राजनीतिक दलों को 15 दिन में कैश कराना होगा चंदे में मिला इलेक्टोरल बॉन्ड!

राजनीतिक दलों को चंदा उपलब्ध कराने की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिये सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बॉंड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है. कम अवधि के लिये जारी करने से बॉंड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी.

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अब राजनीतिक चंदे पर नकेल की बारी! अब राजनीतिक चंदे पर नकेल की बारी!

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

नोटबंदी से कालेधन पर लगाम लगाने की कवायद के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का बना. इसी के चलते पिछले बजट में केन्द्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड का खाका पेश किया जिसके तहत राजनीतिक दलों को कैश के साथ-साथ चुनावों में कालाधन खर्च करने पर लगाम लगेगी. इस कोशिश में अब केन्द्र सरकार ने नए कानून की रूपरेखा तैयार कर ली है. प्रस्ताविक नियमों के मुताबिक किसी भी राजनीतिक दल को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिलने वाले चंदे को 15 दिन के अंदर अपने बैंक में जमा करा लेना होगा.

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राजनीतिक दलों को चंदा उपलब्ध कराने की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिये सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बॉंन्ड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है. कम अवधि के लिये जारी करने से बॉन्ड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चुनावी बॉन्ड के लिये दिशानिर्देश करीब करीब तैयार कर लिये गये हैं. वित्त मंत्रालय इन्हें देख रहा है और अंतिम रूप दे रहा है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी बॉन्ड की घोषणा वर्ष 2017-18 के बजट में की है. सूत्रों के अनुसार चुनावी बॉन्ड एक प्रकार के धारक बॉन्ड होंगे.

जिस किसी के भी पास ये बॉन्ड होंगे वह इन्हें एक निर्धारित खाते में जमा कराने के बाद भुना सकता है. हालांकि यह काम तय अवधि के भीतर करना होगा. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, हर राजनीतिक दल का एक अधिसूचित बैंक खाता होगा. उस राजनीतिक दल को जो भी बॉन्ड मिलेंगे उसे वह उसी खाते में जमा कराने होंगे. यह एक प्रकार की दस्तावेजी मुद्रा होगी और उसे 15 दिन के भीतर भुनाना होगा अन्यथा इसकी वैधता समाप्त हो जायेगी.

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अधिकारी ने कहा कि बॉन्ड को कम अवधि के लिये वैध रखे जाने के पीछे उद्देश्य इसके दुरूपयोग को रोकना है साथ ही राजनीतिक दलों को वित्त उपलब्ध कराने में कालेधन के उपयोग पर अंकुश रखना है. अधिकारी ने कहा कि चुनावी बॉंड के लिये नियमों को जल्द ही जारी कर दिया जायेगा और इस तरह के बॉन्ड से जुड़ी कुछ अन्य जानकारी इस काम के लिये प्राधिकृत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी की जायेगी.

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चुनावी बॉन्ड एक प्रकार के प्रामिसरी नोट यानी वचनपत्र होंगे और इन पर किसी तरह का ब्याज नहीं दिया जायेगा. चुनावी बॉन्ड में राजनीतिक दल को दान देने वाले के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी. ये बॉंड 1,000 और 5,000 रुपये मूल्य के होंगे. वित्त मंत्री ने बजट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा करते हुये कहा था, भारत में राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाने की आवश्यकता है.

चंदा देने वाले राजनीतिक दलों को चेक के जरिये अथवा अन्य पारदर्शी तरीकों से दान देने से कतराते हैं क्योंकि वह अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि किसी एक राजनीतिक दल को चंदा देने पर उनकी पहचान सार्वजनिक होने का अंजाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है. वित्त मंत्री ने तब कहा था कि सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श कर वह चुनावी बॉन्ड के लिये नियम तैयार करेंगे.

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