मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन करेगा RSS का यह संगठन

भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार की 'श्रम विरोधी' नीतियों के खिलाफ 3 जनवरी यानी शुक्रवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है.

Advertisement
भारतीय मजदूर संघ करेगा प्रदर्शन (फाइल फोटो) भारतीय मजदूर संघ करेगा प्रदर्शन (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

  • RSS का संगठन कर रहा मोदी सरकार की श्रम नीतियों का विरोध
  • भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने किया देश भर में प्रदर्शन का ऐलान
  • दिल्ली सहित देश के सभी मुख्यालयों पर 3 जनवरी को होगा प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार की 'श्रम विरोधी' नीतियों के खिलाफ 3 जनवरी यानी शुक्रवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. इसके तहत मजदूर संघ दिल्ली के जंतर मंतर के साथ ही सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगा.

Advertisement

क्या हैं बीएमएस की मांगें

भारतीय मजदूर संघ के महासचिव (BMS) विरजेश उपाध्याय ने इस निर्णय के बारे में बताया और कहा कि उनका संगठन नौकरियों में कॉन्ट्रैक्ट तथा कैजुअल सिस्टम बढ़ाने का प्रबल विरोध करता है. उन्होंने यह मांग की कि सभी तरह के कॉन्ट्रैक्ट, फिक्स्ड टर्म, कैजुअल, डेली वेज, अस्थायी कामगारों को रेगुलर करना चाहिए और उन्हें स्थायी रोजगार देना चाहिए. इसके अलावा भारतीय मजदूर संघ ने व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 8 लाख रुपये तक करने की मांग भी की है.

रेलवे के निजीकरण का विरोध

उपाध्याय ने कहा, 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और प्रतिरक्षा क्षेत्र का कॉरपोरेटीकरण राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है. रेलवे का भी कॉरपोरेटीकरण रोका जाना चाहिए जो कि भारत की जीवनरेखा है.' भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार के इस  प्रयास का विरोध किया है, जिसमें मौजूदा श्रम कानूनों को चार कोड में सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है.

Advertisement

हालांकि संगठन इस कोड के कई प्रावधानों में सुधार चाहता है, जो कि श्रम विरोधी हैं और कामगारों के आम हितों को प्रभावित करते हैं. संगठन ने आरोप लगाया है कि देश की नौकरशाही ने उद्योगपतियों के साथ एक गठजोड़ कायम कर लिया है ताकि मजदूरों के अधिकारों को दबाया जा सके.

नौकरियों में असुरक्षा

विरजेश उपाध्याय ने कहा, 'देश में अब ज्यादातर औपचारिक नौकरियां कान्ट्रैक्ट या फिक्स्ड टर्म वाली हो गई हैं. लोगों की जॉब सिक्योरिटी से समझौता किया जा रहा है और कामगारों के सामने कभी भी नौकरी से निकाल दिए जाने का खतरा बना रहता है. ' उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी, आशा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिड-डे मील और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़े सभी कैजुअल वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी मानना चाहिए, क्योंकि वे सरकार की योजनाओं के लिए काम करते हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement