Share Market Live: ग्लोबल ट्रेंड से 1.5 फीसदी गिरा बाजार, आईटी को छोड़ सारे सेक्टर लुढ़के

Share Market Live Update: गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 0.21 फीसदी मजबूत होकर 57,910.12 अंक पर और एनएसई निफ्टी भी 0.27 फीसदी की बढ़त के साथ 17,264 अंक पर बंद हुआ था. यह लगातार चार दिनों की गिरावट के बाद आई मामूली तेजी थी.

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बाजार पर जारी है दबाव बाजार पर जारी है दबाव

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST
  • बाजार पर बना हुआ है दबाव
  • सप्ताह की चौथी गिरावट

दुनिया भर में बेकाबू होती महंगाई (Global Inflation) नई समस्या खड़ी कर रही है. इसके चलते एक के बाद एक करके सेंट्रल बैंक (Central Bank) ब्याज दरें बढ़ाने पर मजबूर हो रहे हैं. घरेलू शेयर बाजार (Share Market) शुक्रवार को इस प्रेशर का सामना करने में पूरी तरह से असफल रहा और डेढ़ फीसदी से अधिक लुढ़क गया. सेक्टोरल इंडेक्स (Sectoral Indices) में आईटी (IT) को छोड़ बाकी सारे लाल निशान में रहे.

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बाजार खुलते ही गिर गया सेंसेक्स

बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) बाजार खुलते ही 100 अंक से अधिक गिर गया, जबकि प्री ओपन सेशन (Pre Open Session) में यह हरे निशान में था. सुबह 10:00 बजे के आस-पास सेंसेक्स 500 अंक से अधिक गिर चुका था. उतार-चढ़ाव से भरे इस सेशन में सेंसेक्स प्री ओपन के बाद कभी भी हरा नहीं हो पाया. सत्र के समाप्त होने पर सेंसेक्स 889.40 अंक यानी 1.54 फीसदी गिरकर 57,011.74 अंक पर बंद हुआ.

निफ्टी को 17 हजार पर भी नहीं मिल पाया सपोर्ट

इसी तरह एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) ने भी कारोबार की कमजोर शुरुआत की. बाजार खुलने के कुछ ही देर बाद यह करीब एक फीसदी की गिरावट में चला गया था. बाजार के बंद होने पर यह 263.20 अंक यानी 1.53 फीसदी की गिरावट के साथ 17 हजार के स्तर से नीचे 16,985.20 अंक पर आकर बंद हुआ.

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इस सप्ताह की चौथी गिरावट

गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 0.21 फीसदी मजबूत होकर 57,910.12 अंक पर और एनएसई निफ्टी भी 0.27 फीसदी की बढ़त के साथ 17,264 अंक पर बंद हुआ था. यह लगातार चार दिनों की गिरावट के बाद आई मामूली तेजी थी. इसके बाद बाजार सप्ताह के अंतिम सत्र में भी गिरकर बंद हुआ. इस तरह सप्ताह के पांच में से चार सत्र में घरेलू बाजार गिरावट में रहे.

महंगाई के चलते ब्याज दर बढ़ाने पर मजबूर हैं सेंट्रल बैंक

दुनिया की लगभग सारी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अभी बेकाबू होती महंगाई से जूझ रही है. यह जोखिम रोना के नए म्यूटैंट वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़े खतरे के बीच सामने आया है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के ऊपर ऐसे में दोहरा प्रेशर है. एक ओर उन्हें आर्थिक वृद्धि को बनाए भी रखना है, तो दूसरी ओर आसमान छूती महंगाई को काबू भी करना है. फेडरल रिजर्व ने हालिया बैठक में जो निर्णय लिया, उसमें इस दोहरे प्रेशर का असर साफ दिखता है.

फेडरल रिजर्व ने साफ शब्दों में कहा कि अभी महंगाई ओमिक्रॉन से बड़ा खतरा है. फेडरल रिजर्व ने सरकारी बांड की खरीद रोकने तथा ब्याज दर बढ़ाने की राह पर अनुमान से अधिक तेजी से आगे बढ़ने का संकेत दिया. फेड के संकेतों से साफ पता चलता है कि वह नए साल में कम से कम तीन बार रेट बढ़ाने की सोच रहा है. इसके बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान भी इसी राह पर आगे बढ़े. दोनों सेंट्रल बैंक ब्याज दर बढ़ाने की राह पर हैं. दुनिया भर के बाजारों पर इसका दबाव है.

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