आप होम लोन या कार लोन लेने की सोच रहे हैं, तो मार्च से आपको इसके लिए ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ सकता है. दरअसल बैंकों ने अपने घटते प्रॉफिट की रिकवरी करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया है. यह स्थिति तब है, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने इकोनॉमी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं किया है.
बुधवार को जब भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति ने ब्याज दरों में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया, उसी दिन एचडीएफसी बैंक ने एमसीएलआर में 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है.
इससे पहले एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड और यस बैंक ने भी एमसीएलआर रेट में 5 से 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुके हैं. बेसिस प्वाइंट प्रतिशत का 0.01 हिस्सा होता है.
इस वजह से आई नौबत
मौजूदा आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया है. लेकिन बैंक आरबीआई के साथ नहीं चल रहे. बैंकों के लिए मार्केट से कर्ज लेना काफी महंगा साबित हो रहा है. इसके साथ ही उनकी कोशिश अब ऐसे डिपोजिट तैयार करने की है, जिन पर उन्हें ज्यादा रेट मिले.
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से बेस रेट को एमसीएलआर से लिंक करने का जो फैसला लिया गया है. उसकी वजह से भी ब्याज दरें बढ़ते रहने की आशंका जताई जा रही है.
बॉन्ड यील्ड
बढ़ती महंगाई का असर सरकार के बॉन्ड प्राइस पर भी पड़ रहा है. बैंक डेट के सबसे बड़े खरीददार हैं. तीसरी तिमाही में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. इस वजह से वह इस राह पर आगे बढ़ने से कतरा सकते हैं. पिछले 7 महीनों के भीतर बॉन्ड यील्ड में 114 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी हुई है.
बेस रेट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय किया जाता है. यह वह रेट होता है, जिसके नीचे कोई भी बैंक अपने ग्राहक को लोन नहीं दे सकता है. इस व्यवस्था को इसलिए लाया गया था कि क्रेडिट मार्केट में पारदर्शिता लाई जाए.
क्या है MCLR रेट?भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल 1 अप्रैल को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) की व्यवस्था शुरू की है. इस व्यवस्था के तहत अलग-अलग ग्राहक के लिए लोन की ब्याज दरें उसकी रिस्क प्रोफाइल के आधार पर तय की जाती हैं.
कैसे तय होता है MCLR रेट?
मार्जिनल का मतलब होता है- अलग से अथवा अतिरिक्त. जब भी बैंक लेंडिंग रेट तय करते हैं, तो वह बदली हुई स्थिति का खर्च और मार्जिनल कॉस्ट को भी कैलकुलेट करते हैं. बैंकों के स्तर पर ग्राहकों को डिपोजिट पर दिए जाने वाली ब्याज दर शामिल होती है. MCLR को तय करने के लिए 4 फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है. इसमें
- फंड का अतिरिक्त चार्ज
- निगेटिव कैरी ऑन CRR
-ऑपरेशन कॉस्ट
- टेनर प्रीमियम
विकास जोशी