रिलायंस-फ्यूचर डील: एमेजॉन फ्यूचर समूह के शेयरधारकों की बैठक रुकवाने पहुंची NCLT 

रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर समूह के बीच हुए सौदे की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अब एमेजॉन ने NCLT से फ्यूचर समूह के शेयरधारकों की बैठक करने पर रोक लगाने की गुहार लगाई है, जानें क्या कहा कंपनी ने...

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एमेजॉन दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक है (सांकेतिक फोटो) एमेजॉन दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक है (सांकेतिक फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:38 AM IST
  • ऋणदाताओं के साथ बैठक पर भी रोक की मांग
  • SIAC का अंतिम फैसल आने तक रहे रोक
  • पिछले साल अगस्त में हुआ था सौदा

रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर समूह के बीच हुए सौदे की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अब एमेजॉन ने NCLT से फ्यूचर समूह के शेयरधारकों की बैठक करने पर रोक लगाने की गुहार लगाई है, जानें क्या कहा कंपनी ने...

NCLT का रुख
एमेजॉन ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की मुंबई शाखा में एक याचिका दायर की. याचिका में कंपनी ने कहा कि रिलायंस समूह के साथ 24,713 करोड़ रुपये के प्रस्तावित सौदे को मंजूरी देने के लिए बुलाई जाने वाली फ्यूचर समूह के शेयरधारकों या ऋणदाताओं की किसी भी तरह की बैठक को अनुमति ना दी जाए.

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एमेजॉन की सुप्रीम कोर्ट में अपील
एमेजॉन ने NCLT को ये जानकारी भी दी कि उसने मामले में 8 फरवरी को आए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिका दायर की है. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सौदे पर बनाए रखी गई ‘यथास्थिति’ को हटा दिया है.

सिंगापुर आर्बिट्रेशन का फैसला आने तक रोक
एमेजॉन ने NCLT से समूह की कंपनी फ्यूचर रिटेल के इस सौदे पर आगे बढ़ने से रोक लगाने की मांग भी की है. कंपनी का कहना है कि जब तक सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय मधयस्थता अदालत इस पर अंतिम फैसला नहीं दे देती फ्यूचर रिटेल को कंपनी के शेयरधारकों और क्रेडिटर्स की मीटिंग करने से रोका जाए.

पिछले साल अगस्त में हुआ था सौदा
किशोर बियानी के फ्यूचर समूह ने पिछले साल अगस्त में अपने खुदरा कारोबार को रिलायंस समूह को बेचने के लिए 24,713 करोड़ रुपये का सौदा किया था. लेकिन एमेजॉन ने इस मामले में यह कहते हुए रोड़ा अटका दिया कि उसके पास कंपनी की हिस्सेदारी पहले खरीदने का अधिकार है. तब से अब तक इस सौदे को कई कानूनी उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ रहा है.

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