किसान आंदोलन से हर दिन 3500 करोड़ रुपये का नुकसान! इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम का दावा 

उद्योग चैंबर Assocham ने सरकार और किसानों से इस गतिरोध को दूर करने के लिए कोई रास्ता निकालने की मांग की है. एक और उद्योग चैंबर कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) का भी कहना है कि पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था को किसान आंदोलन से काफी नुकसान हो सकता है. 

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किसान आंदोलन से करोड़ों के नुकसान का दावा (फाइल फोटो: हिमांशु शर्मा) किसान आंदोलन से करोड़ों के नुकसान का दावा (फाइल फोटो: हिमांशु शर्मा)

राहुल श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली ,
  • 15 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST
  • करीब 20 दिनों से जारी है किसानों का आंदोलन
  • इंडस्ट्री चैंबर्स ने कहा- इससे इकोनॉमी को भारी नुकसान
  • खासकर उत्तर-पश्चिम भारत की इकोनॉमी पर बुरा असर

उद्योग चैंबर एसोचैम का कहना है कि किसान आंदोलन से देश को हर दिन करीब 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. यह नुकसान लॉजिस्टिक लागत बढ़ने, श्रमिकों की कमी, टूरिज्म जैसी कई सेवाओं के न खुल पाने आदि के रूप में हो रहा है. 

एक और उद्योग चैंबर कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) का भी कहना है कि पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था को किसान आंदोलन से काफी नुकसान हो सकता है. 

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एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (Assocham) ने सरकार और किसानों से इस गतिरोध को दूर करने के लिए कोई रास्ता निकालने की मांग की है. गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान करीब 20 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. 

आंदोलन से क्या फर्क पड़ रहा 

एसोचैम का कहना है कि कई राजमार्गों के बाधित होने से माल की आवाजाही के लिए दूसरे वैकल्पिक रास्ते अपनाने पड़ रहे हैं और इससे लॉजिस्टिक लागत में 8 से 10 फीसदी की बढ़त हो सकती है. इसकी वजह से दैनिक उपभोग की कीमतें और बढ़ सकती हैं. 

कई तरह की इंडस्ट्री को नुकसान 

एसोचैम का दावा है कि किसान आंदोलन से पंजाब, ​हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे परस्पर जुड़े आर्थिक क्षेत्रों के लिए व्यापक रूप से नुकसानदेह साबित हो रहा है.

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इंडिया टुडे-आजतक से बातचीत करते हुए एसोचैम के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, 'ये राज्य कृषि और वानिकी के अलावा फूड प्रो​सेसिंग, कॉटन टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्म मशीनरी, आईटी जैसे कई प्रमुख उद्योगों के भी केंद्र हैं. इन राज्यों में टूरिज्म, ट्रेडिंग, ट्रांसपोर्ट और हॉस्पिटलिटी जैसे सर्विस सेक्टर भी काफी मजबूत हैं. लेकिन विरोध प्रदर्शन और रास्ता जाम होने से इन सभी गतिविधियों को काफी नुकसान हो रहा है.' 

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18 लाख करोड़ की इकोनॉमी 

एसोचैम के प्रेसिडेंट डॉ निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की संयुक्त अर्थव्यवस्था करीब 18 लाख करोड़ रुपये की है. किसानों के आंदोलन और सड़क, टोल प्लाजा, रेलवे को रोक देने से इन राज्यों की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गयी हैं. मुख्यत: निर्या्त बाजार की जरूरतें पूरी करने वाली कपड़ा, ऑटो कम्पोनेंट, साइकिल, स्पोर्ट्स गुड्स आ​दि इंडस्ट्री अपने ऑर्डर नहीं पूरे कर पा रहीं. इससे वैश्विक खरीदारों में हमारे भरोसे को नुकसान पहुंच रहा है.' 

पटरी पर लौट रही इकोनॉमी को झटका 

दूसरी तरफ एक और इंडस्ट्री चैंबर सीआईआई का भी कहना है कि किसानों के आंदोलन से अगले दिनों में अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा और कोविड से ​गिरी अर्थव्यवस्था में जो सुधार हो रहा था, इस आंदोलन से उस पर बुरा असर पड़ सकता है. सीआईआई का कहना है कि पहले से ही बाधित सप्लाई चेन पर अब काफी दबाव दिख रहा है, जबकि लॉकडाउन के बाद इसमें सुधार होने लगा था. 

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वाहनों को लग रहा ज्यादा समय 

सीआईआई का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर जाने वाले माल को पहुंचने में अब 50 फीसदी ज्यादा समय लग रहा है. इसी तरह हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब से दिल्ली आने वाले यातायात वाहनों को 50 फीसदी ज्यादा दूरी तय कर आने को मजबूर किया जा रहा है. 

8 से 10 फीसदी लागत बढ़ेगी 

सीआईआई के निखिल साहनी का कहना है कि इसकी वजह से लॉजिस्टिक लागत 8 से 10 फीसदी तक बढ़ सकती है. इसके अलावा दिल्ली के आसपास के औद्योगिक इलाकों को मजदूरों की कमी से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि आसपास के कस्बों से मजदूरों का कारखानों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है. 

 

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