केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी सबसे मजबूत रही है. अरुण जेटली ने कहा कि आजादी के बाद पहली ऐसी सरकार है जिसने भारतीय इकोनॉमी को नई ऊंचाई दी है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने बताया कि 1947 के बाद की सरकारों के 5 साल के कार्यकाल की तुलना में मोदी सरकार (2014-19) में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी है.
इसके अलावा फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक यह 5 फीसदी से ज्यादा था जो अब घटकर 3.4 फीसदी के करीब है. जेटली ने आगे दावा किया कि करंट अकाउंट डेफिसिट (चालू खाता घाटा) और महंगाई के आंकड़े भी नियंत्रण में है. उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार में महंगाई दर के आंकड़े 10 फीसदी से अधिक थे जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल समाप्त होने पर यह 2.5 फीसदी के करीब रह गए हैं. जेटली ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी सरकार के आंकड़ों पर मुहर लगाई है.
इससे पहले अरुण जेटली ने सोमवार को मोदी सरकार के फैसलों को गेमचेंजर करार दिया. उन्होंने कहा, "5 साल की अवधि एक राष्ट्र में जीवन की लंबी अवधि नहीं है. हालांकि, यह प्रगति के लिए अपनी दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है." उन्होंने साथ ही 1991 में देश के आर्थिक बदलाव का भी जिक्र किया. जेटली ने कहा कि तब के प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वित्तीय संकट था. आर्थिक स्थिति ने उन्हें सुधारों के लिए मजबूर किया. जेटली ने यह भी आरोप लगाया कि संप्रग सरकार 2004-2014 के बीच आर्थिक विस्तार के बजाय नारों में फंस के रह गई.
अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हम सत्ता में तब आए जब भारत पहले से ही '5 सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों या फ्रेगाइल फाइव' का हिस्सा था. वहीं दुनिया भी मान रही थी कि 'ब्रिक्स' से भारत का 'आई' हट जाएगा. सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था और इसे सुधारना ही पड़ा.उस समय ‘सुधारों या मिट जाओ’ की चुनौती भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने थी.
aajtak.in