस्तान को अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों का सफाया करने के लिए दबाव बनाया जाएगा.

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पाकिस्तान में इस मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए भारत की भूमिका पर अहम बातचीत होगी.

गौरतलब है कि भारत और अफगानिस्तान के द्विपक्षीय संबंध बेहद अच्छे रहे हैं. 1990 के दशक में जब अफगानिस्तान में शांति की कवायद हो रही थी और तालिबान सरकार ने शामिल थी तब भारत का अफगानिस्तान सरकार से बेहद मजबूत रिश्ता था. अफगानिस्तान में 2001 में तालिबान सरकार गिरने के बाद पाकिस्तान ने अफगान तालिबान का सहारा लेते अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को कम करने की लगातार कोशिश की है. इसके बावजूद अफगानिस्तान में विकास और शांति कि दिशा में भारत ने लगातार अफगानिस्तान को मदद पहुंचाई है.

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वहीं सूत्रों के मुताबिक बीते एक साल से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत ने अफगानिस्तान की मदद करने के लिए हथियारों की सप्लाई की है. इसके चलते पाकिस्तान को डर है कि कहीं एक बार फिर दक्षिण एशिया में शांति बहाली की कोशिशों में भारत को अहम किरदार न मिल जाए.

राइटर के मुताबिक अफगानिस्तान-पाकिस्तान और भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के लिए दक्षिण एशिया की यह पहली यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है. अमेरिका में ट्रंप सरकार बनने के बाद यह पहला मौका है जब वह अपनी अफपाक नीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत दे रही है. वहीं बीते कुछ दिनों से अमेरिकी मीडिया में तालिबान को अफगानिस्तान सरकार में शामिल किए जाने की खबरें चल रही हैं. गौरतलब है कि ऐसी किसी पहल से जहां अमेरिका यह सुनिश्चित कर सकेगा कि तालिबान के साथ युद्ध विराम जैसी स्थिति में वह तत्काल शांति की पहल कर सके और वहीं पाकिस्तान में पनप रहे आंतकवाद पर लगाम कस सके.

क्यों अहम है मोदी, टिलरसन मुलाकात?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना के प्रमुखों से मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश सचिव सीधे नई दिल्ली का रुख करेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक उसकी दक्षिण एशिया नीति में भारत एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है. हालांकि पाकिस्तान हमेशा से अमेरिका का वफादार नैचुरल एलाई रहा है. बात शीत युद्ध की हो या फिर अफगानिस्तान से रूस की सेना को खदेड़ने की, पाकिस्तान ने हमेशा अमेरिका का साथ दिया है. लेकिन अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों में खटास तब देखने को मिली जब 9-11 हमले के दशकों बाद मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में पाया गया.

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इस प्रकरण से अमेरिका को पूरी तरह साफ हो गया कि अब उसे आतंकवाद के सफाए के लिए पाकिस्तान से अलग हटकर देखने की जरूरत है. लिहाजा, यदि अमेरिकी विदेश मंत्री एक बार फिर अफगानिस्तान में तालिबान को सरकार में शामिल कर शांति का प्रयास करना चाहते हैं तो उसे सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान सरकार अफगान लड़ाकों की मदद से इस शाति की कोशिश को विफल करने में सफल न हो. इसी कोशिश के चलते अमेरिकी विदेश मंत्री अपनी मुलाकात में भारत को अफपाक नीति में एक अहम किरदार अदा करने का पक्ष रख सकते हैं.

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