जेटली ने माना- GST के शुरुआती दिनों में होंगी मुश्किलें

जीएसटी लागू करने के दौरान शुरु में कुछ दिक्कते आ सकती हैं. यह वित्त मंत्री अरूण जेटली का मानना है. जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद लोगों को शुरु में कुछ परेशानियां हो सकती हैं लेकिन इस नई टैक्स व्यवस्था से कर चोरी कम करने और महंगाई रोकने में बड़ी मदद मिलेगी.

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अरुण जेटली अरुण जेटली

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2017,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

जीएसटी लागू करने के दौरान शुरु में कुछ दिक्कते आ सकती हैं. यह वित्त मंत्री अरूण जेटली का मानना है. जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद लोगों को शुरु में कुछ परेशानियां हो सकती हैं लेकिन इस नई टैक्स व्यवस्था से कर चोरी कम करने और महंगाई रोकने में बड़ी मदद मिलेगी.

जेटली ने कहा कि जीएसटी काउंसिल अचल संपत्ति कारोबार को अगले साल तक नयी कर प्रणाली के दायरे में लाने पर विचार करेगी तथा नयी व्यवस्था में एक दो साल में पेट्रोलियम उत्पादों पर कराधान के बारे में भी समीक्षा की जाएगी.

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जीएसटी से शुरू में होंगी परेशानी

वित्त मंत्री ने पहली बार यह कहा है कि जीएसटी लॉन्च के शुरुआती दिनों में लोगों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि किसी भी बड़े आर्थिक बदलाव की अपनी कुछ परेशानियां होती हैं. लेकिन यह दूर होंगी तथा देश नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से बड़ा फायदा होगा.

वस्तु एवं सेवा कर एक जुलाई को लागू होगी तथा उसके अंतर्गत उत्पाद, सेवा शुल्क और वैट जैसे अप्रत्यक्ष कर आ जायेंगे. किरोसिन, नाफ्था और एलपीजी जैसे उत्पाद जीएसटी के दायरे में लाये गये हैं जबकि कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, विमान ईंधन, डीजल और पेट्रोल को शुरु के कुछ सालों के लिए जीएसटी से बाहर रखा गया है.

पेट्रोलियम उत्पादों पर कर जीएसटी परिषद तय करेगा

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के साथ चर्चा के दौरान पेट्रोलियम और शराब जैसे मुद्दों पर कुछ कड़ा विरोध था क्योंकि राज्य अपना कराधान अधिकार छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा, यदि हमने उस पर जोर दिया होता है तो सहमति नहीं बन पाती. संविधान संशोधन के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत कर, जब भी जीएसटी परिषद तय करे, लगाया जा सकता है. जीएसटी लागू होने के बाद एक दो साल में परिषद को इस पर पुनर्वचिार का फिर मौका मिलेगा. जेटली ने कहा कि वह व्यक्तिगत रुप से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव पक्ष में थे लेकिन कुछ अन्य राज्य इसके पक्ष में नहीं थे. उन्होंने कहा, तब यह तय किया गया कि पहले जीएसटी लागू होने दिया जाए और फिर एक साल बाद हम इसकी समीक्षा करेंगे.

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कहीं नोटबंदी न बन जाए जीएसटी?

केन्द्र सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की. इस कदम से सरकार का मकसद देश में कालेधन पर लगाम लगाना था. वहीं इस फैसले ने एक झटके में पूरे देश में संचालित 86 फीसदी करेंसी को अमान्य घोषित कर दिया और उसकी जगह नई करेंसी का संचार शुरू किया. इससे कालेधन पर कितना अंकुश लगा यह आंकड़े तो फिलहाल सरकार को नहीं मिले लेकिन फैसले से पूरे देश में बड़ा करेंसी संकट खड़ा हो गया. देशभर में एटीएम व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ गई और बैंकों के सामने लंबी-लंबी कतारें लग गईं. वहीं कारोबार पर इसका गंभीर असर देखने को मिला और डिमांड-सप्लाई का संतुलन पूरी तरह खराब हो गया.

अब केन्द्र सरकार पूरे देश में सिंगल टैक्स स्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए 1 जुलाई से जीएसटी लागू करने जा रही है. उसे उम्मीद है कि इस नए टैक्स व्यवस्था से देश में टैक्स चोरी की समस्या से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी. लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि देश सरकार के साथ-साथ सभी कारोबारियों को टैक्स का यह नया ढ़ांचा साफ-साफ समझ में आए और टैक्स से सरकार की आय में कोई नकारात्मक बदलाव न दर्ज हो.

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