गेमिंग बिल का असर... 60% कर्मचारी निकालेगी ये कंपनी, CEO बोले- 'अब कोई ऑप्शन नहीं...'

ऑनलाइन गेमिंग बिल आने के बाद से ही रियल मनी गेम्स से जुड़ी कंपनियों का हाल-बेहाल है. अब एमपीएल ने रेवेन्यू का हवाला देते हुए प्लेटफॉर्म से जुड़े 60 फीसदी (करीब 300) कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी की है.

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ऑनलाइन गेमिंग बिल आने के बाद एमपीएल ने लिया फैसला (Photo: GettyImage) ऑनलाइन गेमिंग बिल आने के बाद एमपीएल ने लिया फैसला (Photo: GettyImage)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 का असर तमाम गेमिंग कंपनियों पर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इसे लोकसभा-राज्यसभा दोनों सदनों में मंजूरी मिलने के बाद से ही अफरा-तफरी का माहौल है और ड्रीम11, पोकरबाजी समेत कई कंपनियों अपना बोरिया बिस्तर समेट चुकी है. अब इस सेक्टर की कंपनी एमपीएल यानी मोबाइल प्रीमियर लीग इस बैन के चलते तगड़ी छंटनी का प्लान बना रही है और रिपोर्ट्स के मुताबिक 60 फीसदी स्टाफ को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. 

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एमपीएल के 300 कर्मचारी होंगे बाहर 
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा रियल मनी गेम्स पर लगाम लगाने के लिए लाए गए गेमिंग बिल के चललते एमपीएल अपने स्थानीय कर्मचारियों की संख्या में करीब 60 फीसदी की बड़ी छंटनी करने की तैयारी में है. कंपनी से जुड़े सूत्रों की मानें, तो सरकार के इस नए कानून के चलते ये प्लान बनाया गया है, क्योंकि इससे फैंटेसी और कार्ड गेमिंग बिजनेसल से राजस्व की अब कोई गुंजाइश नहीं बची है. यही कारण है कि बेंगलुरु स्थित इस यूनिकॉर्न ने करीब 300 लोगों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है. 

सीईओ ने भेजा कर्मचारियों को ई-मेल
रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को इस संबंध में कर्मचारियों को भेजे गए एक ई-मेल में एमपीएल के को फाउंड और सीईओ साई श्रीनिवास ने साफ कहा कि कंपनी के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. उन्होंने लिखा, 'हमने भारी मन से यह फैसला किया है कि हम अपनी भारतीय टीम का साइज काफी कम कर देंगे.' उन्होंने बताया कि एम-लीग के रेवेन्यू में भारत का योगदान 50 फीसदी है और इस बदलाव का मतलब होगा कि निकट भविष्य में हम भारत से कोई राजस्व नहीं कमा पाएंगे.

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गेमिंग बिल का दिख रहा बड़ा असर 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बीते अगस्त महीने ऑनलाइन पेमेंट वाले गेम्स पर प्रतिबंध लगाने को लेकर संसद में गेमिंग बिल पास कराया था. सरकार ने रियल मनी गेम्स से वित्तीय जोखिम और विशेष रूप से युवाओं के बीच इसकी लत के खतरे का हवाला दिया था. जिसके चलते क्रिकेट, रमी और पोकर गेम की पेशकश करने वाले कई गेमिंग ऐप्स शटडाउन भी हो गए और अब ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनियां छंटनी का सहारा लेने को मजबूर हो रही हैं. 

एमपीएल में इस बड़ी छंटनी का असर मार्केटिंग, ऑपरेशनल, इंजीनियरिंग, लीगल और फाइनेंस समेत कई डिपार्टमेंट्स में देखने को मिलेगा. हालांकि, इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सीईओ ने ये भी कहा कि इस बदलाव के दौरान प्रभावित कर्मचारियों को हर मदद दी जाएगी. सरकार के बैन के बाद ऑनलाइन गेमिंग बिजनेस पर तगड़ी मार पड़ी है. इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि तेजी से ग्रोथ करता ये उद्योग साल 2029 तक 3.6 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. 

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