बैंकिंग फ्रॉड की तीन दिन के अंदर कर दी शिकायत, तो नहीं होगा कोई नुकसान, RBI ने जारी किए निर्देश

केंद्रीय बैंक ने बताया कि अगर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन से जुड़ी किसी धोखाधड़ी की जानकारी तीन दिन के अंदर दे दी जाती है, तो ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा और उनके खाते से कटी रकम 10 दिन के अंदर उसी खाते में वापस आ जाएगी.

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साद बिन उमर

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 3:00 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन में धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. केंद्रीय बैंक ने बताया कि अगर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन से जुड़ी किसी धोखाधड़ी की जानकारी तीन दिन के अंदर दे दी जाती है, तो ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा और उनके खाते से कटी रकम 10 दिन के अंदर उसी खाते में वापस आ जाएगी.

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आरबीआई ने साथ ही बताया कि अगर थर्ड पार्टी की तरफ से की गई धोखाधड़ी की रिपोर्ट 4 से 7 दिन की देरी से की जाती है, तो ग्राहकों को 25,000 रुपये तक का नुकसान खुद उठाना होगा. वहीं अगर यह नुकसान बैंक खाताधारक की लापरवाही से हुआ है (जैसे पेमेंट से जुड़ी गोपनीय जानकारी शेयर कर देने से) और बैंकों को तुरंत इस फ्रॉड की जानकारी नहीं दी, तो ग्राहक को ही पूरा नुकसान उठाना पड़ेगा.

रिजर्व बैंक ने ग्राहक सुरक्षा, अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंक लेन-देन में ग्राहकों की सीमित देनदारी (कस्टमर प्रोटेक्शन लिमिटिंग लाइबिलिटी ऑफ कस्टमर्स इन अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांजैक्शन) पर नए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाधिकृत लेन-देन के बारे में रिपोर्ट करने के बाद अगर कोई नुकसान होता है, उसकी भरपाई बैंक करेंगे.

दरअसल आरबीआई ने कहा कि खातों और डेबिट या क्रेडिट कार्ड से लेन-देन के बारे में ग्राहकों की शिकायतों में बढ़ोतरी के बीच संशोधित दिशानिर्देश जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि थर्ड पार्टी की तरफ धोखाधड़ी बैंक या ग्राहकों की तरफ से चूक की वजह से नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम की किसी चूक की वजह से हुई है, तो ऐसे मामलों में ग्राहकों की कोई देनदारी नहीं होगी. हालांकि इसमें ग्राहक को इस अनाधिकृत ट्रांजैक्शन की पता चलने के बाद तीन वर्किंग डे के अंदर-अंदर बैंकों को इसकी जानकारी देनी होगी. ऐसे में उस ट्रांजैक्शन में बैंक की तरफ से चूक सामने आने पर ग्राहक की कोई देनदारी नहीं होगी.

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वहीं अगर थर्ड पार्टी की तरफ से की गई धोखाधड़ी के मामले में अगर रिपोर्ट 4 से 7 दिन की देरी से की जाती है, तो ग्राहकों को 25,000 रुपये तक की देनदारी का सामना करना पड़ेगा. जबकि ग्राहक अगर 7 दिनों के बाद किसी फ्रॉड की रिपोर्ट करता है, तो बैंक के बोर्ड की ओर से तय पॉलिसी के आधार पर ग्राहक की देनदारी पर विचार किया जाएगा. ऐसे मामलों में बचत बैंक खाता धारक की अधिकतम देनदारी 10,000 रुपये होगी.

 

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