जेट एयरवेज की बोली के लिए फिर मौका, कर्जदाताओं की समिति ने लिया फैसला

बंद पड़ी जेट एयरवेज की कर्जदाताओं की समिति ने एयरलाइन कंपनी के लिये नए सिरे से रूचि पत्र आमंत्रित करने का निर्णय किया है.

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बीते साल अप्रैल में बंद हो गई थी जेट एयरवेज बीते साल अप्रैल में बंद हो गई थी जेट एयरवेज

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 27 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:23 PM IST

  • एयरलाइन पर बैंकों का 8000 करोड़ से अधिक बकाया
  • इस बकाये में सरकारी बैंकों की उल्लेखनीय हिस्सेदारी

वैसे तो कर्ज में डूबी एयरलाइन जेट एयरवेज ने आखिरी उड़ान अप्रैल 2019 में भरी थी, लेकिन अब तक कंपनी के भविष्‍य पर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका है. दरअसल, जेट एयरवेज कर्जदाताओं के अधीन है और कर्जदाताओं की समिति इसकी बिक्री के जरिए पैसे वसूलना चाहती है. इसके लिए बार-बार रुचि पत्र (ईओआई) भी जारी किए गए हैं लेकिन जेट एयरवेज की खरीदारी के लिए कोई खास दिलचस्‍पी नहीं दिखाई गई है.

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अब एक बार फिर एयरलाइन के कर्जदाताओं की समिति ने नये सिरे से रूचि पत्र आमंत्रित करने का निर्णय किया है. जेट एयरवेज की ओर से कहा गया, ‘‘एयरलाइन के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की आठवीं बैठक 18 फरवरी को हुई और ई-मतदान 25 फरवरी को हुआ. बैठक में सीओसी ने नए सिरे से रूचि पत्र आमंत्रित करने का निर्णय किया है.’’

रूस की कंपनी दिखा रही दिलचस्‍पी

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक सूत्र ने कहा कि रूस के ‘फार ईस्ट एशिया डेवलपमेंट फंड’ के साथ एनसो ग्रुप की टीम के सीओसी से मुलाकात के बाद ये फैसला लिया गया है. जानकारी के मुताबिक दोनों ने जेट एयरवेज में रूचि दिखाई है.इससे पहले, खबर थी कि दक्षिण अमेरिका का सिनर्जी ग्रुप और नयी दिल्ली के प्रूडेंट एआरसी जेट एयरवेज में दिलचस्‍पी दिखा रही है.

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पिछले साल अप्रैल से बंद है जेट एयरवेज

प्राइवेट सेक्‍टर की जेट एयरवेज पिछले साल अप्रैल से बंद है. वहीं जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने मार्च 2019 में ही चेयरमैन पद से इस्‍तीफा दे दिया था. फिलहाल, वित्तीय अनियमितताओं की वजह से नरेश गोयल कानूनी शिकंजे में हैं. एयरलाइन पर बैंकों का 8,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है, जो ब्‍याज के साथ बढ़ता जा रहा है. इस बकाये में सरकारी बैंकों की उल्लेखनीय हिस्सेदारी है.

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