कोरोना लॉकडाउन: मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा- लोग तंगहाल होते तो भरे न होते जनधन खाते

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकर (CEA) डॉ. के.वी.सुब्रमण्यम ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बैंकों के जनधन योजना अकाउंट जमा में बढ़त होते देखा गया. इसका मतलब यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी उतनी नहीं है, जितनी मानी जा रही है. गरीब लोगों को काफी दिक्कतें हुईं जिनके लिए सरकार ने राहत पैकेज का ऐलान किया. अब इंडस्ट्री की दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार राहत पैकेज लाएगी.

Advertisement
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकर डॉ. केवी सुब्रमण्यम सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकर डॉ. केवी सुब्रमण्यम

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:09 PM IST

  • मुख्य आर्थिक सलाहकार इंडिया टुडे ई-कॉन्क्लेव में शामिल हुए
  • उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में जनधन खातों में पैसा बढ़ा है
  • उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज जल्द आएगा

कोरोना ने सेहत के साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पेश की है. इससे खासकर करोड़ों गरीब लोगों को काफी दिक्कतें हुईं, जिनके पास लॉकडाउन की वजह से न तो काम था और न ही पेट भरने की व्यवस्था. लेकिन भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकर (CEA) डॉ. केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बैंकों के जनधन योजना अकाउंट जमा में बढ़त होते देखा गया. इसका मतलब यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी उतनी नहीं है, जितनी मानी जा रही है.

Advertisement

इंडिया टुडे ई-कॉन्क्लेव जम्प स्टार्ट इंडिया के सेशन को संबोधित करते हुए डॉ.सुब्रमण्यम ने यह बात कही. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे टीवी के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने किया. डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि अमेरिका में बेरोजगारी बीमा के लिए आवेदन करने वालों की संख्या ग्रेट डिप्रेसन के समय से भी ज्यादा है, भारत में ऐसी स्थिति नहीं आई है.

गरीबों को मिली पर्याप्त मदद

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना अकाउंट के आंकड़ों को देखें तो तस्वीर अलग दिखती है. इन खातों में 18 मार्च को 1.18 लाख करोड़ रुपया जमा था, लेकिन 15 अप्रैल तक जमा 1.33 लाख करोड़ रुपया हो गया. 5 हफ्ते में प्रति खाते में औसतन 250 रुपये का जमा बढ़ा है. अगर लोग इतने परेशान होते तो लोग बैंक में पैसा निकालने के​ लिए चले जाते.

Advertisement

उन्होंने कहा कि हर परिवार को 35 किलोग्राम के अलावा 25 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज यानी कुल 60 किलो अनाज प्रति महीने दिया जा रहा है, जो कि पर्याप्त है.

कोरोना पर फुल कवरेज के लि‍ए यहां क्ल‍िक करें

सरकार की क्या है प्राथमिकता

इस समय सरकार की प्राथमिकता क्या है, राहत पैकेज कब आएगा, इस सवाल के जवाब में सुब्रमण्यम ने कहा कि राहत पैकेज कभी भी आ सकता है.

अब इंडस्ट्री की दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार राहत पैकेज लाएगी. भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकर डॉ.के.वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि यह राहत पैकेज किसी भी समय आ सकता है.

इस महामारी की वजह से मांग को झटका लगा है. लोग गैर जरूरी सामान नहीं खरीद रहे. कंपनियों के पास नकदी का प्रवाह नहीं है. इसलिए सरकार का फोकस मांग बढ़ाने पर है. इसलिए राहत पैकेज का पहला हिस्सा वंचित तबके लिए था, ताकि उपभोग पर असर पड़े. अब इसके दूसरे हिस्से में हम इकोनॉमी पर फोकस करेंगे, खासकर आपूर्ति पक्ष पर.

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को जनधन-आधार-मोबाइल यानी JAM त्रिमूर्ति का काफी फायदा मिला है. जनधन खातों की वजह से ऐसे समय में तत्काल लोगों के खातों तक पैसा पहुंच जाता है, जब मांग सबसे ज्यादा होती है.

Advertisement

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...

भारत ने इतना कम राहत क्यों दिया

कठोर लॉकडाउन के बावजूद भारत ने दूसरे देशों के मुकाबले राहत पैकेज देने में कंजूसी दिखाई है. इस बारे में सवाल पर सुब्रमण्यम ने कहा, 'दूसरे देशों के आंकड़ों को आपको सावधानी से देखना होगा. ब्रिटेन ने अपने जीडीपी के 15 फीसदी तक राहत पैकेज की घोषणा की है. लेकिन इसमें से 350 अरब पाउंड सरकार द्वारा दी गई लोन गारंटी है. वास्तविक लागत देखें तो यह बहुत कम है. वास्तव में यह जीडीपी के 3.7 फीसदी तक आता है. इसी तरह अमेरिका में भी यह जीडीपी का 10 फीसदी नहीं बल्कि 6.6 से 6.7 फीसदी तक आता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement