कोरोना संकट की वजह से दुनिया में जा सकता है आधे कामगारों का रोजगार: ILO

आईएलओ ने कहा कि दुनिया भर में असंगठित क्षेत्र के 1.6 अरब श्रमिकों के सामने रोजगार खोने का संकट खड़ा हो गया है. यह संख्या दुनिया के समूचे वर्कफोस की करीब आधी है.अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा कि कोरोना से 43 करोड़ से ज्यादा उद्यम बेहद प्रभावित हैं, जिसमें खुदरा और उत्पादन वाले क्षेत्र शामिल हैं.

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कोरोना से बड़े पैमाने पर रोजगार जाने की आशंका कोरोना से बड़े पैमाने पर रोजगार जाने की आशंका

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

  • कोरोना से बड़े पैमाने पर रोजगार जाने की आशंका
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने दी गंभीर चेतावनी
  • करीब आधे कामगारों का रोजगार छिन सकता है

कोरोना महामारी लोगों को आगे भी काफी दुख देने वाली है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने यह गंभीर चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी की वजह से दुनिया में करीब आधे कामगारों का रोजगार छिन सकता है.

क्या कहा आईएलओ ने

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आईएलओ ने कहा कि दुनिया भर में असंगठित क्षेत्र के 1.6 अरब श्रमिकों के सामने रोजगार खोने का संकट खड़ा हो गया है. यह संख्या दुनिया के समूचे वर्कफोस की करीब आधी है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा कि कोरोना से 43 करोड़ से ज्यादा उद्यम बेहद प्रभावित हैं जिसमें खुदरा और उत्पादन वाले क्षेत्र शामिल हैं.

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क्या है खतरा

बुधवार को प्रकाशित आईएलओ मॉनिटर के तीसरे संस्करण ‘कोविड-19 और काम की दुनिया’ में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर करीब 3.3 अरब श्रमिक हैं. करीब दो अरब नौकरियां असंगठित अर्थव्यवस्था वाले क्षेत्र में हैं और ये ऐसे श्रमिक हैं जिनकी नौकरियां जाने का सबसे ज्यादा खतरा है.

आईएलओ के महानिदेशक गाय रेडर ने कहा कि महामारी और नौकरियों के संकट की वजह से इन श्रमिकों की आजीविका को सुरक्षित करना बेहद जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा कि लाखों श्रमिकों के लिए कमाई नहीं होने का मतलब भोजन का जरिया का खत्म होना है और उनका भविष्य डूब जाएगा.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आईएलओ ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से आर्थिक गिरावट से असंगठित क्षेत्र के 1.6 अरब लोगों के सामने आजीविका कमाने का संकट खड़ा हो गया है.

गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से दुनिया के करीब एक-तिहाई देशों में लॉकडाउन है और ज्यादातर देशों की इकोनॉमी ठप है.

आईएलओ के अनुसार बंद और बेहद प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले ऐसे श्रमिकों की आय में बंद के पहले महीने में वैश्विक स्तर पर 60 फीसदी की गिरावट हुई है.

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