चेकबंदी की बात तब तक बेमानी, जब तक नहीं सुधरे ये 5 हालात

मोदी सरकार नोटबंदी के बाद डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए चेकबंदी करने का फैसला ले सकती है. ये कहना है अख‍िल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) का. भविष्य में सरकार अगर ऐसा कोई कदम उठाना चाहती है, तो पहले उसे कुछ हालात सुधारने होंगे.

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मोदी सरकार चेक पर बैन लगाने की योजना पर काम कर रही है. मोदी सरकार चेक पर बैन लगाने की योजना पर काम कर रही है.

विकास जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

मोदी सरकार नोटबंदी के बाद डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए चेकबंदी करने का फैसला ले सकती है. ये कहना है अख‍िल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) का. भविष्य में सरकार अगर ऐसा कोई कदम उठाना चाहती है, तो पहले उसे कुछ हालात सुधारने होंगे.

चेकबंदी से पहले जरूरी है कि इसके लिए देश का बुनियादी ढांचा तैयार हो. ऐसे में चेकबंदी जैसा कदम उठाने से पहले मोदी सरकार को देश में 5 हालात सुधारने पर ध्यान देना होगा. तब ही ऐसा कोई कदम सफल हो सकता है.

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बढ़ाना होगा इंटरनेट का दायरा

डिजिटल इकोनॉमी में इंटरनेट की सबसे बड़ी भूमिका होती है. ऐसे में इसका दायरा बढ़ाना चेकबंदी जैसे कदम के लिए काफी अहम होगा. डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने में स्मार्टफोन सबसे बड़ी भूमिका निभाएंगे, लेक‍िन मौजूदा समय में भारतीयों के बीच मोबाइल इंटरनेट की पहुंच सिर्फ 24 फीसदी है. 2020 तक इसके 35 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेट का दायरा बढ़ाना होगा.

साइबर सुरक्षा पर फोकस

पिछले दिनों एसबीआई डेबिट कार्ड और बैंकों के एटीएम हैक होने जैसे साइबर सुरक्षा के कई मामले सामने आए हैं. ऐसे में मोदी सरकार का सबसे ज्यादा फोकस साइबर सुरक्षा को मजबूत करने पर होना चाहिए. जब तक साइबर सुरक्षा मजबूत नहीं होगी, तब ऑनलाइन लेनदेन पूरी तरह सुरक्ष‍ित नहीं हो पाएगा.

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छोटे कारोबारियों के लिए ढूंढना होगा विकल्प

लघु और मध्यम कारोबार से जुड़े कारोबारी आज भी चेक और कैश में लेनदेन करते हैं. उनके कारोबार में कैश और चेक का अहम योगदान है. ऐसे में चेकबंदी जैसा कदम उठाने से पहले सरकार को छोटे कारोबारियों के लिए पुख्ता इंतजाम करना होगा. ऐसा नहीं किया गया, तो नोटबंदी की तरह चेकबंदी भी सबसे ज्यादा इनके कारोबार पर असर डालेगी.

वित्तीय साक्षरता जरूरी

भारत में आज भी कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें एटीएम से पैसे निकालने के लिए किसी दूसरे की मदद की जरूरत होती है. ऐसे में डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से पहले वित्तीय साक्षरता जरूरी है. केंद्र सरकार को ग्रामीण भागों में कैशलेस लेनदेन को लेकर साक्षरता अभियान चलाना होगा. जब तक सभी लोग कैशलेस लेनदेन करने में सक्षम नहीं होते, तब तक चेकबंदी जैसा कदम सिर्फ परेशानी का सबब बनेगा.

डिजिटल लेनदेन का ढांचा करना होगा तैयार

डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि देश में पीओएस मशीनों की संख्या बढ़ाई जाए. नोटबंदी के बाद कुछ समय तक पीओएस मशीनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, लेक‍िन नोटबंदी के एक साल बाद फिर कैश क‍िंग बन गया है. पीओएस मशीनें कैशलेस लेनदेन में सबसे अहम भूमिका निभाएंगी. इसलिए बैंकों को पीओएस मशीनों समेत डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए जरूरी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.

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