लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़े रोजगार के मौके, ESIC ने जारी किए आंकड़े

कर्मचारी राज्य बीमा निगम के आंकड़ों के मुताबिक बीते अप्रैल महीने में रोजगार के मौकों में बढ़ोतरी हुई है.

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लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़े रोजगार के मौके लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़े रोजगार के मौके

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 26 जून 2019,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

लोकसभा चुनाव के दौरान देश में रोजगार के मौके बढ़े हैं. यह जानकारी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के आंकड़ों से मिली है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2019 में 10.88 लाख रोजगार सृजित हुए. बता दें कि लोकसभा चुनाव के 4 चरण की वोटिंग अप्रैल महीने में हुई थी. अहम बात यह है कि इस दौरान विपक्ष रोजगार को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर था.

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पिछले साल के मुकाबले अधिक

अप्रैल के आंकड़ों की साल 2018 के इसी महीने से तुलना करें तो रोजगार सृजन के मौकों में इजाफा हुआ है. बीते साल अप्रैल महीने में 10.77 लाख रोजगार सृजन हुए थे. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने सितंबर 2017 से अप्रैल 2019 के रोजगार परिदृश्य के बारे में रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अलावा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और पेंशन कोष नियामकीय एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा संचालित एनपीएस (नई पेंशन योजना) के आंकड़ों के आधार पर जारी की गई है.

2018-19 में 1.49 करोड़ नए रजिस्‍ट्रेशन

इस आंकड़े के मुताबिक 2018-19 में 1.49 करोड़ नये लोगों का रजिस्‍ट्रेशन हुआ. इसका मतलब है कि वित्त वर्ष के दौरान इतने रोजगार सृजित हुए. सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान कुल 83.31 लाख नये अंशधारक ईएसआई योजना से जुड़े. इसी तरह ईपीएफओ के रोजगार के आंकड़े के अनुसार शुद्ध रूप से अप्रैल 2019 में 10.43 लाख रोजगार सृजित हुए. आंकड़े बताते हैं कि ईपीएफओ द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत 2018-19 में शुद्ध रूप से 61.12 लाख लोग रजिस्‍टर्ड हुए. वहीं सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान 15.52 लाख नये अंशधारक जुड़े.

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नई सरकार के लिए रोजगार बढ़ाना चुनौती

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में रोजगार बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है. रोजगार के मोर्चे पर मौजूदा सरकार को काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा था. ईपीएफओ के मुताबिक, अक्टूबर 2018 से अप्रैल अंत तक औसत मासिक नौकरी सृजन में 26 फीसदी की गिरावट आई है. नौकरियों के सृजन के मोर्चे में भी सुस्‍ती देखने को मिली है. बीते दिनों एनएसएसओ की पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) रिपोर्ट में कहा गया था कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी तक पहुंच गई जो 45 साल में सबसे ज्यादा है.

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