DHFL प्रमोटर कपिल वधावन ने कहा- मेरी 44,000 करोड़ की प्रॉपर्टी ले लो, मुझे छोड़ दो! 

DHFL के प्रमोटर ने रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक आर सुब्रमण्यम कुमार को लेटर लिखकर यह गुहार ​लगाई है. कपिल वधावन फिलहाल अपने भाई धीरज वधावन के साथ मुंबई के तलोजा जेल में बंद हैं.

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DHFL के प्रमोटर कपिल वधावन DHFL के प्रमोटर कपिल वधावन

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 20 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST
  • वधावन बंधु मुंबई की जेल में बंद हैं
  • DHFL के लोन घोटाले का मामला
  • कपिल वधावन ने लेटर लिख लगाई गुहार

संकटग्रस्त कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के जेल में बंद प्रमोटर कपिल वधावन ने खुद को रिहा करने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि वह अपनी करीब 44 हजार करोड़ रुपये की पारिवारिक संपत्ति देने को तैयार हैं, जिससे बैंकों का बकाया लोन चुकाया जा सकता है. 

DHFL के प्रमोटर ने रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक आर सुब्रमण्यम कुमार को लेटर लिखकर यह गुहार ​लगाई है. कपिल वधावन फिलहाल अपने भाई धीरज वधावन के साथ मुंबई के तलोजा जेल में बंद हैं. वधावन बंधुओं को अप्रैल में ही मनी लॉड्रिंग कानून के उल्लंघन जैसे कई आरोपों में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.  

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कपिल वधावन ने लेटर में यह पेशकश की है कि वह अपने परिवार के विभिन्न रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के अधिकार, मालिकाना हक और हिस्सा ट्रांसफर करने को तैयार हैं ताकि इस प्रॉपर्टी की ज्यादा से ज्यादा कीमत मिले और डीएचएफएल की दिवालिया प्रक्रिया पूरी हो. 

बाजार से कम लगाया दाम! 

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 17 अक्टूबर को लिखे गये इस लेटर में कहा गया है कि बाजार से 15 फीसदी कम कीमत रखने पर भी उनके जुहू गल्ली प्रोजेक्ट, इरला प्रोजेक्ट और अन्य प्रोजेक्ट का वैल्युएशन करीब 43,879 करोड़ रुपये होता है. 

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क्या कहा वधावन ने 

वधावन ने कहा कि सितंबर 2018 में जब गैर ​बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) IL&FS संकट में आई, तबसे न केवल डीएचएफएल बल्कि सभी NBFC भारी वित्तीय संकट से गुजर रही हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनी ने 44,000 करोड़ रुपये की देनदारी को पूरा करने के लिए आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, अवांस फाइनेंशियल, डीएचएफएल प्रमेरिका एसेट मैनेजर्स और डीएचएफएल प्रमेरिका ट्रस्टी लिमिटेड के ऐसट बेचने का प्रयास किया था. 

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नौ पेज के इस लेटर में कपिल वधावन ने कहा कि आज भी डीएचएफएल के पास 10 हजार से 15 हजार करोड़ रुपये के बीच कलेक्शन है और वो इसे बैंकों को देने के लिए तैयार हैं. 

 

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