इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आपके पास 31 मार्च तक का समय है. इस तारीख तक आपको आईटीआर फाइल करना होगा. यदि आप खुद ही इस बार आईटीआर फाइल करने की योजना बना रहे हैं, तो इसके लिए आपको ये पता होना चाहिए कि आपको कौन सा फॉर्म भरना है. आगे हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं.
ITR-1 को सहज फॉर्म भी कहा जाता है. यह एक सिंगल पेज फॉर्म है, जिसमें आप 5 चीजों को शामिल करते हैं. यह फॉर्म उन लोगों को भरना होता है, जिनकी आय 50 लाख रुपये तक है. आप इस फॉर्म को तब ही यूज कर सकते हैं, अगर आपकी कुल आय में सैलरी, पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी से हासिल होने वाली आय और अन्य किसी स्रोत से हासिल होने वाली आय शामिल है.
इस फॉर्म 5 पार्ट होते हैं.
- पार्ट A: आपकी सामान्य जानकारी होती है.
- पार्ट B: इसमें आपकी ग्रोस टोटल इनकम शामिल होती है.
-पार्ट C: इसमें डिडक्शन शामिल होता है.
- पार्ट D: टैक्स देनदारी की गणना करना
- पार्ट E: इसमें अन्य टैक्स से जुड़ी जानकारी शामिल होती हैं.
इस फॉर्म का इस्तेमाल व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUFs) कर सकते हैं. अगर आपकी कमाई सैलरी, पेंशन, एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन्स, विदेशों में संपत्ति और यदि आपकी कृषि आय 5 हजार रुपये से ज्यादा है, तो आपको यह फॉर्म भरना होगा. इसमें आप अपने पति व पत्नी और नाबालिग बच्चों की आय को भी शामिल कर सकते हैं.
इस फॉर्म को भी व्यक्ति और HUFs भर सकते हैं. हालांकि यह आपको तब ही भरने की जरूरत है, जब आप की कमाई सैलरी, पेंशन, एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी, देश के बाहर संपत्ति, स्वयं स्वामित्व वाला व्यवसाय, प्रोफेशनल इनकम और पार्टनरशिप इनकम से हो. इसके अलावा आपकी कृषि आय 5 हजार रुपये से ज्यादा की हो.
ITR - 4S (सुगम):
यह फॉर्म उन लोगों के लिए है, जिनकी टैक्स देनदारी आयकर विभाग के सेक्शन 44AD और 44AE के तहत आती है. इसके अलावा सिंगल हाउस प्रॉपर्टी और अन्य सोर्सेज से आपकी आय आती है, तो यह फॉर्म आपके लिए है. इसे कोई व्यक्ति, HUFs और पार्टनरशिप यूज कर सकती है.
इसे कंपनियों, लिमिटेड लाएब्लिटी पार्टनरशिप, एसोसिएशंस ऑफ पर्संस, व्यक्तियों का निकाय समेत वे लोग यूज कर सकते हैं, जिनकी देनदारी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2(31)(vii) के तहत बनती है. इसके अलावा कोऑपरेटिव सोसायटी और वे व्यक्ति, जिनकी देनदारी सेक्शन 160(1)(iii) और (iv) के तहत बनती है. रजिस्टर्ड सोसायटी और लोकल अथॉरिटी को भी यह फॉर्म भरना पड़ता है.
ITR-6:
यह फॉर्म कंपनियां भर सकती हैं. हालांकि यह सेक्शन 11 के तहत क्लेम के अलावा भरा जाता है.
इस फॉर्म को उन लोगों को भरना जरूरी है, जिनकी देनदारी निम्न सेक्शन के तहत आती है.
- सेक्शन 139 (4A)
- सेक्शन 139 (4B)
- सेक्शन 139 (4C)
- सेक्शन 139 (4D)
- सेक्शन 139 (4E)
- सेक्शन 139 (4F)
विकास जोशी