घटने लगी खाद्य तेलों की कीमत, सरसों का तेल 10% सस्ता, ये हैं तेलों के भाव

केन्द्र सरकार का कहना है कि खाद्य तेलों की कीमतें नरम पड़ने लगी हैं. सरसों का तेल जहां 10% तक सस्ता हुआ है, वहीं कुछ मामलों में कीमतों में ये कटौती 20% तक है.

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घटने लगी खाद्य तेलों की कीमतें (Photo : Getty) घटने लगी खाद्य तेलों की कीमतें (Photo : Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST
  • ‘पाम तेल का भाव 19% गिरा’
  • ‘मूंगफली तेल 16 रुपये सस्ता’
  • ‘खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनेगा देश’

केन्द्र सरकार का कहना है कि खाद्य तेलों की कीमतें नरम पड़ने लगी हैं. सरसों का तेल जहां 10% तक सस्ता हुआ है, वहीं कुछ मामलों में कीमतों में ये कटौती 20% तक है.

पिछले महीने से नीचे आई कीमतें
पीटीआई की खबर के मुताबिक केन्द्र सरकार ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के आधार पर कहा है कि पिछले महीने की तुलना में खाद्य तेलों की कीमतें घटी हैं. केन्द्र सरकार ने बुधवार को कहा कि अलग-अलग किस्म के तेलों की कीमत में अब नरमी का रुख देखा जा रहा है. मुंबई की कीमतों के आधार पर देखें तो कुछ मामलों ये कीमतें 20% तक गिरी हैं.

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सरसों का तेल 10% सस्ता
सरकार ने अपने बयान में कहा कि देश में सरसों तेल की कीमत 16 मई 2021 को 175 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब लगभग 10% घटकर 157 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है. इसी तरह सोयाबीन का तेल भाव 20 मई को मुंबई में 162 रुपये प्रति किलोग्राम था जो अब 138 रुपये पर आ गया है.

पाम तेल का भाव भी गिरा
देश में पाम तेल की कीमत भी गिरी है. 7 मई को इसका भाव 142 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो अब 115 रुपये प्रति लीटर पर आ गई है. इस तरह के इसका भाव 19% घटा है. वहीं सूरजमुखी का तेल भी 16% सस्ता होकर 157 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया. जिसका 5 मई को भाव 188 रुपये प्रति किलोग्राम था.

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मूंगफली का तेल 16 रुपये सस्ता
देश के पश्चिमी इलाकों में ज्यादा इस्तेमाल होने वाले मूंगफली तेल का भाव 14 मई को 190 रुपये किलोग्राम था जो अब घटकर 174 रुपये आ गया. इसी तरह वनस्पति का भाव भी 8% गिरकर 141 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया जो 2 मई को 154 रुपये प्रति किलोग्राम था.

खाद्य तेल में ‘आत्मनिर्भिर’ बनेगा भारत
केन्द्र सरकार का कहना है कि सरकार खाद्य तेल में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि उपाय कर रही है. ताकि खाद्य तेलों की घरेलू मांग को पूरा करने का स्थायी समाधान हो सके. अभी भारत अपनी खाद्य तेल की जरूरत का एक बड़ा हिस्सा आयात से पूरा करता है.

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