20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का हुआ ऐलान, लेकिन पैसा कहां से आएगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की.

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पैकेज के बारे में विस्तृत ब्योरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देंगी पैकेज के बारे में विस्तृत ब्योरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देंगी

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 13 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

  • विशेष आर्थिक पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा
  • देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 10 प्रतिशत है

कोरोना वायरस की वजह से सुस्‍त पड़ी देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है.

बीते मंगलवार को पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है. इस पैकेज के बारे में विस्तृत ब्योरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देंगी. लेकिन सवाल है कि इस आर्थिक पैकेज के लिए सरकार के पास पैसे कहां से आएंगे. आइए इसका गणित समझ लेते हैं..

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कर्ज ले रही है सरकार

दरअसल, सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बाजार से कर्ज लेने का लक्ष्य बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. अहम बात ये है कि आम बजट में इसका लक्ष्य 7.8 लाख करोड़ रुपये रखा गया था. इसका मतलब साफ है कि इस साल सरकार अतिरिक्‍त 4.2 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेगी. बीते दिनों सरकार की ओर से कहा गया था कि कोरोना संकट के कारण कर्ज के लक्ष्‍य को बढ़ाना जरूरी हो गया था. पहली छमाही में 6 लाख करोड़ रुपये मार्केट गिल्ट (बॉन्ड) के रास्ते से जुटाई जाएगी. इस पैसे को कोरोना से इकोनॉमी को बचाने पर खर्च किया जाएगा.

सरकार का बहीखाता..

क्‍या होगा असर?

बीते दिनों जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने कहा था कि सरकार 12 लाख करोड़ रुपये का उधार बाजार ले रही है. इससे राजकोषीय घाटा 5.5-6 फीसदी तक जा सकता है जबकि इस साल के लिए सरकार ने इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. सरकार के लिए इस राजकोषीय घाटे को कम करना बड़ी चुनौती है.

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ये पढ़ें-तेजी से खाली हो रहा खजाना, RBI से 45 हजार करोड़ की मदद मांगेगी सरकार!

हालांकि, इसके लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जा रहे हैं. मसलन, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने से सरकारी खजाने में 1.4 लाख करोड़ रुपये आएंगे. बाजार के जानकारों की मानें तो कच्‍चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है, ऐसे में सरकार के लिए टैक्‍स लगाना और आसान हो गया है. इससे आम जनता को पेट्रोल-डीजल पर कोई बड़ी राहत तो नहीं मिल रही है लेकिन कीमतों में बहुत ज्‍यादा फर्क भी नहीं पड़ेगा.

आरबीआई भी करेगा मदद!

कोरोना के संकटकाल में रिजर्व बैंक भी सरकार की मदद करेगा. दरअसल, बीते दिनों न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स से दावा किया था कि केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 45 हजार करोड़ की मदद मांगने की तैयारी कर ली है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक सरकार राजस्‍व बढ़ाने के लिए ये कदम उठाने वाली है.

आपको बता दें कि आरबीआई मोटे तौर पर करेंसी और सरकारी बॉन्ड की ट्रेडिंग से मुनाफा कमाता है. इन कमाई का एक हिस्सा आरबीआई अपने परिचालन और इमरजेंसी फंड के तौर पर रखता है. इसके बाद बची हुई रकम डिविडेंड के तौर पर सरकार के पास जाती है.

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