जीएसटी दरों में ऐतिहासिक कटौती के ऐलान से देशभर के लोग राहत महसूस कर रहे हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले को किसी ने महंगाई से राहत की नई उम्मीद बताया, तो किसी ने बाजार और कारोबार के लिए ऑक्सीजन. इसी माहौल के बीच देश के नंबर वन न्यूज चैनल आजतक ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
इस विशेष इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने न सिर्फ टैक्स सुधार और आम जनता को मिली राहत पर विस्तार से चर्चा की, बल्कि आगे की आर्थिक चुनौतियों, महंगाई नियंत्रण, निवेश बढ़ाने और रोजगार सृजन जैसे अहम मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता नागरिकों को राहत देना है, भले ही इसके लिए उन्हें बाद में राजस्व की चिंता करनी पड़े.
सीतारमण ने कहा, "अगर कुछ राज्य चिंतित हैं, और अगर केंद्र को भी यह कहते हुए चिंतित होना पड़ेगा कि अब हमें राजस्व कैसे मिलेगा? तो हमें पहले नागरिकों को राहत देनी होगी. और फिर अपने राजस्व की चिंता करनी होगी, इसे कैसे जुटाया जाए, कहाँ से लाया जाए."
उन्होंने कोविड-19 महामारी से मिले सबक को याद किया, जब सरकार ने राजस्व की कमी के बजाय लोगों की ज़रूरतों को प्राथमिकता दी थी.
उन्होंने कहा कि तब भी, प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेता नहीं डगमगाए. उन्होंने यह नहीं कहा कि अब क्या होगा? इसके अलावा, उन्होंने कहा, मैं नहीं चाहता कि आप राजस्व के लिए कहीं भटकें, बल्कि मैं अपने देश के लोगों को मुफ्त टीकाकरण देना चाहता हूं. एक सौ चालीस अरब, दो खुराक मुफ्त होंगी."
सीतारमण ने कहा कि हालांकि केंद्र के पास रक्षा खर्च जैसी विशेष जिम्मेदारियां हैं, लेकिन जब नागरिकों का कल्याण दांव पर हो तो वह उधार लेने और समायोजन करने को तैयार है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आश्वासन दिया कि सरकार उन निर्यातकों को राहत प्रदान करने के लिए कदम उठाएगी जो भारी अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हैं, हालांकि उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह मामला जीएसटी परिषद के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
सीतारमण ने कहा, "देखिए, ऐसे टैरिफ की आशंका में, जो हमें प्रभावित करेगा. अभी जो प्रावधान किया गया है, वह एक तरह से टैक्स के कारण इनपुट लागत का ध्यान रखेगा. अगर वहां टैक्स भारी था, तो हमने उत्पादन लागत को उसके अनुरूप करने की कोशिश की ताकि अंतर और न बढ़े."
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि टैरिफ के कारण आयात लागत में वृद्धि जीएसटी से जुड़ी नहीं है, लेकिन अमेरिका में 50% तक के शुल्क का सामना कर रहे निर्यातकों को अकेले इसका बोझ नहीं उठाना पड़ेगा.
उन्होंने आगे कहा, "अगर आपकी अंतिम वस्तु निर्यात की जा रही है और उस पर 50% अमेरिकी टैरिफ लगता है, तो यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका अध्ययन सरकार को करना होगा, जीएसटी परिषद को नहीं. लेकिन जैसा कि मैंने कहा, सरकार इसका ध्यान रखेगी."
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि पहला चरण एकता पर और दूसरा सरलता पर केंद्रित है, साथ ही उन्होंने एक संभावित तीसरे चरण का भी संकेत दिया.
सीतारमण ने कहा, "मेरे लिए, सरलता को बढ़ावा देना ज़रूरी है. और यह हर उपभोक्ता को प्रभावी रूप से महसूस होना चाहिए. इसलिए, मैं इसके लिए काम कर रही हूं. और कुछ सालों बाद, हम इस बारे में बात कर पाएंगे कि तीसरा चरण कैसा हो सकता है."
टैरिफ का जीडीपी पर असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में जीएसटी का कम करना, क्या इससे जुड़ा है? इस सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऐसा नहीं है. आर्थिक स्थिति, कोरोना की चुनौतियों के बीच 8 साल के अनुभव से नया जीएसटी बना है. हम पांच साल के अंदर ही ऐसा करना चाहते थे लेकिन हो नहीं सका. इसका मकसद लोगों पर दवाब कम करना भी है. इसका टैरिफ या जीडीपी ग्रोथ से कोई संबंध नहीं है.
इंश्योरेंस कंपनी रेट घटने का लाभ लोगों को देंगी? इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि पब्लिक सेक्टर इंश्योरेंस कंपनियों को आगे आकर कहना चाहिए कि हम लाभ लोगों को देंगे. ऐसे में प्राइवेट सेक्टर इंश्योरेंस कंपनी को भी ये करना चाहिए. टैक्स कटौती लोगों के लिए है, कंपनी के लिए नहीं. अगर इसके खिलाफ कंपनी कुछ करती हैं तो उसके खिलाफ बात करके हम काम करेंगे.
क्या केंद्र सरकार वन नेशन वन जीएसटी का फॉर्मलूा लागू करेगी? इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि अभी तो नहीं लेकिन शायद कभी आगे चलकर ऐसा कर दिया जाए. हालांकि इसकी अभी कोई समय सीमा तय नहीं है. देश में जिस तरह का विकास हो रहा है. अलग-अलग जगह का विकास अलग है. सब जगहों को समान रूप से नहीं देखा जा सकता है. कोई ज्यादा विकसित है तो कोई कम. विकसित क्षेत्रों में अधिक टैक्स वाले सामान खरीदे जा सकते हैं जबकि कम विकसित में ऐसा नहीं है.
उन्होंने अरुण जेटली द्वारा दिए गए उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा कि क्या कार और हवाई चप्पल पर समान रूप से टैक्स लगाया जा सकता है? नहीं, क्योंकि कार वाला अधिक टैक्स दे सकता है लेकिन चप्पल वाला नहीं. इसलिए वन नेशन वन जीएसटी अभी लागू करना मुमकिन नहीं है.
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इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि ये दोनों जीएसटी के इस प्रपोजल में नहीं थे. हालांकि जीएसटी लाने के समय भी हमने कहा था और एक लीगल प्रोविजन बनाया था कि जब कभी भी राज्य रेट को लेकर तैयार होंगे तब पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया गया कि क्या यह GST कट बिहार चुनाव में बीजेपी का मैनिफेस्टो है? इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि यह बिहार नहीं, देश के 140 करोड़ लोगों का मैनिफिस्टो है. सरकार ने जीएसटी में बदलाव का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया गया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी का इतना बड़ा परिवर्तन और हर चीज में रेट का बदलाव करने के लिए इंडस्ट्री और ट्रेडर्स से बात कर रहे हैं कि वो रेट कट को सच में जनता तक पहुंचाएं, क्योंकि कई सवाल उठ रहे हैं कि कंपनियां रेट कट को जनता तक नहीं पहुंचाते हैं. कुछ न कुछ बहाने बनाकर पैसा बनाते रहते हैं और लोगों को लाभ नहीं मिलता. उस पर हम काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जीएसटी में बदलाव बहुत उम्मीद के साथ की गई है, जो नवरात्रि से ही लोगों को खरीदारी पर दिखने लगेगा. उदाहरण के तौर पर 100 रुपये में पहले जो एक समान मिलता था, उसमें अब डबल समान खरीद सकता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की ओर से GST को गब्बर सिंह टैक्स कहने को लेकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आज 91 फीसदी टैक्स लगाने वाले GST का श्रेय ले रहे हैं. निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्षी दलों की ओर से जीएसटी को समर्थन मिल रहा है वही काफी है. 'गब्बर सिंह टैक्स' बोलने वाले आज इसका श्रेय लेने में जुटी है. ये बात मुझे समझ नहीं आया कि जो कांग्रेस पार्टी इंदिरा गांधी के समय इनकम टैक्स पर 91 फीसदी टैक्स लेती थी वो आज GST को बेहतर बनाने की क्रेडिट ले रही है. उनके जमाने के सरकार में अगर कोई 100 रुपया कमाता था तो 91 रुपये टैक्स लगता था.
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गुटखा-तंबाकू के दाम बढ़ने से बिहार जैसे राज्यों को नुकसान होगा, उसकी भरपाई कैसे होगी? इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार कंज्यूमिंग स्टेट है. मैं उम्मीद रख रही हूं कि इस नवरात्रि के पहले दिन से ही जनता रेट कटौती के चलते अधिक सामान खरीद सकेगी. बिहार जैसे राज्यों को इस कटौती और Reform GST का लाभ मिलेगा.
बिहार के लोगों के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि आपको छठ और दिवाली से पहले बिहार और पूरे देश को डबल धमाका मिलने वाला है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट और सरकारी स्कूल-कॉलेज पर कोई टैक्स नहीं बढ़ाया है. उल्टा कम ही किया है. लेकिन जहां कमर्शियल इंस्टीट्यूट चल रहे हैं, उन्हें एजुकेशन इंस्टीट्यूशन नहीं माना गया है.
निर्मला सीतारमण ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं कि जो रेट कम किए गए हैं वो लोगों तक पहुंचे. इसके लिए हम लगातार इंडस्ट्री आदि से बातचीत कर रहे हैं कि इस रेट कटौती का लाभ लोगों तक पहुंचे. हम मॉनिटरिंग तो करेंगे ही लेकिन कंपनियों ने भी हमें आश्वास्त किया है कि लोगों तक रेट कटौती का पूरा लाभ पहुंचेगा.
उन्होंने कहा कि जीएसटी का इतना बड़ा परिवर्तन और हर चीज में रेट का बदलाव करने के लिए इंडस्ट्री और ट्रेडर्स से बात कर रहे हैं कि वो रेट कट को सच में जनता तक पहुंचाएं. क्योंकि कई सवाल उठ रहे हैं कि कंपनियां रेट कट को जनता तक नहीं पहुंचाते हैं और कुछ न कुछ बहाने बनाकर पैसा बनाते रहते हैं औऱ लोगों को लाभ नहीं मिलता. उस पर हम काम कर रहे हैं.
महंगाई के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई के कंट्रोल करने के लिए सरकार हमेशा प्रयास करती है. कई बार सप्लाई की दिक्कत की वजह से महंगाई काबू में नहीं रहती. इसके लिए हम जीएसटी लाने के लिए महंगाई तय नहीं कर सकते. अब ट्रंप के टैरिफ से इसे भी जोड़ा जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं है. डेढ साल पहले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया गया था.
उन्होंने कहा कि 300 से अधिक गुड एंड सर्विसेस के रेट कम होने वाले हैं. इसका फैसला एक दिन में नहीं हो सकता. पिछले 1 साल में मैंने बार बार हर आइटम को देखा है कि आखिर इसका रेट और कम क्यों नहीं हो सकता और जनता को कैसे राहत मिलेगी.
विपक्ष का आरोप है कि जीएसटी कम करने में 8 साल लगा दिए. इसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि 70 साल बाद इस देश को जीएसटी मिला. 10 साल जब प्रणब मुखर्जी इस पर बार बार बात करते थे तो तब भी इसे लागू नहीं किया गया. क्योंकि कोई राज्य यूपीए सरकार पर भरोसा नहीं कर पाया कि ये लोग कर पाएंगे या नहीं.
वित्त मंत्री ने कहा कि आज मैं हैरान हूं जब विपक्ष ये बोल रहा है कि जीएसटी लागू करते समय अधिक रेट रख दिया और अब रिफॉर्म के नाम पर उसको नीचे कर दिया. जीएसटी लागू करने के समय रेट हमारी मनमानी के मुताबिक नहीं था बल्कि जो रेट तब था, वही रखा गया. विपक्ष रिसर्च करे आरोप लगाने से पहले.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब जीएसटी गुड और सिंपल है. जीएसटी आने से पहले राज्यों का कानून था. सबको मिलाकर एक जीएसटी बना. सभी टैक्स को इकट्ठा करके जीएसटी बनाया. इससे पहले राज्यों में जो भी रेट था, वही रेट जीएसटी के समय बनाया गया. जीएसटी लागू करते समय मनमाने रेट लागू नहीं किए. जो थे वही रहे. विपक्ष को रिसर्च करनी चाहिए.