बाबा रामदेव के पतंजलि को टक्कर देने के लिए ITC लाई 'पंजाब दा किन्नू' जूस

एफएमसीजी कंपनी आईटीसी ने बाजार में पहली बार बाजार के मुताबिक स्थानीय या लोकलाइज्ड प्रोडक्ट बाजार में उतारने शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में आईटीसी ने गुरूवार को उत्तर भारत के लिए खास जूस लॉन्च किए. पंजाब दा किन्नू नाम का जूस खासतौर पर पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़ और उत्तर भारत की मार्किट को ध्यान में रख कर बनाया गया है.

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लव रघुवंशी / मनोज शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2016,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ के प्रोडक्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी चुनौती ने देश की कई नामी गिरामी कंपनियों को अपने उत्पादों तक में बदलाव करने को मजबूर कर दिया है.

ITC ने उतारे लोकल प्रोडक्ट
एफएमसीजी कंपनी आईटीसी ने बाजार में पहली बार बाजार के मुताबिक स्थानीय या लोकलाइज्ड प्रोडक्ट बाजार में उतारने शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में आईटीसी ने गुरूवार को उत्तर भारत के लिए खास जूस लॉन्च किए. पंजाब दा किन्नू नाम का जूस खासतौर पर पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़ और उत्तर भारत की मार्किट को ध्यान में रख कर बनाया गया है.

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उत्तर भारत में पतंजलि के प्रोडक्ट्स की पैठ
ध्यान रहे की बाबा रामदेव के पतंजलि प्रोडक्ट्स की भी उत्तर भारत में अच्छी खासी पैठ है और 50 फीसदी से भी ज्यादा ग्रोथ रेट के साथ पतंजलि 5 हजार करोड़ सालाना का टर्नओवर क्रॉस कर चुकी है. पतंजलि के जूस और दूसरे उत्पाद उत्तर भारत में खासे लोकप्रिय हैं. जाहिर सी बात है आईटीसी समेत सभी कंपनियां इस अहम मार्किट में अपने प्रोडक्ट बेचने में जी जान लगा रही हैं और मार्किट शेयर बढ़ने के लिए नए नए तरीके अपना रही हैं और आईटीसी ने लोकलाईजेशन का दांव खेला है.

हालांकि आईटीसी की फूड डिवीजन के डिविजनल चीफ एग्जीक्यूटिव वी. एल. राजेश कहते हैं की कंपनी का जूस लोकलाइजेशन प्लान किसी से मुकाबला करने के लिए नहीं बनाया गया है, लेकिन वो इतना जरूर मानते हैं की कंपनी को प्रतिद्वंदियों की स्ट्रेटेजी पर नजर तो रखनी ही पड़ती है क्योंकि अगर मार्केट का साइज न बड़े तो आपका मार्किट शेयर ही ग्रोथ की चाबी बन जाता है.

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मार्केट के हिसाब से बदलाव जरूरी
मैनेजमेंट गुरु और ब्रांड एनालिस्ट शिव खेड़ा भी कहते हैं कि यूं तो भारत एक बड़ा बाजार है, जहां सबके लिए ग्रोथ के मौके हैं. लेकिन बढ़ते बाजार में भी हर कंपनी को अपने प्रतिद्वंदियों पर नजर तो रखनी पड़ती ही है और उसके मुताबिक अपनी योजना में बदलाव भी करने पड़ते हैं. यूं तो पूरे देश के जूस बाजार को देखें तो ऑर्गेनाइज्ड जूस मार्केट मुश्किल से 1200 करोड़ रूपए का ही है जो पूरी जूस मार्किट का महज 25 फीसदी है. यानि 75 फीसदी बाजार पर अब भी अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर और लोकल जूस वेंडर्स का ही दबदबा है यानि मुकाबला तगड़ा है तो मौका भी.

वैसे भी ऑर्गेनाईज्ड जूस बाजार के 55 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर डाबर के रियल और करीब 30 फीसदी पर पेप्सी का कब्जा है. ऐसे में बचे मार्किट शेयर को हथियाने को बाकी कंपनियों को जी जान लगानी होगी. ऐसे में पतंजलि जैसे ब्रांड्स से मिल रहे कड़े मुकाबले को आईटीसी नकार नहीं सकती.

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