अब किंग नहीं रहा कैश, 5 साल में पेमेंट के लिए लोगों ने अपना लिए ये रास्ते!

2023 में नकद के अलावा दूसरे तरीकों से ऑनलाइन पेमेंट करने वालों की संख्या बढ़कर 58 फीसदी से ज्यादा हो गई. अगर पेमेंट के पारंपरिक तरीके यानी नकदी के अलावा भुगतान के दूसरे विकल्पों की बात करें तो UPI, डेबिट कार्ड और क्रेडिट का चलन काफी बढ़ा है.

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आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2024,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

भारत में डिजिटलाइजेशन की शुरुआत के बाद भुगतान के तरीके में बड़ा बदलाव आया है. अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारी के बाद डिलीवरी के वक्त नकद पेमेंट करने वालों की तादाद में काफी कमी आई है. डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 के दौरान महज 20.4 फीसदी लोग वैकल्पिक तरीकों यानी कैश के अलावा किसी दूसरे माध्यम से भुगतान करते थे लेकिन 2023 में नकद के अलावा दूसरे तरीकों से ऑनलाइन पेमेंट करने वालों की संख्या बढ़कर 58 फीसदी से ज्यादा हो गई. अगर पेमेंट के पारंपरिक तरीके यानी नकदी के अलावा भुगतान के दूसरे विकल्पों की बात करें तो UPI, डेबिट कार्ड और क्रेडिट का चलन काफी बढ़ा है. खासकर, UPI से ग्रामीण इलाकों में ज्यादा लोग ई-कॉमर्स खरीदारी का भुगतान कर रहे हैं, क्योंकि ये सबसे आसान है. 

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वैकल्पिक भुगतान में चीन सबसे आगे
ग्लोबल डेटा की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर यूजर मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं जो काफी हद तक UPI के जरिए चलता है. ये QR कोड को स्कैन करके रियल टाइम में मोबाइल से पेमेंट की सुविधा देता है. ऐसे वैकल्पिक भुगतान चीन और भारत जैसे देशों में काफी लोकप्रिय हैं और एशिया पैसिफिक के दूसरे देशों में भी इसे अपनाया जा रहा है. फिलहाल ईकॉमर्स खरीदारी का भुगतान वैकल्पिक तरीकों से करने के मामले में चीन सबसे आगे है. पिछले साल एशिया पैसिफिक रीजन में कुल ईकॉमर्स भुगतान का करीब दो-तिहाई हिस्सा चीन के पास था. 

कैश ऑन डिलीवरी का चलन घटा
भारत में 2018 के बाद वैकल्पिक तरीके से पेमेंट काफी बढ़ा है. फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी यही चलन है जो अमूमन ज्यादा नकदी वाले देश माने जाते हैं. ज्यादातर एशियाई बाजार पारंपरिक रूप से नकदी खर्च करना ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन, अब ऑनलाइन खरीदारी के साथ ही मॉल या स्टोर जैसी फिजिकल शॉपिंग में भी वैकल्पिक तरीके से पेमेंट करने का चलन बढ़ रहा है. यहां पर कई एशियाई देश पश्चिमी देशों से भी आगे निकल रहे हैं क्योंकि स्मार्टफोन और इंटरनेट की आसान पहुंच और क्यूआर कोड ने इसे आसान बना दिया है. अब लोग घर पर ज्यादा कैश रखना भी पसंद नहीं करते हैं और वो कैश लेकर शॉपिंग के लिए जाना पसंद नहीं करते हैं. यही वजह है कि कैश ऑन डिलीवरी का चलन घट रहा है और लोग वैकल्पिक तरीके से पेमेंट करने को प्राथमिकता देने लगे हैं.

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