देश में हर हफ्ते घटती-बढ़ती है बेरोजगारी, जानें-CMIE द्वारा कैसे जुटाए जाते हैं आंकड़े

लॉकडाउन के दौरान जब सरकारी आंकड़े नहीं आ रहे ​थे, तब निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों पर पर भरोसा और बढ़ गया था. यह हफ्ते बेरोजगारी और रोजगार से जुड़े आंकड़े जारी करता है.

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CMIE हर हफ्ते जारी करता है बेरोजगारी के आंकड़े (फाइल फोटो: PTI) CMIE हर हफ्ते जारी करता है बेरोजगारी के आंकड़े (फाइल फोटो: PTI)

ऐश्वर्या पालीवाल

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

  • CMIE हर हफ्ते जारी करता है बेरोजगारी के आंकड़े
  • देश के 25 राज्यों में CMIE द्वारा किया जाता है सर्वे
  • निजी संस्था होने के बावजूद इस पर काफी है भरोसा

बेरोजगारी के आंकड़ों के मामले में एक निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों पर काफी भरोसा किया जाता है. यह हफ्ते बेरोजगारी और रोजगार से जुड़े आंकड़े जारी करता है. लॉकडाउन के दौरान जब सरकारी आंकड़े नहीं आ रहे ​थे, तब इस पर भरोसा और बढ़ गया था. लेकिन इतने विशाल देश में आखिर यह संस्था बेरोजगारी को लेकर हर हफ्ते सर्वे कैसे कर लेती है? क्या है इसकी मेथडोलॉजी? आइए जानते हैं.

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क्या है मेथडोलॉजी

CMIE के अनुसार, य​ह सर्वे मुख्य रूप से 49 तरह के स्तरों पर आधारित है. जनसंख्या को राज्य और क्षेत्रवार शहरी एवं ग्रामीण स्तर में विभाजित किया जाता है. इसके बाद सभी 25 राज्यों जिनमें हम सैम्पल लेते हैं को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विभाजित करते हैं.

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क्या होता है सैम्पल साइज

CMIE के द्वारा 1,4,405 परिवारों में सर्वे किया जाता है. इनमें से 1,10,975 शहरी परिवार होते हैं जिनको 322 शहरों के 7,920 सेंसस इनूमरेशन ब्लॉक (CEB) से चुना जाता है. इसी तरह 63,430 ग्रामीण परिवारों का चुनाव 3,965 गांवों में से किया जाता है.

यह सैम्पल साइज सैम्पलिंग मेथडोलॉजी और प्राइमरी सैम्पलिंग यूनिट (PSUs) के स्तर पर तय सैम्पल आकार के निर्णय को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. किसी शहरी PSU सैम्पल शहर के लिए सैम्पल आकार 320 और किसी शहर के सीईबी में 8 ​तय होता है. ग्रामीण PSU सैम्पल गांव के लिए सैम्पल का आकार 16 तय होता है.

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यह सैम्पल साइज साल 2011 की जनगणना को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. चार महीने के एक राउंड में इन सभी 1,74,405 परिवारों की सैम्पलिंग हो जाती है. साल में ऐसे तीन राउंड होते हैं. इस पूरे 1,74,405 परिवारों के सैम्पल को चार बराबर स्लॉट में विभाजित किया जाता है और इसे एक राउंड के चार महीने में क्रियान्वित किया जाता है.

हर स्लॉट में 43,601 परिवार होते हैं. इनका सर्वे एक महीने में किया जाता है. हर परिवार की मैपिंग तीन स्लॉट में की जाती है जो चार महीने के अंतराल पर होते हैं. यह मैपिंग ​निश्चित रहती है.

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किसी एक महीने में सैम्पलिंग के कार्य को हफ्तों की योजना बनाकर की जाती है. किसी हफ्ते की शुरुआत से पहले निर्धारित स्लॉट के मुताबिक परिवारों तक जाना तय रहता है. इसके बाद इस बात की निगरानी की जाती है कि सैम्पलिंग का कार्य समय से और गुणवत्तापूर्वक हो रहा है या नहीं.

कैसे लिया जाता है डेटा

फील्ड वर्कर घर-घर जाकर डेटा हाथ में आ सकने वाले जीपीएस से लैस फोन डिवाइस से लेते हैं. फील्ड सर्वे के पूरा होने के तत्काल बाद डेटा इस सिस्टम से ही अपलोड कर दिया जाता है और केंद्रीय स्तर पर इसको क्रॉस चेक किया जाता है कि ताकि डेटा एंट्री में किसी तरह का फर्जीवाड़ा न होने पाए.

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इस पूरी प्रक्रिया की कई तरह के साधनों से निगरानी की जाती है जैसे- जीपीएस लोकेशन ट्रैकिंग, कॉल बैक और ग्राउंड सुपरविजन. तो इस तरह से सर्वे का काम पूरा होता है.

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