कॉरपोरेट की लड़ाई में नौसेना का 20 हजार करोड़ रुपये का 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट फंसा

अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) ने नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी की शिकायत कर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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अनिल अंबानी की कंपनी RNEL और ए.एम. नाइक की  L&T में प्रोजेक्ट हासिल करने की जंग  अनिल अंबानी की कंपनी RNEL और ए.एम. नाइक की L&T में प्रोजेक्ट हासिल करने की जंग

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2018,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

देश के दो दिग्गज कॉरपोरेट कंपनियों की आपसी लड़ाई में भारतीय नौसेना का करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपये का 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट फंस गया है.

अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस नवल ऐंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) ने नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी की शिकायत कर गंभीर आरोप लगाए हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, कंपनी ने शिकायत की है कि यह अधिकारी एक कॉन्ट्रैक्ट में RNEL की प्रतिस्पर्धी कंपनी लार्सेन ऐंड टूब्रो की सिर्फ इस वजह से तरफदारी कर रहे हैं, क्योंकि उनके बेटे इस कंपनी में नौकरी करते हैं. इस शिकायत की अभी जांच चल रही है और इसकी वजह से पूरा प्रोजेक्ट फंसा हुआ है.

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रिलायंस ने इस मामले में 'पक्षपात और आंतरिक जानकारियों को लीक करने का आरोप लगाया है. भारत में ही चार एम्फिबियस वारशिप बनाने का यह महात्वाकांक्षी कॉन्ट्रैक्ट पिछले साल से ही लटका हुआ है, जब इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने L&T और RNEL का चयन किया था.

अखबार के अनुसार उक्त शीर्ष नौसेना अधिकारी के बेटे L&T के डिफेंस डिवीजन में काम करते हैं. RNEL के प्रवक्ता ने यह माना कि कंपनी ने इसके बारे में आधिकारिक शिकायत की है. L&T के अधिकारियों ने रिलायंस के उक्त आरोपों का खंडन किया है.

असल में क‍रीब 20 हजार करोड़ रुपये की लागत का यह प्रोजेक्ट किसी भी कंपनी की तकदीर बदलने वाला साबित हो सकता है. इसलिए, दोनों कंपनियों में इसे हासिल करने के लिए कड़वी जंग शुरू हो गई है.

इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाला लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स (LPD) भारत में निजी क्षेत्र में बनने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत होगा. यह समुद्र में सैनिकों, टैंकों, हेलीकॉप्टर आदि ढोने के काम आएगा.

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रिलायंस ने इसके लिए फ्रेंच नवल ग्रुप से हाथ मिलाया है, जबकि एलऐंडटी ने स्पेन के नवांतिया ग्रुप को अपना टेक्नोलॉजी पार्टनर बनाया है. इसके तहत चार युद्धपोत भारतीय यार्ड में ही बनाए जाएंगे और विदेशी पार्टनर से महज डिजाइन और टेक्नोलॉजी हासिल की जाएगी.

इसके लिए साल 2017 में दो कंपनियों को शॉर्टलिस्ट तो कर लिया गया है, लेकिन कॉमर्शियल बिड शुरू होने जैसी आगे की प्रक्रिया बाधित पड़ी हुई है.

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