इस साल कमजोर मानसून का पहला संकेत, खरीफ बुआई पर पड़ेगा असर?

इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर रहने वाला है. वेदर एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक 2017 में भारत के लिए यह खास मानसून लंबी अवधि के औसत का 95 फीसदी रह सकता है. अगर ऐसा हुआ तो लगातार चौथी बार होगा जब बारिश नॉर्मल होगी.

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राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 8:07 AM IST

इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर रहने वाला है. वेदर एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक 2017 में भारत के लिए यह खास मानसून लंबी अवधि के औसत का 95 फीसदी रह सकता है. अगर ऐसा हुआ तो लगातार चौथी बार होगा जब बारिश नॉर्मल होगी.

मौसम विभाग के मुताबिक, कमजोर मानसून एक बार फिर देश में खरीफ बुआई के लिए बुरी खबर बनकर आ सकता है. गौरतलब है कि देश में जून से सितंबर तक होने वाली बारिश प्रमुख खरीफ फसल के लिए अहम है. भारत में 60 फीसदी से अधिक लोग कृषि पर निर्भर हैं और देश के अधिकांश भाग में खरीफ फसल पूरी तरह से दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर है.

कमजोर होगा मानसून तो क्या पड़ेगा असर?
स्काईमेट के मुताबिक मध्य भारत में मानसून जून के दूसरे हफ्ते तक पहुंचता है. वहीं 22-24 जून तक उत्तर भारत में मानसून पहुंचने की संभावना रहती है. मानसून एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस बार मानसून 5 फीसदी तक कम रह सकता है ऐसे में खरीफ फसलों की कीमतों में तेजी आना भी तय है.

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भारत में खरीफ सीजन की शुरुआत राज्यों और फसलों के आधार पर होता है. खरीफ सीजन की शुरुआत मई से होती है और जनवरी में खत्म होती है। हालांकि आमतौर पर खरीफ सीजन की शुरुआत जून से हो जाती है औऱ अक्टूबर में खत्म माना जाता है. खरीफ की मुख्य फसल चावल, मक्का, सोयबीन, कपास और ग्वार है. इसके अलावा ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, अरहर, उड़द और सूर्यमुखी की फसल भी बोई जाती है.

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