रेवड़ी की होड़... फिर क्यों करें काम? नेता को चाहिए वोट... बदले में फ्री खाना, बिजली, सफर और बैंक में नकद भी!

Freebies Culture in Indian Politics: जब वोट ही 'रेवड़ि‍यों' के नाम पर मिल रहा है तो फिर इसे बांटने में कम्पीटिशन तो होगा, कौन कितना रेवड़ी बांट सकता है. जनता को भी रेवड़ी का स्वाद लग चुका है. वो जानती है कि किसकी रेवड़ी ज्यादा है, मीठी है, किसकी रेवड़ी खाना है और किसकी रेवड़ी ठुकराना है.

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 Freebies Culture in Indian Politics (Photo: AI) Freebies Culture in Indian Politics (Photo: AI)

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

आप मुफ्त सुव‍िधाएं कहें, रेवड़ी कहें या फ्रीबीज... लेकिन सरकार इन्हें कल्याणकारी योजना ही साब‍ित करना चाहती है. चाहे केंद्र की सरकार हो या राज्य की, सब इसे अपने फायदे के ल‍िए लागू करने में कोई गुरेज नहीं करना चाहते. क्योंकि सत्ता का रास्ता अब 'रेवड़ी पथ' से ही होकर गुजर रहा है, यानी सीधा वोट से कनेक्ट है. अब भला, जब वोट ही 'रेवड़ि‍यों' के नाम पर मिल रहा है तो फिर इसे बांटने में कम्पीटिशन तो होगा, कौन कितना रेवड़ी बांट सकता है. जनता को भी रेवड़ी का स्वाद लग चुका है. वो जानती है कि किसकी रेवड़ी ज्यादा है, मीठी है, किसकी रेवड़ी खाना है और किसकी रेवड़ी ठुकराना है.

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दरअसल, बुधवार को देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एक कड़ी टिप्पणी की है. वैसे सुप्रीम कोर्ट में शहरी गरीबी उन्मूलन पर सुनवाई चल रही थी. लेकिन इस बीच कोर्ट ने ऐसी बातें कहीं, जिसपर देश के नेताओं को चिंतन की जरूरत है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि फ्रीबीज की वजह से लोग काम करने से बचते हैं, क्योंकि बिना काम के ही पैसे मिल रहे हैं. उन्हें मुफ्त में राशन मिल रहा है. यानी कोर्ट का साफ कहना है कि जिस तरह से सरकारें रेवड़ियां बांट रही हैं, उससे देश का भला नहीं होना है. कोर्ट ने कहा कि जरूरत है कि लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाया जाए और राष्ट्र के विकास में उन्हें योगदान करने दें. सुप्रीम कोर्ट की ये सख्त टिप्पणी किसी एक राज्य या सरकार के लिए नहीं है. 

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हकीकत यही है... आप देखें तो देश में पिछले दो से तीन वर्षों में 'रेवड़ी कल्चर' तेजी से बढ़ी है, क्योंकि ये रास्ता राजनेताओं को थोड़ा आसान लग रहा है. और अगर जनता की बात की जाए तो अगर कोई चीज मुफ्त में मिल रही है तो फिर लेने से क्यों हिचकें. राज्य-दर-राज्य और पार्टी-दर-पार्टी उदाहरण है कि कल्याणकारी योजनाओं की आड़ में 'रेवड़ी' बांटी जा रही हैं, और जनता फंस रही है. कह सकते हैं कि बुनियादी सुविधाओं और विकास के मुद्दे भी अब 'मुफ्त स्कीम' के सामने टिक नहीं पा रहे हैं. क्योंकि जनता रेवड़ी चुनने में रह जाती है, कौन ज्यादा दे रहा है और कौन ज्यादा लंबे वक्त तक दे सकता है.


सबसे पहले केंद्र की योजनाओं की बात करते हैं, जिसे आप केंद्र सरकार की रेवड़ी कह सकते हैं.
- देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज. (मुफ्त राशन योजना की शुरुआत साल 2020 में हुई थी)
- सालाना 6000 रुपये किसान सम्मान निधि. 
- आयुष्मान भारत योजना में हर परिवार को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज.
- पीएम आवास योजना.
- उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त LPG कनेक्शन. 

अभी चंद दिन पहले दिल्ली में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं, जहां चुनावी रेवड़ियों की बाढ़ आ गई थी. AAP, BJP और कांग्रेस ने रेवड़ियों की झड़ी लगा दी थी. 

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दिल्ली 
- हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली.
- 20 हजार लीटर पानी हर महीने फ्री.
- सीनियर सिटीजन को मुफ्त तीर्थयात्रा.
- महिलाओं के लिए फ्री बस सफर. 
- फ्री वाई-फाई की सुविधा. 

अब दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी है, तो हर महीने महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा किया गया है. साथ ही दिल्ली वालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने का वादा किया गया है. 

महाराष्ट्र
- महिलाओं को 2100 रुपये महीने नकद. (चुनाव से पहले 1500 रुपये) 
- 2027 तक 50 लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य.
- किसानों का कर्ज माफ. 
- किसान सम्मान योजना में सालाना 15000 रुपये.
- हर गरीब को भोजन और आश्रय.
- वृद्धा पेंशन में बढ़ोतरी. 
इसके अलावा केंद्र की सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा.

मध्य प्रदेश
- लाडली बहना योजना के तहत 1250 रुपये महीने. (इस योजना की वजह से सरकारी खजाने पर 18 हजार 984 करोड़ रुपये का भार) 
- फ्री स्कूटी योजना (मेधावी 12वीं पास छात्रा के लिए)
- हर महीने 100 यूनिट तक बिजली सिर्फ 100 रुपये में. 
- गरीब परिवार की बच्चियों को 21 साल की उम्र पूरी होने पर 2 लाख रुपये मिलेंगे.  
- किसान सम्मान निधि और किसान कल्याण योजना के दायरे में आने वाले किसानों को सालाना 12,000 रुपये देने का वादा. 
 इसके अलावा केंद्र सरकार की सभी मुफ्त योजनाएं लागू. 

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झारखंड
- मइया सम्मान योजना के तहत 2500 रुपये हर महीने. 
- 200 यूनिट मुफ्त बिजली योजना.

हिमाचल
- महिलाओं को 1500 रुपये महीने. 
-125 यूनिट मुफ्त बिजली.  
- पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा.

पंजाब
- 300 यूनिट मुफ्त बिजली. 

राजस्थान
- किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाली रकम को बढ़ाकर 12,000 रुपये करने का वादा. 
- 12वीं पास मेधावी लड़कियों को स्कूटी. 
-  राशन कार्ड धारकों को ₹450 में LPG गैस सिलेंडर. 
- लाडो प्रोत्साहन योजना के तहत बच्ची के जन्म पर 2 लाख रुपये का सेविंग बॉन्ड देने का वादा. 

छत्तीसगढ़
- 'महतारी वंदन स्कीम' के तहत शादीशुदा महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये की मदद. 
- 'दीनदयाल उपाध्याय कृषि मजदूर योजना' के तहत किसानों को सालभर में 10,000 रुपये मिलेंगे.
-  गरीब परिवार की महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर. 

कर्नाटक
- शक्ति गारंटी योजना सरकारी स्वामित्व वाली गैर-लक्जरी बसों में महिलाएं मुफ्त बस यात्रा. 
- गृह लक्ष्मी योजना के आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये. 

तमिलनाडु
- महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा.
- परिवार की महिला मुखिया को हर माह 1,000 रुपये नकद. 

गौरतलब है कि चुनाव-दर-चुनाव फ्री स्कीम्स बढ़ती जा रही हैं. शुरुआत मुफ्त चावल, गेहूं, बिजली, पानी, साइकिल, लैपटॉप, टीवी और साड़ी हुई थी. और अब  फ्रीबीज के तहत सीधे अकाउंट में नकद ट्रांसफर किए जा रहे हैं. भला पैसा किसे अच्छा नहीं लगता. दिन-रात मेहनत इसी पैसे के लिए लोग करते हैं. बेरोजगारी भत्ता, विधवाओं को पेंशन, बुजुर्गों को पेंशन और कर्ज माफी भी अब फ्रीबीज के दायरे में शामिल हो गया है. इस लगातार राजकोष पर बोझ बढ़ता जा रहा है. महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य अब इसी राजकोष के घाटे से जूझ रहे हैं. यही नहीं, फंड की कमी की वजह से कई राज्यों को अब अपने पैसे को खर्च करने में विकल्प को चुनना पड़ रहा है.

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