Cryptocurrency: केंद्र सरकार ने यह साफ किया है कि किसी भी तरह से देश में बिटकॉइन (bitcoin) जैसी किसी क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा (legal tenders) नहीं दिया जाएगा. यह देश में क्रिप्टोकरेंसी के चलने को सामान्य बनाने के समर्थकों के लिए एक बड़ा झटका है.
हालांकि यह संसद में बिल आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि इनमें निवेश पर रोक लगेगी या नहीं. केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन (T V Somanathan) ने गुरुवार को कहा, 'फिलहाल मैं केवल यह कह सकता हूं कि क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा (legal tenders) का दर्जा नहीं दिया जाने वाला. सोना और चांदी को भी वैध मुद्रा का दर्जा हासिल नहीं है. बाकी अन्य चीजें बिल से तय होंगी.'
सरकार लाने वाली है बिल
गौरतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर देश में तमाम चर्चाएं चल रही हैं. सरकार इनको रेगुलेट करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक बिल लेकर आने वाली है. वित्त मंत्रालय ने कुछ दिनों पहले ही इस बारे में एक कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देकर इस पर और चर्चा के लिए संबंधित विभागों को भेजा है.
सूत्रों के अनुसार, इस कैबिनेट नोट में इस बात का ध्यान रखा गया है कि क्रिप्टोकरेंसी किस तरह से बदनाम हैं और गैरकानूनी गतिविधियों में लगे लोग किस तरह से इनका दुरुपयोग कर सकते हैं.
कुछ वरिष्ठ सूत्रों ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि क्रिप्टोकरेंसी के बारे में 13 नवंबर को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक को क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में आने वाले बिल के लिए एक अहम कदम माना जा सकता है. इस बैठक में ही क्रिप्टाकरेंसीज पर सरकार का रुख साफ हो गया. इस बारे में सबसे अहम जानकारी रिजर्व बैंक की तरफ से आई.
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुई इस मीटिंग के बाद सरकार ने कहा था कि इस बारे में सभी पक्षों और विशेषज्ञों से चर्चा हो रही है. सरकार का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी में लुभावने वादे करने वाले अपारदर्शी विज्ञापन रोके जाने चाहिए. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस बैठक के लिए रिजर्व बैंक ने अपनी राय एक विस्तृत रिपोर्ट के रूप में सौंपी थी.
क्या है रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में
सूत्रों के अनुसार, सरकार को दी गई रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट में साफतौर पर इस बात पर जोर दिया गया है कि क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में जानकारी बहुत कम है और इनसे रुपये की मौद्रिक संप्रभुता, मौद्रिक स्थिरता को खतरा हो सकता है.'
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिप्टोकरेंसीज से पूंजी और निवेश देश से बाहर चला जाएगा, इससे भारतीय रुपये में लेनदेन कम होगा और रिजर्व बैंक की कमाई पर चोट पड़ेगी. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार और रिजर्व बैंक को यह भी चिंता है कि इससे अमेरिकी डॉलर की पहुंच बढ़ेगी.
रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि बिना किसी अंडरलाइंग वैल्यू वाली वर्चुअल करेंसी में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है और ये मुद्रा आपूर्ति तथा महंगाई नियंत्रण में अवरोध पैदा कर सकते हैं.
राहुल श्रीवास्तव