कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इसका असर ये हुआ है कि टॉप म्यूचुअल फंड कंपनी फ्रैंकलिन टेंपलटन ने भारत में अपनी 6 स्कीम्स को बंद कर दिया है.
फ्रैंकलिन टेंपलटन के इस फैसले की वजह से निवेशकों के करीब 28 से 30 हजार करोड़ रुपये अटक गए हैं. अब इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बयान आया है. चिदंबरम ने 2008 की मंदी के दौरान इसी तरह के संकट का जिक्र किया है. इसके साथ ही बताया है कि तब की यूपीए सरकार ने कैसे इस मामले को संभाला था.
क्या कहा चिदंबरम ने ?
कांग्रेस के सीनियर लीडर पी चिदंबरम ने कहा कि ये मामला निवेशकों, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री और वित्त बाजारों के लिए चिंता का विषय है. चिदंबरम ने बताया कि अक्टूबर 2008 के पहले सप्ताह वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी. तब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को नकदी की कमी का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद सरकार ने तुरंत RBI, सेबी, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन समेत अन्य जानकार संस्थाओं से सलाह ली थी. इसके बाद वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) के साथ एक तत्काल बैठक बुलाई गई थी. चिदंबरम ने आगे बताया कि दिन के अंत तक इसका समाधान निकाला गया था. इसके बाद आरबीआई ने 14 दिन के लिए खास रेपो सुविधा की घोषणा की थी. चिदंबरम को उम्मीद है कि शनिवार और रविवार के दिन शेयर बाजार बंद हैं और इस बीच में सरकार इसे गंभीरता से लेकर उचित समाधान करेगी.
क्या है फ्रैंकलिन मामला ?
दरअसल, फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए भारत में अपनी 6 स्कीम्स को बंद कर दिया है. बंद होने वाले छह फंड हैं - फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड. यह पहला मौका है जब कोई निवेश संस्था कोरोना वायरस से संबंधित हालात के कारण अपनी योजनाओं को बंद कर रही है.
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निवेशकों के पैसे का क्या होगा?
एक अनुमान के मुताबिक स्कीम्स बंद होने की वजह से निवेशकों के 28 से 30 हजार करोड़ रुपये अटक गए हैं. कंपनी का कहना है कि निवेशकों को अपना पैसा वापस पाने के लिए कुछ महीनों तक इंतजार करना होगा. फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने बताया कि स्वेच्छा से अपनी छह स्कीम्स को बंद करने के बाद उसने इस निर्णय के बारे में सेबी के साथ चर्चा की थी. सेबी ने इस फैसले को सही माना है.
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