सिर्फ 62 लोगों के पास है दुनिया की आधी दौलत

अमीर और गरीब के बीच का फासला लगातार बढ़ता जा रहा है यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आई है. सर्वे के अनुसार दुनिया के 62 सबसे अमीर लोगों के पास दुनियाभर के गरीबों की 50 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति है.

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62 अमीरों में महिलाओं की संख्या मात्र 9 है 62 अमीरों में महिलाओं की संख्या मात्र 9 है

स्वाति गुप्ता

  • दावोस,
  • 18 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

भारत और दुनिया के अन्य देशों में आय में असमानता का फासला कम होने के बजाय और बढ़ा है. एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के 62 सबसे अमीर लोगों के पास दुनियाभर के गरीबों की 50 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति है. खास बात यह है कि इन 62 अमीरों में महिलाओं की संख्या मात्र 9 है. 2010 से इन अमीरों की संपत्ति करीब 500 अरब डॉलर बढ़कर 1,760 अरब डॉलर हो गई है.

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1,000 अरब डॉलर घटी संपत्ति
राइट्स समूह ऑक्सफैम के अध्ययन में यह तथ्य भी सामने आया है कि 2010 के बाद से दुनिया की सबसे गरीब आबादी में से 50 फीसदी की संपत्ति करीब 1,000 अरब डॉलर घटी है. यानी उनकी संपत्ति में 41 फीसदी की जोरदार गिरावट आई है. समीक्षाधीन अवधि में वैश्विक आबादी में करीब 40 करोड़ लोगों का इजाफा हुआ है. यह रिपोर्ट मंगलवार से शुरू हो रहे पांच दिन के विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सालाना सम्मेलन से पहले जारी की गई है.

आंकड़ों में गिरावट जारी
सर्वेक्षण के अनुसार 2010 में दुनिया की सबसे गरीब आबादी के 50 फीसदी के पास जितनी धन संपदा थी, उतनी ही संपत्ति दुनिया के 388 सबसे अधिक अमीर लोगों के पास थी. उसके बाद यह आंकड़ा लगातार घट रहा है. 2011 में यह घटकर 177 पर आ गया है, 2012 में 159, 2013 में 92 और 2014 में 80 पर आ गया.

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कर्मचारी से 416 गुना ज्यादा है CEO का वेतन
सर्वेक्षण में विभिन्न देशों में बढ़ती आय असमानता का भी जिक्र किया गया है. इसके अनुसार भारत की शीर्ष आईटी कंपनी के सीईओ का वेतन वहां के एक सामान्य कर्मचारी की तुलना में 416 गुना अधिक है. इसी तरह सबसे बड़े सिगरेट विनिर्माता का वेतन मध्यम स्तर के कर्मचारी से 439 गुना अधिक है.

ऐसे जुटाई संपत्ति
इसमें यह भी बताया गया है कि भारत में 46 अरबपतियों ने यह धन संपदा उन क्षेत्रों के जरिए जुटाई है जो बाजार ताकत, प्रभाव और लाइसेंसिंग की तरजीही पहुंच पर निर्भर है. इसके साथ ही रिपोर्ट में भारत की इस बात के लिए सराहना की गई है कि यहां खुलासे को अधिक अनिवार्य किया गया है.

असमानता से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि भारत में मरीजों के समूह, अन्य सामाजिक संगठनों तथा भारत सरकार ने बड़ी वैश्विक फार्मा कंपनियों के प्रभाव को चुनौती दी है और नागरिकों को दवाओं तक पहुंच उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी है. ऑक्सफैम ने इस बेहद असमानता की स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है.

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