भारत की बात न मानने वाले OPEC+ देश आखिरकार अमेरिकी अनुरोध पर तेल उत्पादन बढ़ाने पर राजी हो गए हैं. यह बढ़त मई से शुरू होगी. इससे कच्चे तेल के दाम में कमी आ सकती है और शायद इसके असर से हम भारतवासियों को भी पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती का राहत मिल सके.
गौरतलब है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने नए सिरे से सऊदी अरब से यह आग्रह किया था कि वह तेल की कीमतों को काबू में रखने के लिए उत्पादन बढ़ाने पर विचार करें.
ओपेक प्लस तेल उत्पादक देशों का एक संगठन है जिसमें इराक, कुवैत, सऊदी अरब, वेनेजुएला, अजरबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान आते हैं. फिलहाल अमेरिकी WTI क्रूड 61 डॉलर प्रति बैरल के आसपास और लंदन का ब्रेंट क्रूड 65 डॉलर प्रति बैरल के करीब चल रहा है.
भारत की अपील अनसुनी की थी
इसके पहले अमेरिका और भारत सरकार बार-बार यह अपील करती रही कि तेल के उत्पादन में बढ़त की जाए, लेकिन ओपेक प्लस देश इसे अनसुनी करते रहे. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तो ओपेक प्लस देशों के इस रवैए से काफी नाराज भी दिख रहे थे.
इस बात पर बनी सहमति
पिछले साल कोरोना संकट में जब कच्चे तेल के दाम धड़ाम हो गए थे, तब ओपेक प्लस देशों ने उत्पादन में कटौती का निर्णय लिया था. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ओपेक देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि मई में 3.5 लाख बैरल प्रति दिन (bpd), जून में 3.5 लाख बीपीडी और जुलाई में 4 लाख बीपीडी उत्पादन बढ़ाया जाएगा. ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान जंगानेह ने इस बात की पुष्टि की है कि जुलाई तक कच्चा तेल उत्पादन समूह के द्वारा 11 लाख बैरल प्रति दिन तक बढ़ाया जाएगा.
aajtak.in